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ओंकारेश्वर में गया शिला पर लोगों ने किया पितरों को तर्पण

ओंकारेश्वर के कावेरी तट पर स्थित गया शिला में इन दिन लोग तर्पण के लिए पहुंच रहे हैं. लोग श्राद्ध तर्पण के 16 दिनों में गया शिला पर श्राद्ध तर्पण पिंडदान करते हैं.

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Published : Sep 10, 2020, 8:45 PM IST

tarpan at gaya-shila
गया शिला पर तर्पण

खंडवा। ओंकारेश्वर के कावेरी तट पर स्थित गया शिला नाम का अति प्राचीन स्थल है, जहां अनादि काल से सर्व पितृ मोक्ष अमावस्या पर श्राह पक्ष के 16 दिनों में श्राद्ध तर्पण करने का धार्मिक महत्व पुराणों में बताया गया है. जब सोमवती अमावस्या श्राद्ध पक्ष में आती है, उन दिनों इस स्थान का गया जी में किए गए तर्पण के बराबर महत्व पुराणों में भी वर्णित है.

पूरे प्रदेश से लोग श्राद्ध तर्पण के 16 दिनों में गया शिला पर श्राद्ध तर्पण पिंडदान करते हैं. पिछले कुछ सालों से यहां पर मोरघडी निवासी पंडित धर्मेंद्र पाठक ने टेंट लगाकर यजमानों के लिए 16 दिन श्राद्ध तिथि पर पुजन और तर्पण पिंडदान करने की संपूर्ण व्यवस्था की है. जिससे इंदौर, खंडवा, बुरहानपुर, भोपाल और दूर-दूर से लोग यहां आकर अपने पितरों के मोक्ष के लिए, पूर्वजों की शांति के लिए कर्मकाण्ड करते हैं.

यह स्थान नर्मदा के उत्तर तट पर विंध्याचल पर्वत श्रेणी पर विद्यमान है और यहां अति प्राचीन शिव मंदिर है. ठीक सामने गया शिला स्थित है, जिसकी पूजा की जाती है. यहां गणेश जी का मंदिर भी है, साथ में हनुमान जी की प्रतिमा भी स्थापित है.

खंडवा। ओंकारेश्वर के कावेरी तट पर स्थित गया शिला नाम का अति प्राचीन स्थल है, जहां अनादि काल से सर्व पितृ मोक्ष अमावस्या पर श्राह पक्ष के 16 दिनों में श्राद्ध तर्पण करने का धार्मिक महत्व पुराणों में बताया गया है. जब सोमवती अमावस्या श्राद्ध पक्ष में आती है, उन दिनों इस स्थान का गया जी में किए गए तर्पण के बराबर महत्व पुराणों में भी वर्णित है.

पूरे प्रदेश से लोग श्राद्ध तर्पण के 16 दिनों में गया शिला पर श्राद्ध तर्पण पिंडदान करते हैं. पिछले कुछ सालों से यहां पर मोरघडी निवासी पंडित धर्मेंद्र पाठक ने टेंट लगाकर यजमानों के लिए 16 दिन श्राद्ध तिथि पर पुजन और तर्पण पिंडदान करने की संपूर्ण व्यवस्था की है. जिससे इंदौर, खंडवा, बुरहानपुर, भोपाल और दूर-दूर से लोग यहां आकर अपने पितरों के मोक्ष के लिए, पूर्वजों की शांति के लिए कर्मकाण्ड करते हैं.

यह स्थान नर्मदा के उत्तर तट पर विंध्याचल पर्वत श्रेणी पर विद्यमान है और यहां अति प्राचीन शिव मंदिर है. ठीक सामने गया शिला स्थित है, जिसकी पूजा की जाती है. यहां गणेश जी का मंदिर भी है, साथ में हनुमान जी की प्रतिमा भी स्थापित है.

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