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पहले कीचड़ से भरा रास्ता, फिर बिना पुल की नदी, 'आखिर कैसे पढ़ें बच्चे, कैसे बढ़ें बच्चे' - mandla news

मंडला जिला मुख्यालय से 10 किलोमीटर दूर देवगांव तलैया टोला के ये बच्चे तालीम के लिए ऐसे ही जद्दोजहद करते हैं. एक तरफ कीचड़ से सराबोर सड़क है तो दूसरी तरफ बाढ़ से दहाड़ती मटियारी नदी.

कीचड़ का दरिया पार करके जाते है नौनिहाल
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Published : Jul 11, 2019, 11:43 AM IST

मंडला। 'ये शिक्षा का सफर है साहब बस इतना समझ लीजिये, मुसीबतों से भरा रास्ता है और पार करके जाना है'. जिस कीचड़ के दलदल वाले रास्ते में कोई अपना पैर भी नहीं रखना चाहता, उसी रास्ते से होकर ये नौनिहाल रोजाना स्कूल तक का सफर तय करते हैं. कीचड़ से भरा रास्ता छोटा-मोटा नहीं, बल्कि पूरे एक किलोमीटर लंबा है.

कीचड़ का दरिया पार करके जाते है नौनिहाल

मंडला जिला मुख्यालय से 10 किलोमीटर दूर देवगांव तलैया टोला के ये बच्चे तालीम के लिए ऐसे ही जद्दोजहद करते हैं. एक तरफ कीचड़ से सराबोर सड़क है तो दूसरी तरफ बाढ़ से दहाड़ती मटियारी नदी. इसमें तेज बहाव के चलते नाव ही नहीं चलती. जिसके चलते करीब 350 छात्र महीने में सिर्फ 4-5 दिन ही स्कूल पहुंच पाते हैं.

शर्मनाक बात ये है कि ये रास्ता राज्यसभा सांसद सम्पतिया उइके के गांव से महज आधा किलोमीटर दूर है. इतना ही नहीं देवगांव तलैया टोला के पास ही बम्हनी बंजर नगर है, जहां से कांग्रेस विधायक संजीव छोटे लाल उइके पिछले 5 साल से विधायक रह चुके हैं, बावजूद इसके इन नेताओं द्वारा एक पुल का निर्माण नहीं कराया गया है. पुल नहीं होने के चलते जहां बच्चे एक किलोमीटर दूर स्कूल नहीं जा पाते हैं, वहीं इस गांव का बारिश के चलते संपर्क भी टूट जाता है.

अधिकारियों से लेकर जनप्रतिनिधियों तक सभी जगह समस्या दूर करने के लिए आवेदन किए गए, लेकिन नतीजा वही ढाक के तीन पात ही साबित हुआ. अब इसका खमियाजा भुगतने के लिए बच्चे मजबूर हैं.

मंडला। 'ये शिक्षा का सफर है साहब बस इतना समझ लीजिये, मुसीबतों से भरा रास्ता है और पार करके जाना है'. जिस कीचड़ के दलदल वाले रास्ते में कोई अपना पैर भी नहीं रखना चाहता, उसी रास्ते से होकर ये नौनिहाल रोजाना स्कूल तक का सफर तय करते हैं. कीचड़ से भरा रास्ता छोटा-मोटा नहीं, बल्कि पूरे एक किलोमीटर लंबा है.

कीचड़ का दरिया पार करके जाते है नौनिहाल

मंडला जिला मुख्यालय से 10 किलोमीटर दूर देवगांव तलैया टोला के ये बच्चे तालीम के लिए ऐसे ही जद्दोजहद करते हैं. एक तरफ कीचड़ से सराबोर सड़क है तो दूसरी तरफ बाढ़ से दहाड़ती मटियारी नदी. इसमें तेज बहाव के चलते नाव ही नहीं चलती. जिसके चलते करीब 350 छात्र महीने में सिर्फ 4-5 दिन ही स्कूल पहुंच पाते हैं.

शर्मनाक बात ये है कि ये रास्ता राज्यसभा सांसद सम्पतिया उइके के गांव से महज आधा किलोमीटर दूर है. इतना ही नहीं देवगांव तलैया टोला के पास ही बम्हनी बंजर नगर है, जहां से कांग्रेस विधायक संजीव छोटे लाल उइके पिछले 5 साल से विधायक रह चुके हैं, बावजूद इसके इन नेताओं द्वारा एक पुल का निर्माण नहीं कराया गया है. पुल नहीं होने के चलते जहां बच्चे एक किलोमीटर दूर स्कूल नहीं जा पाते हैं, वहीं इस गांव का बारिश के चलते संपर्क भी टूट जाता है.

