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ये है मुरैना का अनोखा मंदिर, यहां श्रीकृष्ण करते थे मित्रों के साथ लीलाएं - जन्माष्टमी का अवसर

मुरैना गांव में दाऊजी मंदिर को ब्रजभूमि का अंतिम छोर माना गया है जहां कृष्ण भगवान मित्र के साथ लीलाएं करते थे.

मुरैना का दाऊजी मंदिर
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Published : Aug 23, 2019, 3:25 PM IST

मुरैना। जिले में ब्रजभूमि को अंतिम छोर माना जाता है, मान्यताओं के अनुसार भगवान श्रीकृष्ण यहां तक गाय चराने के लिए आया करते थे, इसलिए इस इलाके को ब्रजभूमि में ही माना जाता है. मुरैना स्थित दाऊजी मंदिर पर ही भगवान श्री कृष्ण और उनके मित्र लीलाएं किया करते थे.

मुरैना का अनोखा दाऊजी मंदिर


गांव में पुजारी परिवार के दाऊ भगवान श्री कृष्ण के सखा थे, वो उनको लीला दिखाते थे, जिससे प्रसन्न हो कर भगवान ने उनको उनके नाम से पुकारे जाने की बात कही, इसीलिए श्रीकृष्ण के इस मंदिर को आज भी दाऊजी मंदिर के नाम से जाना जाता है. जन्माष्टमी के अवसर पर हर साल यहां पर लीला मेले का आयोजन भी किया जाता है.


पुजारी रामनिवास स्वामी ने बताया की मंदिर में ढाई दिनों तक भगवान रहते हैं और उतने समय के लिए द्वारका में भगवान के पट बंद रहते हैं, वहीं श्री कृष्ण का जन्म धूमधाम से मनाया जाता है, बड़ी संख्या में लोग यहां पहुंचकर जन्माष्टमी को मनाते हैं.

मुरैना। जिले में ब्रजभूमि को अंतिम छोर माना जाता है, मान्यताओं के अनुसार भगवान श्रीकृष्ण यहां तक गाय चराने के लिए आया करते थे, इसलिए इस इलाके को ब्रजभूमि में ही माना जाता है. मुरैना स्थित दाऊजी मंदिर पर ही भगवान श्री कृष्ण और उनके मित्र लीलाएं किया करते थे.

मुरैना का अनोखा दाऊजी मंदिर


गांव में पुजारी परिवार के दाऊ भगवान श्री कृष्ण के सखा थे, वो उनको लीला दिखाते थे, जिससे प्रसन्न हो कर भगवान ने उनको उनके नाम से पुकारे जाने की बात कही, इसीलिए श्रीकृष्ण के इस मंदिर को आज भी दाऊजी मंदिर के नाम से जाना जाता है. जन्माष्टमी के अवसर पर हर साल यहां पर लीला मेले का आयोजन भी किया जाता है.


पुजारी रामनिवास स्वामी ने बताया की मंदिर में ढाई दिनों तक भगवान रहते हैं और उतने समय के लिए द्वारका में भगवान के पट बंद रहते हैं, वहीं श्री कृष्ण का जन्म धूमधाम से मनाया जाता है, बड़ी संख्या में लोग यहां पहुंचकर जन्माष्टमी को मनाते हैं.

Intro:एंकर - मुरैना जिला में ब्रजभूमि का अंतिम छोर माना जाता है। मान्यताओं के अनुसार भगवान श्रीकृष्ण मुरैना जिले तक गाय चराने के लिए आते थे। इसलिए इस इलाके को ब्रजभूमि में ही माना जाता है मुरैना के पास स्थित मुरैना दाऊजी मंदिर पर ही रुककर भगवान और उनके मित्र अपने लीलाएं किया करते थे। जिसके चलते हर साल यहां पर लीला मेले का आयोजन भी किया जाता है। जन्माष्टमी के अवसर पर मंदिर पर विशेष इंतजाम किए जाते हैं और भगवान श्री कृष्ण का जन्म बड़ी ही धूमधाम से मनाया जाता है।


Body:वीओ1 - मान्यता के अनुसार मुरैना गांव में पुजारी परिवार के दाऊ भगवान श्री कृष्ण के सखा थे वो उनको लीला दिखाते थे। जैसे प्रसन्न होकर भगवान ने उनको उनके नाम से पुकारे जाने की बात कही इसीलिए श्री कृष्ण के इस मंदिर को आज भी दाऊजी मंदिर के नाम से जाना जाता है। दाऊजी मंदिर पर हर साल एक बार लीला मेले का आयोजन किया जाता है।मंदिर में ढाई दिनों तक भगवान वास करते हैं और उतने समय के लिए द्वारका में भगवान के पट बंद रहते हैं। सालों से मंदिर के पुजारी के स्वामी परिवार में लीला मेले से पहले बच्चे का जन्म होता है जो लीला मेले में आयोजित भगवान श्रीकृष्ण की लीलाएं करता है।

बाइट1 - रामनिवास स्वामी - पुजारी दाऊजी मंदिर।


Conclusion:वीओ2 - दाऊजी के इस प्राचीन मंदिर पर आसपास के ही नहीं बल्कि दूर-दूर से लोग दाऊजी पर दर्शनों के लिए आते हैं। जन्माष्टमी पर तो मंदिर की सजावट देखने लायक होगी बड़ी संख्या में भर्तियां पर भगवान के जन्म दिवस को मनाएंगे।

बाइट2 - रमेश उपाध्याय - श्रद्धालु ।
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