मुरैना। जल नहीं तो कल नहीं, जल नहीं तो जीवन नहीं, इसी जल की चिंता में अवाम रोजाना जल रहा है क्योंकि प्यास से हलक सूखे हैं, धरती का सीना चीरने के बाद भी उसकी प्यास नहीं बुझ रही, ऊपर से आसमान से बरसती आग पानी के स्रोतों को रसातल में धकेल रही है. मुरैना शहर में पेयजल आपूर्ति दशकों पुरानी जर्जर एवं टूटी-फूटी पाइप लाइन के जरिये की जा रही थी, लेकिन भीषण गर्मी ने उस पर भी ब्रेक लगा दिया, अब दो दिनों से लोग पानी के लिए तड़प रहे हैं.
लोग बताते हैं कि नलों की टोटी से एक-दो बाल्टी पानी ही भर पाते हैं कि नलों के कंठ सूख जाते हैं. जिसके चलते लोग हैंड पंप व कुओं की ओर दौड़ लगाते हैं, वहां भी पानी नहीं मिल पाने से नागरिकों में असंतोष बढ़ रहा है, जबकि निकाय प्रशासन पेयजल प्रभावित क्षेत्रों में टैंकरों से जलापूर्ति करने का दावा कर रहा है.
भले ही प्रशासन पानी की कमी से इनकार कर रहा है और प्रभावित क्षेत्रों में पानी की आपूर्ति का वादा कर रहा है, लेकिन इस प्रचंड गर्मी में पानी के बिना दो-चार घंटे बिताना भी कितना मुश्किल होता है, इसका आंकलन तो जल के अभाव में जल रहे लोग ही सही तरीके से कर सकते हैं.