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रायसेन में घरों से निकलने वाला कचरा साबित होगा मील का पत्थर - Raisen

घरों से निकलने वाला कचरा अब पर्यावरण को नुकसान नहीं बल्कि जैविक खेती के लिए मील का पत्थर साबित होगा. इसके लिए रायसेन में नगर निगम ने 10 लाख की लागत से सॉलिड वेस्ट का बेहतर मैनेजमेंट तैयार किया है.

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Published : Jan 20, 2021, 8:26 AM IST

Updated : Jan 20, 2021, 9:51 AM IST

रायसेन। शहर में आने वाली पीढ़ी को कचरे का पहाड़ देखने की बुरी स्थिति का सामना नहीं करना पड़ेगा, चाहे शहर से रोजाना कितना भी कचरा क्यों न बाहर आए, इसके लिए नगर निगम ने 10 लाख की लागत से सॉलिड वेस्ट का बेहतर मैनेजमेंट तैयार किया है. जो अब इस गति से दौड़ रही है कि रोजाना टनों से कचरा शहर से निकलने के बावजूद सालों पुराने एकड़ के कचरा डंपिंग ग्राउंड जल्द खत्म कर दिया जाएगा. प्रतिदिन शहर से निकलने वाले कचरे से जैविक खाद तैयार होना शुरु हो गया है. सी एंड डी अपशिष्ट संग्रहण केंद्र खेरावाद के गीले कचरे से सब सामग्री अलग-अलग कर जैविक खाद में तब्दील करने लगे है. बताया गया है ये खाद बाजार की तुलना में सस्ता मिलेगा और खेतों के लिए लाभकारी होगी.

लघु मटेरियल रिकवरी फैसिलिटी सेंटर

गीले सूखे कचरे से भी नपा को आय होगी, शहर का होगा ये फायदा

वहीं पास में नपा ने लघु मटेरियल रिकवरी फैसिलिटी सेंटर (MRF) बनाया है. सूखे कचरे में कागज, गत्ते, पॉलीथिन, डिस्पोजल, प्लास्टिक, कांच, लकड़ी सहित अन्य कचरा शामिल है जिन को कचड़े से निकाल कर अलग अलग डिब्बे में केंद्र पर एकत्रित किया जा रहा है, जो जलाने योग्य है उस को गड्ढे में डाल कर आग लगा कर नष्ट कर दिया जाता है. इन सबको जैविक खाद सहित कांच. लोहा प्लास्टिक को बाजार में बेचा जाएगा जिस से नपा का बजट भी बढ़ेगा और स्वास्थ्य सुंदर शहर बनेगा बड़े बड़े कचड़े के ढेर और बदबू से राहत मिलेगी.

प्लांट में काम करने वाले नपा कर्मचारी ओमप्रकाश ने बताया यहां पर कचरा साफ किया जाता है. गिला सूखा अलग करते है प्लस्टिक लोहा कांच अन्य पदार्थ अलग किया जाता है. 10-12 टन कचरा प्रतिदिन निकलता है. वहीं मुख्य नगर पालिका अधिकारी ने जानकारी देते हुए कहा कि 10 लाख की लागत से हम ने एमआरएफ का निर्माण किया है गीले कचरे से खाद बनाया जा रहा है. वहीम प्लास्टिक कांच सहित सभी सूखा कचरा अलग अलग इकट्ठा कर बेचेंगे, 70% लोग गीला-सूखा कचरा समझने लगे है हमारे द्वारा जागरूक किया जा रहा है आगे 100% कचरा गिला सूखा इक्कठा कर लेंगे.

रायसेन। शहर में आने वाली पीढ़ी को कचरे का पहाड़ देखने की बुरी स्थिति का सामना नहीं करना पड़ेगा, चाहे शहर से रोजाना कितना भी कचरा क्यों न बाहर आए, इसके लिए नगर निगम ने 10 लाख की लागत से सॉलिड वेस्ट का बेहतर मैनेजमेंट तैयार किया है. जो अब इस गति से दौड़ रही है कि रोजाना टनों से कचरा शहर से निकलने के बावजूद सालों पुराने एकड़ के कचरा डंपिंग ग्राउंड जल्द खत्म कर दिया जाएगा. प्रतिदिन शहर से निकलने वाले कचरे से जैविक खाद तैयार होना शुरु हो गया है. सी एंड डी अपशिष्ट संग्रहण केंद्र खेरावाद के गीले कचरे से सब सामग्री अलग-अलग कर जैविक खाद में तब्दील करने लगे है. बताया गया है ये खाद बाजार की तुलना में सस्ता मिलेगा और खेतों के लिए लाभकारी होगी.

लघु मटेरियल रिकवरी फैसिलिटी सेंटर

गीले सूखे कचरे से भी नपा को आय होगी, शहर का होगा ये फायदा

वहीं पास में नपा ने लघु मटेरियल रिकवरी फैसिलिटी सेंटर (MRF) बनाया है. सूखे कचरे में कागज, गत्ते, पॉलीथिन, डिस्पोजल, प्लास्टिक, कांच, लकड़ी सहित अन्य कचरा शामिल है जिन को कचड़े से निकाल कर अलग अलग डिब्बे में केंद्र पर एकत्रित किया जा रहा है, जो जलाने योग्य है उस को गड्ढे में डाल कर आग लगा कर नष्ट कर दिया जाता है. इन सबको जैविक खाद सहित कांच. लोहा प्लास्टिक को बाजार में बेचा जाएगा जिस से नपा का बजट भी बढ़ेगा और स्वास्थ्य सुंदर शहर बनेगा बड़े बड़े कचड़े के ढेर और बदबू से राहत मिलेगी.

प्लांट में काम करने वाले नपा कर्मचारी ओमप्रकाश ने बताया यहां पर कचरा साफ किया जाता है. गिला सूखा अलग करते है प्लस्टिक लोहा कांच अन्य पदार्थ अलग किया जाता है. 10-12 टन कचरा प्रतिदिन निकलता है. वहीं मुख्य नगर पालिका अधिकारी ने जानकारी देते हुए कहा कि 10 लाख की लागत से हम ने एमआरएफ का निर्माण किया है गीले कचरे से खाद बनाया जा रहा है. वहीम प्लास्टिक कांच सहित सभी सूखा कचरा अलग अलग इकट्ठा कर बेचेंगे, 70% लोग गीला-सूखा कचरा समझने लगे है हमारे द्वारा जागरूक किया जा रहा है आगे 100% कचरा गिला सूखा इक्कठा कर लेंगे.

Last Updated : Jan 20, 2021, 9:51 AM IST
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