मुरैना। जिले में ब्रजभूमि को अंतिम छोर माना जाता है, मान्यताओं के अनुसार भगवान श्रीकृष्ण यहां तक गाय चराने के लिए आया करते थे, इसलिए इस इलाके को ब्रजभूमि में ही माना जाता है. मुरैना स्थित दाऊजी मंदिर पर ही भगवान श्री कृष्ण और उनके मित्र लीलाएं किया करते थे.
गांव में पुजारी परिवार के दाऊ भगवान श्री कृष्ण के सखा थे, वो उनको लीला दिखाते थे, जिससे प्रसन्न हो कर भगवान ने उनको उनके नाम से पुकारे जाने की बात कही, इसीलिए श्रीकृष्ण के इस मंदिर को आज भी दाऊजी मंदिर के नाम से जाना जाता है. जन्माष्टमी के अवसर पर हर साल यहां पर लीला मेले का आयोजन भी किया जाता है.
पुजारी रामनिवास स्वामी ने बताया की मंदिर में ढाई दिनों तक भगवान रहते हैं और उतने समय के लिए द्वारका में भगवान के पट बंद रहते हैं, वहीं श्री कृष्ण का जन्म धूमधाम से मनाया जाता है, बड़ी संख्या में लोग यहां पहुंचकर जन्माष्टमी को मनाते हैं.