खंडवा। पितृ मोक्ष अमावस्या पर ओंकारेश्वर के नर्मदा घाटों पर सुबह से ही लोगों को भारी भीड़ जुटी. इस दौरान गौमुख घाट, नागर घाट, अभय घाट, और संगम घाट पर श्रद्धालुओं का जमावडा देखा गया. यहां शुक्रवार रात्रि से ही तांत्रिक क्रियाओं का दौर प्रारंभ हो गया था, जो शनिवार दिनभर चलता रहा. इस दौरान पिंडदान, तर्पण के साथ ही ब्राह्मणों को भोजन कराकर पितरों की शांति की कामना कर घर-परिवार में सुख-समृद्धि प्रदान करने की प्रार्थना की गई.
शनिश्चरी अमावस्या को ज्ञात-अज्ञात सभी पितरों का तर्पण किया जाता है. इस दिन लोग अपने भूले-भटके पितरों के नाम पर विभिन्न कर्मकांड करते हैं. मान्यता के अनुसार पिछले 16 दिनों में पितृ यमलोक से धरती पर आए हुए थे जो आज शनिश्चरी अमावस्या पर यमलोक को विदा होंगे.
ज्योतिषियों के अनुसार 20 वर्ष बाद पितृ विसर्जनी के दिन शनिश्चरी अमावस्या का संयोग बना है. अमावस्या पर जिन लोगों को अपने पितरों की मृत्यु की तिथि याद नहीं होती और भूले-भटके पितरों के निमित्त कर्मकांड करें