अधिकारियों से लेकर जनप्रतिनिधियों तक सभी जगह समस्या दूर करने के लिए आवेदन किए गए, लेकिन नतीजा वही ढाक के तीन पात ही साबित हुआ. अब इसका खमियाजा भुगतने के लिए बच्चे मजबूर हैं.

Intro:मण्डला जिले से राज्यसभा की सांसद सम्पतिया उइके के गाँव से महज आधा किलोमीटर दूर देवगांव, तलैया टोला के आधा सैकड़ा से ज्यादा बच्चे 24 जून से स्कूल खुलने के बाद आज तक स्कूल नहीं पहुँच पाए हैं जिसका कारण है एक तरफ कीचड़ से सराबोर सड़क तो दूसरी तरफ बाढ़ से दहाड़ती मटियारी नदी जिसमे तेज बहाव के चलते नाव ही नहीं चल रहीं और बच्चों का भविष्य अंधियारे में डूब रहा है


Body:मण्डला जिला मुख्यालय से दस किलोमीटर दूर देवगांव तलैयाटोले के बच्चे एक किलोमीटर दूर इस्थित दूर स्कूल का मुँह 24 जून से नहीं देख पा रहे जिसकी हिरदेनगर और इस गाँव के बीच नदी जिस पर बाढ़ के कारण पानी के तेज बहाव में नाव का न चलना,यह वही गाँव है जहाँ से जनपद के तीन चुनाव जीत कर सम्पतिया उइके राज्यसभा के लिए मनोनीत हुईं और उनका गाँव महज आधा किलोमीटर दूर है बाबजूद इसके यहाँ के ग्रामीण एक अदद पुल को तरस रहे हैं,दूसरी इस गाँव की दूरी जिला मुख्यालय से सिर्फ दस किलोमीटर है लेकिन पुल न होने के चलते जहाँ बच्चे एक किलोमीटर दूर स्कूल नही जा पाते वहीं इस गाँव का संपर्क ज़िले से बारिश के मौषम में कट जाता हैं,बात करें दूसरी सड़क का तो वह ऐसी है कि जिसमें किसी भी तरह का वाहन चलाना तो दूर पैदल चलना भी नामुमकिन सा है और इस माँर्ग से एक किलोमीटर दूर स्कूल की दूरी जहाँ 30 किलोमीटर हो जाती है वहीं जिला मुख्यालय 10 किलोमीटर दूर की वजाय 28 किलोमीटर दूर पड़ता है,स्थानीय निवासियों का कहना है कि इस नदी पर पुल की माँग अनेको बार की गई साथ ही कीचड़ से सनी सड़क को लेकर भी अधिकारियों से लेकर जनप्रतिनिधियों तक सभी जगह आवेदन किये गए लेकिन कभी इस गाँव की किसी ने सुध लेने की जहमत न उठाई,वहीं स्कूली बच्चों का कहना है कि वे लगभग हर दिन स्कूल बैग लेकर नदी के किनारे तक जाते हैं कि शायद नाव चल रही हो तो वे स्कूल पहुँच सकें लेकिन बरसात के मौषम में नाव वाले भी तेज बहाव के चलते किसी तरह का जोखिम नहीं लेना चाहते


Conclusion:इस गाँव के पास ही बम्हनी से कॉंग्रेश के विधायक संजीव छोटे लाल उइके पिछली पंचवर्षीय में विधायक थे और वर्तमान राज्यसभा सांसद सम्पतिया उइके भी करीबी गाँव से है और उनका आना जाना इस गाँव मे हमेसा रहा है बाबजूद इसके कभी किसी ने कल के भविष्य इन बच्चों की तरफ इस नज़र से देखने की जहमत न उठाई की स्कूल के बिना इन बच्चों का भविष्य कैसे संवरेगा और शिक्षा के अधिकार से आखिर कब तक ये आधा सैकड़ा से ज्यादा बच्चे महरूम रहेंगे, बता दें कि इस टोले की जनसंख्या लगभग 350 के करीब है और प्राथमिक स्तर की पढ़ाई के बाद स्कूल न होने के कारण आगे की पढ़ाई के लिए छात्र छात्राओं को हिरदेनगर जाना होता है।

बच्चों से कीचड़ के बीच खड़े होकर चर्चा
बाईट--संजय सोनी,शिक्षक
बाईट--मुकेश नंदा, स्थानीय निवासी
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