भोपाल/मंडला। कोरोना वायरस के चलते देशभर में लगाए गए लॉकडाउन को अनलॉक करने की प्रक्रिया जारी है. अनलॉक 4.0 में भी स्कूलों को खोलने पर रोक तो जारी रखी गई. लेकिन नए दिशा निर्देशों के मुताबिक स्कूली छात्रों के लिए पढ़ना जरूरी किया गया है. लिहाजा छात्रों में दुविधा के हालात हैं कि आखिर पढ़ाई होनी कैसे है. क्योंकि जिन स्टूडेंट्स के पास डिजिटल सुविधा ही नहीं है, आखिर वे कैसे पढ़ाई करेंगे.
मध्य प्रदेश में शहरों से इतर ग्रामीण क्षेत्रों में ऑनलाइन पढ़ाई के लिए पर्याप्त सुविधाएं नहीं है. अधिकतर स्टूडेंट्स के पास मोबाइल तक नहीं है. घर में टीवी, रेडियो हैं भी तो बिजली कब चली जाए कोई भरोसा नहीं. ऐसे में इन छात्रों की पढ़ाई कितनी हो पा रही होगी यह आसानी से समझा जा सकता है.
क्या हैं अनलॉक 4.0 के दिशा निर्देश
- 30 सितंबर तक स्कूल, कॉलेज, शैक्षणिक संस्थान बंद रखे जाएंगे
- ऑनलाइन और डिस्टेंस लर्निंग की मंजूरी जारी रहेगी
- कंटेनमेंट जोन के बाहर 21 सितंबर से स्कूलों में 50 फीसदी टीचिंग और गैर टीचिंग स्टाफ बुलाने की इजाजत
- 9वीं से लेकर 12वीं क्लास में पढ़ने वाले बच्चे स्कूल जा सकते हैं अगर उन्हें टीचर से कुछ मदद लेनी हो तो
सरकारी स्कूलों में नहीं पर्याप्त सुविधाएं
मध्य प्रदेश के सरकारी स्कूलों में अनलॉक 4.0 के नियमों के तहत पर्याप्त सुविधाएं मौजूद नहीं है. क्योंकि मध्य प्रदेश में सरकारी आंकड़ों के मुताबिक मध्यप्रदेश में राज्य शासन के कुल 17,676 स्कूल हैं. इसमें सरकारी स्कूलों की संख्या 9361 है. जबकि प्राइवेट स्कूलों की संख्या 8,326 है. सरकारी स्कूलों की बात करें तो केवल 60 प्रतिशत स्कूल ही ऐसे हैं जहां ऑनलाइन कक्षाएं नियमित रूप से लगाई जा रही हैं, तो 20 प्रतिशत स्कूल ही ऐसे हैं जहां छात्रों से शिक्षक संपर्क में हैं बाकि 10 प्रतिशत स्कूल जो पूर्णत ग्रामीण क्षेत्रों में हैं, यहां ऑनलाइन कक्षाएं नहीं लग रही हैं. जबकि अति पिछड़े ग्रामीण क्षेत्रों में तो स्कूल लॉकडाउन के बाद से खुले तक नहीं हैं.
छात्रों के घरों में नहीं है टीवी, रेडियो और मोबाइल
मध्य प्रदेश के ग्रामीण क्षेत्रों में 60 प्रतिशत छात्रों के घर में स्मार्ट फोन नहीं है. अगर किसी के पास फोन है भी तो ग्रामीण क्षेत्रों में नेटवर्क की समस्या के चलते वे ऑनलाइन क्लास से नहीं जुड़ पाते. बच्चों का कहना है उनके घर में एक ही मोबाइल होता है. जिस पर पढ़ना आसान नहीं है. जबकि टीवी और रेडियो जैसी सुविधाएं भी नहीं है. ऐसे में उनकी पढ़ाई नहीं हो पा रही.
शिक्षक भी परेशान
भोपाल के सरकारी स्कूल में पढ़ाने वालीं टीचर उषा खरे बताती हैं कि शासन के यह नियम निजी स्कूलों के लिए ठीक हैं. लेकिन सरकारी स्कूलों की उम्मीदों पर यह खरे नहीं उतरते. शहरों से इतर ग्रामीण क्षेत्रों में स्थितियां खराब हैं. मंडला में जिले के शिक्षक संजीव सोनी बताते हैं, ग्रामीण अंचल में डिजिटल पढ़ाई दूर की कौड़ी नजर आती है. जहां बच्चों को स्कूलों तक लाना मुश्किल होता है. ऐसी जगहों पर डिजिटल पढ़ाई कैसे होगी.
स्कूल शिक्षा विभाग ऑनलाइन क्लासों पर बड़े- बड़े दावे कर रहा है. सरकारी रिकॉर्ड के मुताबिक 2020-21 का शैक्षणिक सत्र शुरु भी चुका है. जहां छात्रों की पढ़ाई जारी है. धीरे-धीरे सुविधाएं भी बढ़ाई जा रही हैं. लेकिन बड़ा सवाल यह है कि जहां छात्रों के पास मोबाइल और केबल कनेक्शन तक नहीं है. वहा पढ़ाई कैसे होगी. स्कूल शिक्षा विभाग कुछ भी कहे लेकिन ऑनलाइन पढ़ाई ग्रामीण अंचलों और सरकारी स्कूलों में सफल नजर नहीं आ रही है.