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झाबुआ लोकसभा चुनाव में कांग्रेसी विधायक रहें फिसड्डी, दावे हुए हवा-हवाई

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सुनामी में चुनाव से पहले कांग्रेस के लाखों की लीड देने के दावे हवा-हवाई ही साबित हुए. मोदी सुनामी में कांग्रेस के दिग्गज ताश के पत्तों की तरह धराशायी हो गए.

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Published : May 26, 2019, 8:28 AM IST

Updated : May 26, 2019, 8:52 AM IST

डामोर से हारे कांतिलाल भूरिया

झाबुआ। इस बार के लोकसभा चुनाव में कई सियासी क्षत्रपों के किले ढह गए. कांग्रेस का गढ़ कही जाने वाली रतलाम-झाबुआ सीट पर बीजेपी ने दूसरी बार जीत दर्ज की है. यहां बीजेपी के जीएस डामोर ने कांग्रेस प्रत्याशी कांतिलाल भूरिया को 90636 वोटों से पराजित किया है. जबकि जीएस डामोर पहली बार लोकसभा चुनाव लड़ रहे थे.

डामोर से हारे कांतिलाल भूरिया

2018 के विधानसभा चुनाव में डामोर कांतिलाल भूरिया के बेटे विक्रांत भूरिया को हराकर विधायक बने थे. सालों से रतलाम झाबुआ सीट पर जीतते आ रहे भूरिया को इस बार जीएस डामोर से मात मिली. गौर करने वाली बात ये है कि जो विधायक पांच महीने पहले बड़े मार्जिन से जीते थे उन्हीं विधानसभा सीट पर कांग्रेस बड़े मार्जिन से हारी है.

संसदीय क्षेत्र रतलाम-झाबुआ लोकसभा क्षेत्र में 8 विधानसभा आती है. आदिवासी बहुल इस संसदीय क्षेत्र की 5 विधानसभाओं पर कांग्रेसी विधायक काबिज है. झाबुआ जिले के थांदला विधानसभा से विधायक बने कांग्रेस के वीर सिंह भूरिया को 31515 वोट मिले थे, लेकिन लोकसभा में कांतिलाल भूरिया को लीड की बजाय बीजेपी के गुमान सिंह डामोर को 11768 वोटों की लीड मिल गई. यानी इस विधानसभा में बीजेपी ने करीब 40283 वोटों की बढ़त बनाई. जिले के पेटलावद में कांग्रेस के वाल सिंह मेड़ा ने 5000 वोटों से जीत हासिल की थी, पर यहां बीजेपी ने 15190 वोटों की लीड मिली, यहां बीजेपी ने कुल 20190 वोटों की बढ़त बनाई. अलीराजपुर जिले में कांग्रेस के मुकेश पटेल ने 21925 वोटों से जीतहासिल की, यहां भी बीजेपी को ही लीड मिली.

रतलाम के सैलाना में कांग्रेस के हर्ष गहलोत को 28480 वोटों से जीत मिली थी,लेकिन इस आम चुनाव में यह जीत कांग्रेस के कांतिलाल भूरिया के किसी काम ना सकी, क्योंकि भूरिया को यहां से 2037 वोट की बढ़त ही मिल पाई.प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सुनामी में चुनाव से पहले कांग्रेस के लाखों की लीड देने के वादे हवा-हवाई ही साबित हुए. मोदी सुनामी में कांग्रेस के दिग्गज ताश के पत्तों की तरह धराशाई हो गए.

झाबुआ। इस बार के लोकसभा चुनाव में कई सियासी क्षत्रपों के किले ढह गए. कांग्रेस का गढ़ कही जाने वाली रतलाम-झाबुआ सीट पर बीजेपी ने दूसरी बार जीत दर्ज की है. यहां बीजेपी के जीएस डामोर ने कांग्रेस प्रत्याशी कांतिलाल भूरिया को 90636 वोटों से पराजित किया है. जबकि जीएस डामोर पहली बार लोकसभा चुनाव लड़ रहे थे.

डामोर से हारे कांतिलाल भूरिया

2018 के विधानसभा चुनाव में डामोर कांतिलाल भूरिया के बेटे विक्रांत भूरिया को हराकर विधायक बने थे. सालों से रतलाम झाबुआ सीट पर जीतते आ रहे भूरिया को इस बार जीएस डामोर से मात मिली. गौर करने वाली बात ये है कि जो विधायक पांच महीने पहले बड़े मार्जिन से जीते थे उन्हीं विधानसभा सीट पर कांग्रेस बड़े मार्जिन से हारी है.

