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खतरे में हैं 'देश का भविष्य', जर्जर स्कूल भवन में लग रही कक्षाएं, प्रशासन को बड़े हादसे का इंतजार ! - Reality check of govt Primary school girl in rajgarh

बच्चे खौफ के साए में तालीम लेने को मजबूर हैं और अफसर स्कूल की मरम्मत कराने के बजाए आश्वासनों का झुनझुना थमा रहे हैं. जहां स्कूल में बच्चों को बेहतर भविष्य के लिए पढ़ाई करनी चाहिए, वहां उन्हें हर वक्त अपनी जान की फिक्र बनी रहती है.

जर्जर भवन में शिक्षा लेने को मजबूर छात्राएं
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Published : Jul 12, 2019, 1:21 PM IST

राजगढ़। जर्जर भवन में डर के साए में पढ़ती छात्राएं जर्जर हो चुके हमारे सिस्टम के लिए एक तमाचा है. मध्यप्रदेश सरकार नौनिहालों के भविष्य को सुधारने के लाख दावे तो करती है, लेकिन जमीनी हकीकत इससे बिल्कुल उलट है. राजगढ़ जिला मुख्यालय पर स्थित प्राथमिक माध्यमिक कन्या शाला की बिल्डिंग इतनी जर्जर हो चुकी है कि बड़े हादसे को खुला निमंत्रण दे रही है, लेकिन शासन-प्रशासन की आंखें बंद हैं और बच्चे दहशत के साए में पढ़ने को मजबूर हैं.

जर्जर भवन में शिक्षा लेने को मजबूर छात्राएं

स्कूल भवन की हालत इतनी खस्ताहाल है कि बारिश के वक्त स्कूल में पानी भर जाता है. इस दौरान बच्चों को बिठाना भी दूभर हो जाता है, इसलिए कई कक्षाओं के छात्र एक ही कमरे में बैठते हैं. अब आप समझ सकते हैं कि एक ही क्लास में अलग-अलग कक्षाओं के छात्र-छात्राओं के बैठने से किस तरह पढ़ाई हो पाती होगी.ऐसा नहीं है कि स्कूल की बदहाल हालत का पता विभाग को नहीं है, लेकिन लगता है कि अधिकारियों को किसी बड़े हादसे का इंतजार है. हैरानी की बात ये है कि इस जर्जर भवन को पीडब्ल्यूडी और बीआरसी भी रिजेक्ट कर चुके हैं, इसके बावजूद यहां स्कूल चल रहा है.

बच्चे खौफ के साये में तालीम लेने को मजबूर हैं.और अफसर स्कूल की मरमम्त कराने के बाजय वादों का झुनझुना थमा रहे हैं.जिस स्कूल में बच्चों को बेहतर भविष्य देखने के मौके हों वहां उन्हें हर वक्त अपनी जान की फिक्र रहती है.अब देखना होगा कि शिक्षा विभाग कोई कदम उठाएगा या फिर यूं ही तमाशा देखता रहेगा.

राजगढ़। जर्जर भवन में डर के साए में पढ़ती छात्राएं जर्जर हो चुके हमारे सिस्टम के लिए एक तमाचा है. मध्यप्रदेश सरकार नौनिहालों के भविष्य को सुधारने के लाख दावे तो करती है, लेकिन जमीनी हकीकत इससे बिल्कुल उलट है. राजगढ़ जिला मुख्यालय पर स्थित प्राथमिक माध्यमिक कन्या शाला की बिल्डिंग इतनी जर्जर हो चुकी है कि बड़े हादसे को खुला निमंत्रण दे रही है, लेकिन शासन-प्रशासन की आंखें बंद हैं और बच्चे दहशत के साए में पढ़ने को मजबूर हैं.

जर्जर भवन में शिक्षा लेने को मजबूर छात्राएं

स्कूल भवन की हालत इतनी खस्ताहाल है कि बारिश के वक्त स्कूल में पानी भर जाता है. इस दौरान बच्चों को बिठाना भी दूभर हो जाता है, इसलिए कई कक्षाओं के छात्र एक ही कमरे में बैठते हैं. अब आप समझ सकते हैं कि एक ही क्लास में अलग-अलग कक्षाओं के छात्र-छात्राओं के बैठने से किस तरह पढ़ाई हो पाती होगी.ऐसा नहीं है कि स्कूल की बदहाल हालत का पता विभाग को नहीं है, लेकिन लगता है कि अधिकारियों को किसी बड़े हादसे का इंतजार है. हैरानी की बात ये है कि इस जर्जर भवन को पीडब्ल्यूडी और बीआरसी भी रिजेक्ट कर चुके हैं, इसके बावजूद यहां स्कूल चल रहा है.

बच्चे खौफ के साये में तालीम लेने को मजबूर हैं.और अफसर स्कूल की मरमम्त कराने के बाजय वादों का झुनझुना थमा रहे हैं.जिस स्कूल में बच्चों को बेहतर भविष्य देखने के मौके हों वहां उन्हें हर वक्त अपनी जान की फिक्र रहती है.अब देखना होगा कि शिक्षा विभाग कोई कदम उठाएगा या फिर यूं ही तमाशा देखता रहेगा.

