राजगढ़। जर्जर भवन में डर के साए में पढ़ती छात्राएं जर्जर हो चुके हमारे सिस्टम के लिए एक तमाचा है. मध्यप्रदेश सरकार नौनिहालों के भविष्य को सुधारने के लाख दावे तो करती है, लेकिन जमीनी हकीकत इससे बिल्कुल उलट है. राजगढ़ जिला मुख्यालय पर स्थित प्राथमिक माध्यमिक कन्या शाला की बिल्डिंग इतनी जर्जर हो चुकी है कि बड़े हादसे को खुला निमंत्रण दे रही है, लेकिन शासन-प्रशासन की आंखें बंद हैं और बच्चे दहशत के साए में पढ़ने को मजबूर हैं.
स्कूल भवन की हालत इतनी खस्ताहाल है कि बारिश के वक्त स्कूल में पानी भर जाता है. इस दौरान बच्चों को बिठाना भी दूभर हो जाता है, इसलिए कई कक्षाओं के छात्र एक ही कमरे में बैठते हैं. अब आप समझ सकते हैं कि एक ही क्लास में अलग-अलग कक्षाओं के छात्र-छात्राओं के बैठने से किस तरह पढ़ाई हो पाती होगी.ऐसा नहीं है कि स्कूल की बदहाल हालत का पता विभाग को नहीं है, लेकिन लगता है कि अधिकारियों को किसी बड़े हादसे का इंतजार है. हैरानी की बात ये है कि इस जर्जर भवन को पीडब्ल्यूडी और बीआरसी भी रिजेक्ट कर चुके हैं, इसके बावजूद यहां स्कूल चल रहा है.
बच्चे खौफ के साये में तालीम लेने को मजबूर हैं.और अफसर स्कूल की मरमम्त कराने के बाजय वादों का झुनझुना थमा रहे हैं.जिस स्कूल में बच्चों को बेहतर भविष्य देखने के मौके हों वहां उन्हें हर वक्त अपनी जान की फिक्र रहती है.अब देखना होगा कि शिक्षा विभाग कोई कदम उठाएगा या फिर यूं ही तमाशा देखता रहेगा.