संसदीय क्षेत्र रतलाम-झाबुआ लोकसभा क्षेत्र में 8 विधानसभा आती है. आदिवासी बहुल इस संसदीय क्षेत्र की 5 विधानसभाओं पर कांग्रेसी विधायक काबिज है. झाबुआ जिले के थांदला विधानसभा से विधायक बने कांग्रेस के वीर सिंह भूरिया को 31515 वोट मिले थे, लेकिन लोकसभा में कांतिलाल भूरिया को लीड की बजाय बीजेपी के गुमान सिंह डामोर को 11768 वोटों की लीड मिल गई. यानी इस विधानसभा में बीजेपी ने करीब 40283 वोटों की बढ़त बनाई. जिले के पेटलावद में कांग्रेस के वाल सिंह मेड़ा ने 5000 वोटों से जीत हासिल की थी, पर यहां बीजेपी ने 15190 वोटों की लीड मिली, यहां बीजेपी ने कुल 20190 वोटों की बढ़त बनाई. अलीराजपुर जिले में कांग्रेस के मुकेश पटेल ने 21925 वोटों से जीतहासिल की, यहां भी बीजेपी को ही लीड मिली.

रतलाम के सैलाना में कांग्रेस के हर्ष गहलोत को 28480 वोटों से जीत मिली थी,लेकिन इस आम चुनाव में यह जीत कांग्रेस के कांतिलाल भूरिया के किसी काम ना सकी, क्योंकि भूरिया को यहां से 2037 वोट की बढ़त ही मिल पाई.प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सुनामी में चुनाव से पहले कांग्रेस के लाखों की लीड देने के वादे हवा-हवाई ही साबित हुए. मोदी सुनामी में कांग्रेस के दिग्गज ताश के पत्तों की तरह धराशाई हो गए.

Intro:झाबुआ : संसदीय क्षेत्र रतलाम झाबुआ में 8 विधानसभा में आती है । आदिवासी बहुल इस संसदीय क्षेत्र की 5 विधानसभाओं पर कांग्रेसी विधायक काबिज है । 2018 के आखिरी में हुए विधानसभा चुनाव में इन विधायकों ने अपने लिए अच्छे खासे वोटों की फसल काटी थी किंतु यह फसल लोकसभा में कांतिलाल भूरिया के काम ना सकी। जो विधायक 5 महीने पहले ही बड़े मार्जिन से जीते थे ,उन्हीं विधानसभाओं में कांग्रेस बड़े मार्जिन से हार गई ।इससे साफ जाहिर होता है या तो विधायकों ने काम नहीं किया या लोगों का कांग्रेस पर भरोसा नहीं रहा ।


Body:झाबुआ जिले के थांदला विधानसभा से विधायक बने कांग्रेस के वीर सिंह भूरिया को 31515 वोट मिले थे, मगर लोकसभा में कांतिलाल भूरिया को लीड की बजाय भाजपा के गुमान सिंह डामोर को 11768 वोटों की लीड मिल गई। याने इस विधानसभा में भाजपा ने करीब 40283 वोटों की बढ़त बनाई। जिले के पेटलावद में कांग्रेस के वाल सिंह मेड़ा ने 5000 वोटों से जीत हासिल की थी किंतु यहां भाजपा ने 15190 वोटों की लीड ली, यहां भाजपा ने कुल 20190 वोटों की बढ़त बनाई । अलिराजपुर जिले में कांग्रेस के मुकेश पटेल ने 21925 वोटों से जीत हासिल की , मगर यहाँ भी भाजपा लीड मिली । रतलाम के सैलाना में कांग्रेस के हर्ष गहलोत को 28480 वोटों से विजयश्री मिली थी मगर यह विजयश्री कांग्रेस के कांतिलाल भूरिया के किसी काम ना सकी, क्योंकि भूरिया को यहां से 2037 वोट की बढ़त मिली ।


Conclusion:चुनाव के पहले यही विधायक कांग्रेस को 50000 और लाखों की लीड देने के खोखले वादे मंच से करते दिखे थे । विधानसभा चुनाव के ठीक बाद हुए लोकसभा चुनाव में कांग्रेसी विधायक का जलवा जनता में बिल्कुल नहीं चला । मोदी की सुनामी के आगे कांग्रेसी विधायक ताश के पत्तों की तरह धराशाई हो गए। इस चुनाव में हैरानी की बात यह भी रही कि खुद भाजपा के विजय प्रत्याशी अपनी विधानसभा नहीं बचा सके । झाबुआ विधानसभा जीतने वाले भाजपा के गुमान सिंह डामोर को अपनी ही विधानसभा में 8100 वोटों से हार का मुंह देखना पड़ा।
"" इधर सोशल मीडिया पर 1 पोस्ट खूब वायरल हो रही है जिसमें लिखा है कि पहले सांसद प्रधानमंत्री बनाते थे किंतु इस चुनाव में प्रधानमंत्री ने सांसदों को बनाया""
Last Updated : May 26, 2019, 8:52 AM IST
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