मुरैना। कांग्रेस महापौर प्रत्याशी शारदा सोलंकी ने 14 हजार 631 वोटों से जीत हासिल की. मुरैना नगर निगम सीट पर भी जीतने का ट्रेंड ग्वालियर जैसा ही है. यहाँ भी हर राउंड में बीजेपी पिछड़ती रही. इसके साथ ही मुरैना नगर निगम में बीजेपी के कई ऐसे दिग्गज पार्षदों को भी हार का सामना करना पड़ा है. मुरैना नगर निगम सीट पर बीजेपी की पूरी सरकार ने ताकत झोंक दी लेकिन इसके बावजूद उन्हें करारी हार का सामना करना पड़ा. खुद सीएम शिवराज सिंह चौहान, केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर, ज्योतिरादित्य सिंधिया और वीडी शर्मा पूरी ताकत के साथ प्रचार प्रसार में लगे रहे.
दिग्गजों को जनता ने नकार दिया : इसके साथ ही केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया का गढ़ होने के कारण वह लगातार प्रचार प्रसार के दौरान वार्ड टू वार्ड में दौड़ते नजर आए लेकिन अबकी बार शहर की जनता ने बीजेपी को पूरी तरह से नकार दिया. बताया जा रहा है कि संघ और तोमर की पसंद से यहां पर बीजेपी प्रत्याशी को मैदान में उतारा था लेकिन लेकिन अब की बार बीजेपी की कोई भी रणनीति काम नहीं आई.
सिंधिया व तोमर की साख पर सवाल : चंबल की सबसे महत्वपूर्ण ग्वालियर और मुरैना सीट हारने के बाद बीजेपी के सबसे कद्दावर नेता केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया और नरेंद्र सिंह तोमर की साख पर कई सवाल खड़े होने लगे हैं. ज्यादा चिंता केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया और नरेंद्र सिंह तोमर को सताने लगी है क्योंकि आगामी साल में मध्यप्रदेश में विधानसभा चुनाव होना है. वहीं बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा भी ग्वालियर और मुरैना की सीट हारने के बाद चिंता में होंगे, क्योंकि मुरैना उनका गृह नगर है.
बीजेपी का किला ध्वस्त : चम्बल अंचल केंद्रीय मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर का गढ़ माना जाता है. यहां से लोकसभा चुनाव में नरेन्द्र सिंह तोमर ने रेकॉर्ड जीत हासिल की थी. नगरीय निकाय चुनाव में बीजेपी की ओर से मेयर प्रत्याशी मीना जाटव उनकी पसंद बताई जाती है. बीजेपी कैंडिडेट को जिताने की जिम्मेदारी भी केंद्रीय मंत्री तोमर की थी. इसके अलावा मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान तथा केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने भी उनके समर्थन में प्रचार किया था. इसके बावजूद भी बीजेपी प्रत्याशी हार गई. (Shock to BJP veterans in Chambal) (Magic end of Scindia and Tomar)