झाबुआ। इस बार के लोकसभा चुनाव में कई सियासी क्षत्रपों के किले ढह गए. कांग्रेस का गढ़ कही जाने वाली रतलाम-झाबुआ सीट पर बीजेपी ने दूसरी बार जीत दर्ज की है. यहां बीजेपी के जीएस डामोर ने कांग्रेस प्रत्याशी कांतिलाल भूरिया को 90636 वोटों से पराजित किया है. जबकि जीएस डामोर पहली बार लोकसभा चुनाव लड़ रहे थे.
2018 के विधानसभा चुनाव में डामोर कांतिलाल भूरिया के बेटे विक्रांत भूरिया को हराकर विधायक बने थे. सालों से रतलाम झाबुआ सीट पर जीतते आ रहे भूरिया को इस बार जीएस डामोर से मात मिली. गौर करने वाली बात ये है कि जो विधायक पांच महीने पहले बड़े मार्जिन से जीते थे उन्हीं विधानसभा सीट पर कांग्रेस बड़े मार्जिन से हारी है.
संसदीय क्षेत्र रतलाम-झाबुआ लोकसभा क्षेत्र में 8 विधानसभा आती है. आदिवासी बहुल इस संसदीय क्षेत्र की 5 विधानसभाओं पर कांग्रेसी विधायक काबिज है. झाबुआ जिले के थांदला विधानसभा से विधायक बने कांग्रेस के वीर सिंह भूरिया को 31515 वोट मिले थे, लेकिन लोकसभा में कांतिलाल भूरिया को लीड की बजाय बीजेपी के गुमान सिंह डामोर को 11768 वोटों की लीड मिल गई. यानी इस विधानसभा में बीजेपी ने करीब 40283 वोटों की बढ़त बनाई. जिले के पेटलावद में कांग्रेस के वाल सिंह मेड़ा ने 5000 वोटों से जीत हासिल की थी, पर यहां बीजेपी ने 15190 वोटों की लीड मिली, यहां बीजेपी ने कुल 20190 वोटों की बढ़त बनाई. अलीराजपुर जिले में कांग्रेस के मुकेश पटेल ने 21925 वोटों से जीतहासिल की, यहां भी बीजेपी को ही लीड मिली.
रतलाम के सैलाना में कांग्रेस के हर्ष गहलोत को 28480 वोटों से जीत मिली थी,लेकिन इस आम चुनाव में यह जीत कांग्रेस के कांतिलाल भूरिया के किसी काम ना सकी, क्योंकि भूरिया को यहां से 2037 वोट की बढ़त ही मिल पाई.प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सुनामी में चुनाव से पहले कांग्रेस के लाखों की लीड देने के वादे हवा-हवाई ही साबित हुए. मोदी सुनामी में कांग्रेस के दिग्गज ताश के पत्तों की तरह धराशाई हो गए.