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नई अफीम फसल नीति जारी! किसानों को पूरी करनी होगी ये शर्तें, तभी मिलेगा लाइसेंस

केंद्र सरकार ने देर रात नई अफीम नीति जारी कर दी है, जिससे नए फसली सीजन में अफीम की खेती करने वाले किसानों को तैयारी करने का मौका मिल जाएगा. साथ ही ये भी तय हो जाएगा कि किन किसानों को लाइसेंस मिलना है और किनको नहीं मिलना है, इससे जिन किसानों को लाइसेंस नहीं मिलने वाला है, वो किसान दूसरी फसल की तैयारी समय रहते कर लेंगे.

new opium crop policy for new crop season
खेत में तैयार अफीम की फसल
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Published : Oct 12, 2021, 1:21 PM IST

मंदसौर। केंद्रीय वित्त मंत्रालय के राजस्व विभाग ने देर रात्रि 11 अक्टूबर को 2021-22 के लिए बहुप्रतीक्षित नई अफीम नीति जारी कर दी है. 2020-21 में जिन किसानों ने अफीम की पैदावार की थी और औसतन 4.2 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर से मार्फिन पाई थी, उन किसानों को एक बार फिर पट्टा दिया जाएगा. एमपी के मंदसौर-नीमच-रतलाम सहित कई जिलों में अफीम मुख्य फसल है, ऐसे में नई नीति के जारी होने से किसान आगे की तैयारी जल्द शुरू कर सकते हैं.

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4.2 मार्फिन पर पुनः पट्टा दिया जाएगा

नीति के अनुसार जिन किसानों की अफीम में मार्फिन की अधिक मात्रा पाई गई है, उनको प्रोत्साहन देने की नीति जारी रखते हुए तय स्लैब के अनुसार अधिक आरी के पट्टे मिलेंगे. नीति पर अफीम के बम्पर स्टॉक का भी प्रभाव रहा है, लिहाजा सांसदों की विभिन्न मांगों को दरकिनार कर ज्यादा रियायतें नहीं मिल पाई हैं और नीति का स्वरूप लगभग गत वर्ष जैसा ही है.

ज्यादा किसानों के पट्टे बरकरार रखने की कोशिश

पिछले वर्ष घोषित नीति में वर्णित पूर्व चेतावनी में वर्ष 2021-22 के लिए लाइसेंस की पात्रता हेतु प्रति हेक्टेयर न्यूनतम 5.9 किलोग्राम मार्फिन की मात्रा तय की गई थी, इसके बाद लंबे समय से किसानों के विरोध के चलते केंद्र सरकार ने पात्रता हेतु न्यूनतम मार्फिन मात्रा औसत में प्रति हेक्टेयर 1.7 किलोग्राम औसत मार्फिन की मात्रा कम की है और औसत इस तरह निर्धारित किया गया है कि ज्यादा से ज्यादा किसानों के पट्टे बरकरार रह सकें. जिन किसानों ने विभागीय देखरेख में फसल हंकवा दी थी, उनको पट्टे पुनः मिलेंगे.

इन किसानों को होगी पट्टे की पात्रता

वर्ष 2021-22 के लिए निर्धारित अफीम नीति के अनुसार लाइसेंस की पात्रता इस प्रकार है.

  • ऐसे किसान जिन्होंने गत फसल वर्ष 2020-21 में अफीम की काश्त कर जो अफीम सरकार को सौंपी थी, उसकी शुद्धता परीक्षण में मार्फिन की औसत मात्रा 4.2 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर से कम नहीं पाई गई है, उनको पुनः पट्टा मिलेगा.
  • ऐसे किसान जिन्होंने विभागीय देखरेख में नियमानुसार फसल वर्ष 2018-19, 2019-20 और 2020-21 के दौरान अपनी संपूर्ण अफीम फसल जुताई की हो, पर इससे पूर्व 2017-18 में संपूर्ण फसल जुताई नहीं थी, उनको पुनः पट्टा मिलेगा.
  • ऐसे किसान को जिनकी लाइसेंस मंजूर नहीं करने की अपील को फसल वर्ष 2020-21 में पट्टा वितरण की अंतिम तारीख के बाद अनुमति दे दी गई थी, पुनः पट्टा मिलेगा.
  • ऐसे किसान जिनका, NDPS एक्ट के तहत किसी सक्षम अदालत में किसी अपराध के लिए आरोप के आधार पर लाfसेंस समाप्त कर दिया गया हो और सक्षम अदालत द्वारा उन्हें बरी कर दिया गया हो एवं 31 जुलाई 2021 तक ये आदेश अंतिम हो चुके हो, ऐसे किसानों को भी पुनः पट्टा दिया जाएगा, बशर्ते वे अन्य शर्तें पूरी करता हो.

