जबलपुर। जिले की महिला वैद्य चंद्रा महीधर की कोशिश सराहनीय है. चंद्रा जबलपुर के नेपियर टाउन इलाके में रहतीं हैं और सामान्य सी आयुर्वेदिक दवाओं के जरिए एक छोटा सा स्टार्टअप चला रही हैं. चंद्रा महिधर की शादी एक मध्यमवर्गीय परिवार में हुई. ससुराल में चंद्रा के आयुर्वेदिक दवाओं के ज्ञान को लेकर लोग बड़ी तारीफ किया करते थे. हालांकि, चंद्रा महिदर की पढ़ाई बैचलर ऑफ आर्ट्स में हुई थी, लेकिन मायके में परिवार के लोग आयुर्वेदिक दवाओं का इस्तेमाल करते थे. उन्हें इस बात का अंदाजा नहीं था कि यह ज्ञान किसी दिन उन्हें नई पहचान दिलाएगा. अपने इसी थोड़े से ज्ञान को उन्होंने आगे बढ़ाया और आयुर्वेद की और बेहतर पढ़ाई की. इसके बाद कुछ बड़े सामान्य से नुस्खे बनाकर लगभग 20 किस्म की दवाइयां चंद्रा ने बनाई है, जिन्हें ये बीते 25 सालों से बेच रहे हैं.
चंद्रा ने बनाई अलग पहचान: चंद्रा पहले इन दवा को खुला बेचा करतीं थीं, लेकिन इसके बाद इन्होंने इसकी एक पैकिंग बनाई. चंद्रा अपने नाम से एक ब्रांड बनाकर इन्हें बेच रहीं हैं. यह व्यापार बहुत बड़ा नहीं है, लेकिन इसकी वजह से चंद्रा का एक वजूद है, जो सामान्य घरेलू कामकाजी महिला से हटकर है.
चंद्रा महिधर के उत्पाद: इनके उत्पादों में इन्होंने एक उबटन तैयार की है, जो आयुर्वेदिक दवाओं से मिलकर बनी है और इसकी बड़ी मांग है. इसी तरीके से आयुर्वेदिक दवाओं से भरी हुई एक बेल्ट तैयार की है, जिसको माइक्रोवेव में हल्का गर्म करने के बाद शरीर के जिस हिस्से में तकलीफ है वहां और उसके आसपास बांध लेने पर तकलीफ खत्म हो जाती है. चंद्रा कहती हैं कि, "उनके प्रोडक्ट हाथों हाथ बिक जाते हैं, क्योंकि इसमें ईमानदारी से की हुई कोशिश छुपी हुई है." बीते दिनों चंद्रा महिदर को कारोबारी महिलाओं के समूह मावे ने सम्मानित भी किया.
सुनीता बानी की कोशिश: जबलपुर की सुनीता बानी एक घरेलू कामकाजी महिला हैं. इन्होंने विज्ञान में पोस्ट ग्रेजुएशन किया हुआ है और यह बच्चों को कोचिंग पढ़ाती थी. सुनीता बानी ने मोटे अनाज मिलेट्स पर अध्ययन किया था, इसके साथ ही प्राकृतिक अनाज के प्रति उनका रुझान था. सुनीता वानी ने भी किसी को अपना व्यापार बना लिया और उन्होंने एक छोटी सी कोशिश की है. एक अपार्टमेंट के नीचे छोटी सी दुकान में शुद्ध अनाज को लोगों तक पहुंचाने की कोशिश सुनीता कर रही हैं. सुनीता बानी का यह प्रयास धीरे-धीरे सफल हो रहा है और सामान्य घरेलू कामकाजी महिलाओं के लिए एक उदाहरण भी है. अपने शौक को व्यापार में बदला जा सकता है और अपनी पहचान बनाई जा सकती है.
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मावे ने किया सम्मानित: जबलपुर में कामकाजी महिलाओं की समूह मावे ने इसी तरह की दो दर्जन से ज्यादा महिलाओं को बीते दिनों सम्मानित किया. मावे की अध्यक्ष अर्चना भटनागर का कहना है कि, महिलाओं को व्यापार करने का बड़ा मौका नहीं मिलता, लेकिन छोटी-छोटी कोशिश भी कई बार बड़ी सफलता दिलाती है. लेकिन इन्हें लगातार प्रोत्साहित करना जरूरी है. सामान्य घरेलू कामकाजी महिलाएं भी न केवल कुछ पैसा कमाते हैं, बल्कि उन्हें परिवार और समाज में इज्जत भी मिलती है. कई उद्योग व्यापारों में महिलाओं को ही काम पर रखा जाता है, इसकी एक खास वजह ये बताई जाती है की महिलाएं जो करते हैं वह पूरी लगन और अनुशासन से करते हैं. सामान्य तौर पर महिलाओं में नशे की आदतें नहीं पाई जाती, इसलिए उनके काम की उत्पादकता अच्छी होती है. हमारे समाज के पिछड़ेपन की एक वजह महिला का घरेलू होना है, इसलिए सामान्य घरेलू महिला को भी अपने शौक के काम को व्यापार बनाना चाहिए.