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मुरैना में जल के लिए 'जल' रहा इंसान, बूंद-बूंद पानी को है मोहताज - पानी की किल्लत

भीषण गर्मी के चलते पूरे मध्यप्रदेश में जल संकट गहरा गया है, लोग प्यास से व्याकुल हैं, पानी के लिए अवाम को मीलों का सफर तय करना पड़ रहा है. पानी के लिए लोग आपस में भिड़ जा रहे हैं, जिसके चलते प्रदेश सरकार ने जल स्रोतों के पास पुलिस कर्मियों की तैनाती की है, ताकि शांति व्यवस्था बनी रहे, जबकि सरकार का दावा है कि जहां भी पानी का अभाव है, वहां टैंकर व अन्य माध्यमों से पानी की आपूर्ति कराई जा रही है.

जल बिन जीवन की जंग
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Published : Jun 20, 2019, 12:13 AM IST

Updated : Jun 20, 2019, 12:57 AM IST

मुरैना। जल नहीं तो कल नहीं, जल नहीं तो जीवन नहीं, इसी जल की चिंता में अवाम रोजाना जल रहा है क्योंकि प्यास से हलक सूखे हैं, धरती का सीना चीरने के बाद भी उसकी प्यास नहीं बुझ रही, ऊपर से आसमान से बरसती आग पानी के स्रोतों को रसातल में धकेल रही है. मुरैना शहर में पेयजल आपूर्ति दशकों पुरानी जर्जर एवं टूटी-फूटी पाइप लाइन के जरिये की जा रही थी, लेकिन भीषण गर्मी ने उस पर भी ब्रेक लगा दिया, अब दो दिनों से लोग पानी के लिए तड़प रहे हैं.

जल बिन जीवन की जंग

लोग बताते हैं कि नलों की टोटी से एक-दो बाल्टी पानी ही भर पाते हैं कि नलों के कंठ सूख जाते हैं. जिसके चलते लोग हैंड पंप व कुओं की ओर दौड़ लगाते हैं, वहां भी पानी नहीं मिल पाने से नागरिकों में असंतोष बढ़ रहा है, जबकि निकाय प्रशासन पेयजल प्रभावित क्षेत्रों में टैंकरों से जलापूर्ति करने का दावा कर रहा है.

भले ही प्रशासन पानी की कमी से इनकार कर रहा है और प्रभावित क्षेत्रों में पानी की आपूर्ति का वादा कर रहा है, लेकिन इस प्रचंड गर्मी में पानी के बिना दो-चार घंटे बिताना भी कितना मुश्किल होता है, इसका आंकलन तो जल के अभाव में जल रहे लोग ही सही तरीके से कर सकते हैं.

मुरैना। जल नहीं तो कल नहीं, जल नहीं तो जीवन नहीं, इसी जल की चिंता में अवाम रोजाना जल रहा है क्योंकि प्यास से हलक सूखे हैं, धरती का सीना चीरने के बाद भी उसकी प्यास नहीं बुझ रही, ऊपर से आसमान से बरसती आग पानी के स्रोतों को रसातल में धकेल रही है. मुरैना शहर में पेयजल आपूर्ति दशकों पुरानी जर्जर एवं टूटी-फूटी पाइप लाइन के जरिये की जा रही थी, लेकिन भीषण गर्मी ने उस पर भी ब्रेक लगा दिया, अब दो दिनों से लोग पानी के लिए तड़प रहे हैं.

जल बिन जीवन की जंग

लोग बताते हैं कि नलों की टोटी से एक-दो बाल्टी पानी ही भर पाते हैं कि नलों के कंठ सूख जाते हैं. जिसके चलते लोग हैंड पंप व कुओं की ओर दौड़ लगाते हैं, वहां भी पानी नहीं मिल पाने से नागरिकों में असंतोष बढ़ रहा है, जबकि निकाय प्रशासन पेयजल प्रभावित क्षेत्रों में टैंकरों से जलापूर्ति करने का दावा कर रहा है.

भले ही प्रशासन पानी की कमी से इनकार कर रहा है और प्रभावित क्षेत्रों में पानी की आपूर्ति का वादा कर रहा है, लेकिन इस प्रचंड गर्मी में पानी के बिना दो-चार घंटे बिताना भी कितना मुश्किल होता है, इसका आंकलन तो जल के अभाव में जल रहे लोग ही सही तरीके से कर सकते हैं.

Intro:यूं तो नगर में पेयजल आपूर्ति के हालात शुरू से ही अच्छे नहीं थे। दशकों पुरानी जर्जर एवं टूटी फूटी पाइप लाइन से जो थोड़ा बहुत पानी मिल रहा था। लोग अपेक्षाकृत कम मिल रहे पानी से किसी तरह काम चला रहे थे। हाल ही में भीषण गर्मी के मौसम ने रही सही कसर पूरी कर दी है। नगर के कई क्षेत्रों में इन दिनों जल संकट के कारण गंभीर हालात बने हुए हैं। नलों की टोंटी से लोग किसी तरह एक दो बाल्टी पानी भर पाते हैं कि नलों के कंठ सूख जाते हैं। इस कारण लोगों को हैंड पंप अथवा कुओं की ओर दौड़ लगानी पड़ती है। दिन बा दिन गहरे होते जा रहे जल संकट से जहां नागरिकों में असंतोष बढ़ रहा है वहीं निकाय प्रशासन पेयजल प्रभावित क्षेत्रों में टैंकरों से जलापूर्ति करने का दावा कर रहा है।
Body:गर्मी के मौसम में नगर की जल आपूर्ति व्यवस्था पूरी तरह चरमरा गई है। नगर के कई वार्डों मेंं नागरिक भारी जल संकट का सामना कर रहे हैं। खासकर वार्ड क्रमांक एक 12 एवं 13 में नागरिकों को विगत कई दिनों से नलों से पानी नहीं मिल पा रहा है। इस कारण नागरिकों में असंतोष बढ़ रहा है। हालांकि निकाय प्रशासन जलापूर्ति प्रभावित क्षेत्रों में टैंकर्स के माध्यम से पानी पहुंचाने का दावा कर रहा है। लेकिन स्थानीय लोगों के मुताबिक टैंकरों से उनके गुजारे लायक पानी नहीं मिल पा रहा है। इस कारण नागरिक बूंद बूंद पानी के लिए तरस रहे
बाईट- सीएमओ रामप्रकाश जगनेरिया
बाईट- मनोज बाल्मिक स्थानीय निवासी Conclusion:
Last Updated : Jun 20, 2019, 12:57 AM IST
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