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मेडल की तीरंदाज: जिसने कम उम्र में ही हासिल किया बड़ा मुकाम

मंडला जिले की सोनिया रजक एक ऐसी खिलाड़ी हैं, जिसे वूशु प्लेयर कह लिया जाए या फिर तीरंदाज, चाहे फिर एथलेटिक्स प्लेयर. क्योंकि 22 साल की उम्र में ही सोनिया इन तीनों खेलों में महारत हासिल कर चुकी हैं. जिसने तीनों खेलों में कई मेडल भी जीते हैं. ईटीवी भारत खेल दिवस पर आपको इस प्रतिभावान खिलाड़ी से मिलाने जा रहा है, जिसने मंडला जैसे जिले से निकल कर राष्ट्रीय स्तर के खेलों में अपनी पहचान बनाई है.

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मेडल की तीरंदाज
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Published : Aug 29, 2020, 12:02 AM IST

मंडला। आदिवासी बहुल मंडला जिले से अगर कोई खिलाड़ी 22 साल की उम्र में ही राष्ट्रीय स्तर के तीन खेलों में अपनी पहचान बना ले, तो ये थोड़ा मुश्किल लगता है. लेकिन इस मुश्किल काम को भी कर दिखाया है मंडला की सोनिया रजक ने, जो बुशु, एथलेटिक्स और तीरंताजी जैसे खेलों में महारत रखती हैं. यही वजह है कि, सोनिया को इतने तमगे और ट्रॉफी मिल चुकी हैं, कि अब उन्हें रखने के लिए जगह भी नहीं हैं. सोनिया रजक की उम्र 22 साल है. जो अब तक पांच बार राष्ट्रीय स्तर पर तीरंदाजी की प्रतियोगिता में हिस्सा ले चुकी हैं. जिसके नाम स्टेट और नेशनल लेवल पर कई मेडल हैं. बुशु और एथलेटिक्स में भी सोनिया दर्जनों मेडल जीत चुकी हैं.

मेडल की तीरंदाज

विरासत में मिला खेल

सोनिया रजक को खेल विरासत में मिला है. उसकी मां कबड्डी की खिलाड़ी थीं और उनकी बड़ी बहन पूर्णिमा वूशु की राष्ट्रीय खिलाड़ी है. ऐसे में सोनिया की शुरुआत भी चाइनीज खेल वूशु से ही हुई. जहां उसने स्टेट के साथ नेशनल टूर्नामेंट में दर्जन भर के करीब पदक जीते. इसके बाद अचानक सोनिया का रुझान तीरंदाजी की तरफ बढ़ा और यहां भी उसने सफलता के झंडे फहरा दिए. सोनिया अब तक एक दर्जन के करीब राज्यस्तरीय प्रतियोगिता में मेडल जीत चुकी हैं.

अपनी बहन पूर्णिमा रजक के साथ सोनिया
अपनी बहन पूर्णिमा रजक के साथ सोनिया

वूशु में सोनिया ने स्टेट लेवल पर जीते पदक

  • 2007 भोपाल में गोल्ड मेडल
  • 2008 भोपाल में गोल्ड मेडल
  • 2010 भोपाल में ब्रांज मेडल
  • 2001 जबलपुर में सिल्वर मेडल
  • 2012 जबलपुर में गोल्ड मेडल
  • 2013 इंदौर में ब्रांज मेडल
  • 2014 जबलपुर में गोल्ड मेडल
  • 2015 अशोकनगर में गोल्ड मेडल
  • 2017 जबलपुर में सिल्वर मेडल
  • 2017 भोपाल में ब्रांज मेडल
  • 2019 जबलपुर में सिल्वर मेडल
    कई मेडल और ट्राफी जीत चुकी है सोनिया
    कई मेडल और ट्राफी जीत चुकी है सोनिया

तीरंदाजी स्टेट में जीते पदक

  • 2015 जबलपुर में गोल्ड मेडल
  • 2016 भोपाल में सिल्वर मेडल
  • 2016 जबलपुर में सिल्वर मेडल
  • 2017 भोपाल में ब्रांज मेडल
  • 2017 जबलपुर में सिल्वर मेडल

इसके अलावा सोनिया के पास करीब एक सैकड़ा प्रमाण पत्र और प्रशस्ति पत्र भी हैं, जो ये बताने के लिए काफी हैं कि, सोनिया रजक बस एक खेल तक सीमित न होकर बहुमुखी प्रतिभा की धनी हैं.

तीरंदाजी करती सोनिया रजक
तीरंदाजी करती सोनिया रजक

SI बनना चाहती हैं सोनिया

ईटीवी भारत को सोनिया रजक ने बताया कि, वे एसआई बनना चाहती हैं और स्पोर्ट्स के माध्यम से देश की सेवा करना चाहती हैं. कोरोना काल में भी सोनिया लगातार मेहनत कर रही हैं, हालांकि अभी मैदान में तीरंदाजी की प्रैक्टिस बंद है, बाबजूद इसके वे शारीरिक अभ्यास करने हर दिन स्टेडियम जाती हैं और जमकर मेहनत करती हैं. सोनिया के पिता प्रायवेट बस स्टैंड में बुकिंग एजेंट हैं जबकि उनकी मां नगर पालिका में कर्मचारी हैं. बावजूद इसके उन्होंने दोनों बेटियों के सपनों की उड़ान में कभी कमी नहीं आने दी और उनकी तपस्या का ही नतीजा है कि, आज बड़ी बेटी जहां वूशु में 16 राष्ट्रीय गोल्ड जीत कर गोल्डन गर्ल कहलाती है, तो छोटी बेटी भी उसी राह पर चल कर सफलता के नए आयाम लिख रही है.