कितने आरी क्षेत्र के लिये मिलेगा पट्टा

अफीम नीति का दूसरा पहलू यह है कि पात्र किसानों को कितने क्षेत्र के लिये अफीम का पट्टा दिया जाएगा, इस संदर्भ में सरकार ने अधिक मात्रा में मार्फिन वाली अफीम देने वाले किसानों को प्रोत्साहन देने की तैयारी की है. गत वर्ष जैसी नीति को जारी रखते हुए यह संदेश दिया है कि जिनकी अफीम शुद्ध तथा अधिक मार्फिन मात्रा देने वाली होगी, उसे सरकार अधिक आकार का पट्टा देकर पुरस्कृत करेगी. इस कसौटी पर वर्ष 2020-21 में किसानों द्वारा दी गई अफीम में प्राप्त मार्फिन की मात्रा के अनुसार निम्न स्लैब के आधर पर पट्टे देंगे.

  • प्रति हेक्टेयर 4.2 और इससे अधिक किंतु 5.0 किलोग्राम से कम औसत मार्फिन मात्रा पर 06 आरी का पट्टा मिलेगा.
  • प्रति हेक्टेयर 5.0 और इससे अधिक किंतु 5.9 किलोग्राम से कम औसत मार्फिन पर 10 आरी का पट्टा मिलेगा.
  • प्रति हेक्टेयर 5.9 किलोग्राम और इससे अधिक औसत मार्फिन की स्थिति में 12 आरी का पट्टा दिया जाएगा, यहां यह स्पष्ट कर दें कि मार्फिन औसत के उक्त वर्णित आधारों के अलावा अन्य नीतिगत प्रावधान के अनुसार पात्र किसानों को पांच-पांच आरी के पट्टे दिये जाएंगे.
  • वे किसान जिन्हें 10 हेक्टर तक का लाइसेंस प्राप्त है, वे एक भूखंड पर ही अफीम की बुआई कर सकते हैं और 10 हेक्टर से अधिक का लाइसेंस प्राप्त करने वाले किसान दो भूखंडों में अफीम की बुआई कर सकते हैं. यदि किसान चाहें तो उनको दूसरों के स्वामित्व वाले भूखंडों को पट्टे पर लेने की अनुमति दी जा सकती है, ताकि उतनी जमीन पर खेती कर सकें, जितने के लिये लाइसेंस दिया गया है.

पूर्व चेतावनी

  • सरकार ने नव घोषित नीति में भी पूर्व चेतावनी जारी करते हुए यह स्पष्ट किया है कि आने वाले अफीम फसल वर्ष 2022-23 में अफीम की खेती के लिये अपना पट्टा बरकरार रखने के लिए जो किसान वर्ष 2021-22 में सरकार को अफीम देंगे, उसमें 5.9 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर न्यूनतम औसत मार्फिन देना अनिवार्य होगा.
  • वर्ष 2021-22 के दौरान दी गई अफीम में मार्फिन की मात्रा को फसल वर्ष 2021-22 के भुगतान का आधार माना जा सकता है, यदि सरकार इस बारे में निर्णय लें.

मंदसौर। केंद्रीय वित्त मंत्रालय के राजस्व विभाग ने देर रात्रि 11 अक्टूबर को 2021-22 के लिए बहुप्रतीक्षित नई अफीम नीति जारी कर दी है. 2020-21 में जिन किसानों ने अफीम की पैदावार की थी और औसतन 4.2 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर से मार्फिन पाई थी, उन किसानों को एक बार फिर पट्टा दिया जाएगा. एमपी के मंदसौर-नीमच-रतलाम सहित कई जिलों में अफीम मुख्य फसल है, ऐसे में नई नीति के जारी होने से किसान आगे की तैयारी जल्द शुरू कर सकते हैं.

Bollywood का मंदसौर से अफीम कनेक्शन, मायानगरी तक पहुंचा एमपी का जिला

4.2 मार्फिन पर पुनः पट्टा दिया जाएगा

नीति के अनुसार जिन किसानों की अफीम में मार्फिन की अधिक मात्रा पाई गई है, उनको प्रोत्साहन देने की नीति जारी रखते हुए तय स्लैब के अनुसार अधिक आरी के पट्टे मिलेंगे. नीति पर अफीम के बम्पर स्टॉक का भी प्रभाव रहा है, लिहाजा सांसदों की विभिन्न मांगों को दरकिनार कर ज्यादा रियायतें नहीं मिल पाई हैं और नीति का स्वरूप लगभग गत वर्ष जैसा ही है.

ज्यादा किसानों के पट्टे बरकरार रखने की कोशिश

पिछले वर्ष घोषित नीति में वर्णित पूर्व चेतावनी में वर्ष 2021-22 के लिए लाइसेंस की पात्रता हेतु प्रति हेक्टेयर न्यूनतम 5.9 किलोग्राम मार्फिन की मात्रा तय की गई थी, इसके बाद लंबे समय से किसानों के विरोध के चलते केंद्र सरकार ने पात्रता हेतु न्यूनतम मार्फिन मात्रा औसत में प्रति हेक्टेयर 1.7 किलोग्राम औसत मार्फिन की मात्रा कम की है और औसत इस तरह निर्धारित किया गया है कि ज्यादा से ज्यादा किसानों के पट्टे बरकरार रह सकें. जिन किसानों ने विभागीय देखरेख में फसल हंकवा दी थी, उनको पट्टे पुनः मिलेंगे.