Intro:जिला मुख्यालय पर स्थित एक और ऐसा स्कूल जिसकी बिल्डिंग हो चुकी है लगभग जर्जर, बिल्डिंग में पढ़ाई करने को मजबूर है छात्राएं बारिश में बढ़ जाता है हादसा होने का ख़तरा, वही बारिश में स्कूल के अंदर घुस आता है पानी और जंगली जहरीले जानवर, वरिष्ठ अधिकारियों को सूचित किए जाने के बावजूद बिल्डिंग में नहीं हुआ कोई सुधार


Body:मध्यप्रदेश सरकार भले ही शिक्षा व्यवस्था को सुधारने के लाख दावे करें लेकिन इसकी जमीनी हकीकत कुछ और ही बयां करती है राजगढ़ जिला मुख्यालय पर एक और ऐसा स्कूल है जिसका भवन काफी जर्जर हो चुका है मुख्यालय पर स्थित प्राथमिक और माध्यमिक कन्या शाला, पुरा स्कूल की बिल्डिंग काफी जर्जर हो चुकी है, और बिल्डिंग खुद बड़े हादसे को खुला निमंत्रण दे रही है की मैं कभी भी छोटी मासूम बच्चियों के साथ बड़ा हादसा कर सकती हूँ। वहीं लगातार शिक्षा विभाग की लापरवाही के वजह से छोटी मासूम बच्चियां इस जर्जर भवन के नीचे बैठने को मजबूर है , इसी स्कूल में भवन की कमी के कारण एक साथ दो कक्षाएं एक ही क्लास में लगाने को शिक्षक भी मजबूर है। इस स्कूल में जब बरसात होती है तो क्लास में पानी भर जाता है जिससे बच्चों का बैठना बिल्कुल दुबर हो जाता है और वही इस पानी के साथ जहरीले जानवर भी कभी-कभार क्लासों में घुस आते हैं जिससे हमेशा किसी मासूम बच्ची के साथ हादसा होने का डर लगा रहता है। यह स्कूल काफी पुराना है और रियासत कालीन के समय का स्कूल है वही स्कूल प्रशासन द्वारा अपने वरिष्ठ अधिकारियों को कई बार सूचित किया जा चुका है और उनके द्वारा कहीं बाद निरीक्षण भी किया जा चुका है परंतु आज भी वह जर्जर बिल्डिंग ऐसी ही बनी हुई है।

वहीं माध्यमिक कन्या शाला ,पूरा मैं पढ़ने वाली आयशा ने बताया कि उनको इस बिल्डिंग में बैठने में काफी डर लगता है क्योंकि इसकी छत हमेशा पानी के वजह से टपकती रहती है और वही जब पानी आता है तब वे अपनी क्लास में नहीं बैठ पाती है
उसी स्कूल की एक और छात्रा आलिया बताती है कि उनको भी इस स्कूल में पानी के वजह से लगातार डर बना रहता है कि यह छत कई उनके ऊपर ना गिर जाए, वही वह बताती है कि इस स्कूल में कई बार बरसात में छत से काफी पानी टपकता है और कभी-कभार तो जब बरसात का पानी क्लासों में भर जाता है तो उनके साथ सांप जैसे जहरीली जानवर भी कक्षाओं में घुस आते हैं





Conclusion:वही माध्यमिक शाला पूरा, में पढ़ाने वाली एक शिक्षिका ने बताया कि बिल्डिंग इतनी जर्जर हालत में है कि अगर बरसात में थोड़ा सा पानी आता है तो बिल्डिंग में भर जाता है ,फिर हमारे मिडिल सेक्शन के पास सिर्फ एक ही क्लास रूम होती है जिसमें हम सारे बच्चों को बरसात आने पर बिठाते हैं ,वही बरसात के कारण पढ़ाना भी मुश्किल हो जाता है हमारे पास जो भी क्लासेस है उन सब में बरसात के समय पानी आता है और वही हमारे पास एक और क्लास है जो छत पर है परंतु उसमें भी हमेशा पानी भरा रहता है ,कक्षा में पानी छत और गेट दोनों तरफ से आता है यह बिल्डिंग काफी पुरानी है और मेरे आने के पूर्व से ही यह बिल्डिंग यहां पर स्थापित है वही हमारे द्वारा वरिष्ठ अधिकारियों को बहुत बार सूचित किया जा चुका है और उनका भी मुआयना बहुत बार हो चुका है वहीं इस बिल्डिंग को पीडब्ल्यूडी और बीआरसी वाले भी रिजेक्ट कर चुके हैं।

वहीं जिला शिक्षा अधिकारी बीएस बिसोरिया ने कहा कि इन बिल्डिंगों की इंजीनियर द्वारा जांच करवा ली जाएगी, वहीं अगर यह जर्जर पाई जाती है तो बच्चों को जल्द से जल्द अलग भवन में बैठने की व्यवस्था की जाएगी , वहीं स्कूलों को भी निर्देशित किया जाएगा कि बच्चों को ऐसी कैसी भी बिल्डिंग में ना बिठाया जाए जिसमें ऐसा हादसा होने का डर हो।

वहीं इसमें शिक्षा विभाग द्वारा लगातार लापरवाही देखी जा रही है क्योंकि स्कूल के द्वारा वरिष्ठ अधिकारियों को कई बार सूचित किया जा चुका है परंतु अभी तक इस बिल्डिंग में कोई सुधार नहीं हुआ है अगर वही कोई बड़ा हादसा बच्चियों के साथ हो जाता है , तो उसके लिए कौन जिम्मेदार होगा। जहां प्रशासन लाखों करोड़ों रुपए खर्च करके शिक्षा व्यवस्था को ठीक करने में लगी हुई है परंतु उसका जमीनी स्तर कुछ और ही बयां करता है।


visual

जर्जर स्कूल के

बाइट

स्कूल की छात्रा आयशा
स्कूल की छात्रा आलिया
स्कूल की शिक्षिका
जिला शिक्षा अधिकारी बीएस बिसोरिया

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