मंडला। आदिवासी बहुल मंडला जिले से अगर कोई खिलाड़ी 22 साल की उम्र में ही राष्ट्रीय स्तर के तीन खेलों में अपनी पहचान बना ले, तो ये थोड़ा मुश्किल लगता है. लेकिन इस मुश्किल काम को भी कर दिखाया है मंडला की सोनिया रजक ने, जो बुशु, एथलेटिक्स और तीरंताजी जैसे खेलों में महारत रखती हैं. यही वजह है कि, सोनिया को इतने तमगे और ट्रॉफी मिल चुकी हैं, कि अब उन्हें रखने के लिए जगह भी नहीं हैं. सोनिया रजक की उम्र 22 साल है. जो अब तक पांच बार राष्ट्रीय स्तर पर तीरंदाजी की प्रतियोगिता में हिस्सा ले चुकी हैं. जिसके नाम स्टेट और नेशनल लेवल पर कई मेडल हैं. बुशु और एथलेटिक्स में भी सोनिया दर्जनों मेडल जीत चुकी हैं.

मेडल की तीरंदाज

विरासत में मिला खेल

सोनिया रजक को खेल विरासत में मिला है. उसकी मां कबड्डी की खिलाड़ी थीं और उनकी बड़ी बहन पूर्णिमा वूशु की राष्ट्रीय खिलाड़ी है. ऐसे में सोनिया की शुरुआत भी चाइनीज खेल वूशु से ही हुई. जहां उसने स्टेट के साथ नेशनल टूर्नामेंट में दर्जन भर के करीब पदक जीते. इसके बाद अचानक सोनिया का रुझान तीरंदाजी की तरफ बढ़ा और यहां भी उसने सफलता के झंडे फहरा दिए. सोनिया अब तक एक दर्जन के करीब राज्यस्तरीय प्रतियोगिता में मेडल जीत चुकी हैं.

अपनी बहन पूर्णिमा रजक के साथ सोनिया
अपनी बहन पूर्णिमा रजक के साथ सोनिया

वूशु में सोनिया ने स्टेट लेवल पर जीते पदक

  • 2007 भोपाल में गोल्ड मेडल
  • 2008 भोपाल में गोल्ड मेडल
  • 2010 भोपाल में ब्रांज मेडल
  • 2001 जबलपुर में सिल्वर मेडल
  • 2012 जबलपुर में गोल्ड मेडल
  • 2013 इंदौर में ब्रांज मेडल
  • 2014 जबलपुर में गोल्ड मेडल
  • 2015 अशोकनगर में गोल्ड मेडल
  • 2017 जबलपुर में सिल्वर मेडल
  • 2017 भोपाल में ब्रांज मेडल
  • 2019 जबलपुर में सिल्वर मेडल
    कई मेडल और ट्राफी जीत चुकी है सोनिया
    कई मेडल और ट्राफी जीत चुकी है सोनिया

तीरंदाजी स्टेट में जीते पदक

  • 2015 जबलपुर में गोल्ड मेडल
  • 2016 भोपाल में सिल्वर मेडल
  • 2016 जबलपुर में सिल्वर मेडल
  • 2017 भोपाल में ब्रांज मेडल
  • 2017 जबलपुर में सिल्वर मेडल

इसके अलावा सोनिया के पास करीब एक सैकड़ा प्रमाण पत्र और प्रशस्ति पत्र भी हैं, जो ये बताने के लिए काफी हैं कि, सोनिया रजक बस एक खेल तक सीमित न होकर बहुमुखी प्रतिभा की धनी हैं.

तीरंदाजी करती सोनिया रजक
तीरंदाजी करती सोनिया रजक

SI बनना चाहती हैं सोनिया

ईटीवी भारत को सोनिया रजक ने बताया कि, वे एसआई बनना चाहती हैं और स्पोर्ट्स के माध्यम से देश की सेवा करना चाहती हैं. कोरोना काल में भी सोनिया लगातार मेहनत कर रही हैं, हालांकि अभी मैदान में तीरंदाजी की प्रैक्टिस बंद है, बाबजूद इसके वे शारीरिक अभ्यास करने हर दिन स्टेडियम जाती हैं और जमकर मेहनत करती हैं. सोनिया के पिता प्रायवेट बस स्टैंड में बुकिंग एजेंट हैं जबकि उनकी मां नगर पालिका में कर्मचारी हैं. बावजूद इसके उन्होंने दोनों बेटियों के सपनों की उड़ान में कभी कमी नहीं आने दी और उनकी तपस्या का ही नतीजा है कि, आज बड़ी बेटी जहां वूशु में 16 राष्ट्रीय गोल्ड जीत कर गोल्डन गर्ल कहलाती है, तो छोटी बेटी भी उसी राह पर चल कर सफलता के नए आयाम लिख रही है.

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