इन किसानों को होगी पट्टे की पात्रता

वर्ष 2021-22 के लिए निर्धारित अफीम नीति के अनुसार लाइसेंस की पात्रता इस प्रकार है.

  • ऐसे किसान जिन्होंने गत फसल वर्ष 2020-21 में अफीम की काश्त कर जो अफीम सरकार को सौंपी थी, उसकी शुद्धता परीक्षण में मार्फिन की औसत मात्रा 4.2 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर से कम नहीं पाई गई है, उनको पुनः पट्टा मिलेगा.
  • ऐसे किसान जिन्होंने विभागीय देखरेख में नियमानुसार फसल वर्ष 2018-19, 2019-20 और 2020-21 के दौरान अपनी संपूर्ण अफीम फसल जुताई की हो, पर इससे पूर्व 2017-18 में संपूर्ण फसल जुताई नहीं थी, उनको पुनः पट्टा मिलेगा.
  • ऐसे किसान को जिनकी लाइसेंस मंजूर नहीं करने की अपील को फसल वर्ष 2020-21 में पट्टा वितरण की अंतिम तारीख के बाद अनुमति दे दी गई थी, पुनः पट्टा मिलेगा.
  • ऐसे किसान जिनका, NDPS एक्ट के तहत किसी सक्षम अदालत में किसी अपराध के लिए आरोप के आधार पर लाfसेंस समाप्त कर दिया गया हो और सक्षम अदालत द्वारा उन्हें बरी कर दिया गया हो एवं 31 जुलाई 2021 तक ये आदेश अंतिम हो चुके हो, ऐसे किसानों को भी पुनः पट्टा दिया जाएगा, बशर्ते वे अन्य शर्तें पूरी करता हो.

कितने आरी क्षेत्र के लिये मिलेगा पट्टा

अफीम नीति का दूसरा पहलू यह है कि पात्र किसानों को कितने क्षेत्र के लिये अफीम का पट्टा दिया जाएगा, इस संदर्भ में सरकार ने अधिक मात्रा में मार्फिन वाली अफीम देने वाले किसानों को प्रोत्साहन देने की तैयारी की है. गत वर्ष जैसी नीति को जारी रखते हुए यह संदेश दिया है कि जिनकी अफीम शुद्ध तथा अधिक मार्फिन मात्रा देने वाली होगी, उसे सरकार अधिक आकार का पट्टा देकर पुरस्कृत करेगी. इस कसौटी पर वर्ष 2020-21 में किसानों द्वारा दी गई अफीम में प्राप्त मार्फिन की मात्रा के अनुसार निम्न स्लैब के आधर पर पट्टे देंगे.

  • प्रति हेक्टेयर 4.2 और इससे अधिक किंतु 5.0 किलोग्राम से कम औसत मार्फिन मात्रा पर 06 आरी का पट्टा मिलेगा.
  • प्रति हेक्टेयर 5.0 और इससे अधिक किंतु 5.9 किलोग्राम से कम औसत मार्फिन पर 10 आरी का पट्टा मिलेगा.
  • प्रति हेक्टेयर 5.9 किलोग्राम और इससे अधिक औसत मार्फिन की स्थिति में 12 आरी का पट्टा दिया जाएगा, यहां यह स्पष्ट कर दें कि मार्फिन औसत के उक्त वर्णित आधारों के अलावा अन्य नीतिगत प्रावधान के अनुसार पात्र किसानों को पांच-पांच आरी के पट्टे दिये जाएंगे.
  • वे किसान जिन्हें 10 हेक्टर तक का लाइसेंस प्राप्त है, वे एक भूखंड पर ही अफीम की बुआई कर सकते हैं और 10 हेक्टर से अधिक का लाइसेंस प्राप्त करने वाले किसान दो भूखंडों में अफीम की बुआई कर सकते हैं. यदि किसान चाहें तो उनको दूसरों के स्वामित्व वाले भूखंडों को पट्टे पर लेने की अनुमति दी जा सकती है, ताकि उतनी जमीन पर खेती कर सकें, जितने के लिये लाइसेंस दिया गया है.

पूर्व चेतावनी

  • सरकार ने नव घोषित नीति में भी पूर्व चेतावनी जारी करते हुए यह स्पष्ट किया है कि आने वाले अफीम फसल वर्ष 2022-23 में अफीम की खेती के लिये अपना पट्टा बरकरार रखने के लिए जो किसान वर्ष 2021-22 में सरकार को अफीम देंगे, उसमें 5.9 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर न्यूनतम औसत मार्फिन देना अनिवार्य होगा.
  • वर्ष 2021-22 के दौरान दी गई अफीम में मार्फिन की मात्रा को फसल वर्ष 2021-22 के भुगतान का आधार माना जा सकता है, यदि सरकार इस बारे में निर्णय लें.
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