Why is Water Offered to Lord Shiva: सावन का महीना शुरू होते ही धार्मिक क्रियाकलापों में सरगर्मी बढ़ गई है और खास तौर पर शिवालयों में लगातार 2 महीने तक चलने वाले कार्यक्रम शुरू हो गए हैं. जबलपुर में सदियों पुराने शिव मंदिर हैं, जिनमें हजारों साल से पूजन अर्चन हो रहा है. इस साल पुरुषोत्तम महीना सावन के साथ आने की वजह से सावन का महत्व कुछ ज्यादा बढ़ गया है. आइए अब जानते हैं कि आखिर भगवान शिव पर जल क्यों चढ़ाया जाता है-
क्यों खास है इस बार का सावन: दरअसल आषाढ़ यानि पुरुषोत्तम महीना इस बार सावन के महीने से जुड़ कर आया है और इसका महत्व इसलिए भी होता है क्योंकि साल भर में हर मुख्य त्योहार के आसपास कुछ दिन और कुछ घंटे बच जाते हैं, जिन्हें कैलेंडर के अनुसार पुरुषोत्तम महीने में समाहित किया जाता है. इसलिए इस माह को उन तमाम अच्छी तिथियों का मेल माना जाता है, जो बीते दो-तीन सालों में आई थी और जिनमें कुछ अतिरिक्त समय बचा था. इसीलिए पुरुषोत्तम माह में यह कहा जाता है कि पूजा पाठ करने से लोगों की मनोकामनाएं पूरी होती हैं.
भगवान शिव पर जल क्यों चढ़ाया जाता है: गुप्तेश्वर मंदिर के प्रधान पुजारी डॉक्टर मुकुंद दास का कहना है कि "भगवान शिव ने समुद्र मंथन के दौरान निकले विष(जहर) जिसे हलाहल कहा जाता है, उसे पी लिया था और इसकी वजह से भगवान शिव का शरीर बहुत गर्म हो गया था. विष की वजह से भगवान के ऊपर जो गर्मी छाई थी, उसे शांत करने के लिए उनके ऊपर जल चढ़ाया गया था. तब से यह परंपरा चली आ रही है और यह माना जाता है कि भगवान शिव के ऊपर जल चढ़ाने से वे शांत होते हैं और भक्तों पर प्रसन्न होते हैं, इसीलिए सावन के महीने में खासतौर पर भगवान शिव के ऊपर जल चढ़ाने की परंपरा है."
जबलपुर के कचनार महादेव: इस साल सावन लगातार दो महीने तक चलेगा, इसलिए शिव भक्तों को पूजा पाठ करने का ज्यादा अवसर मिलेगा. जबलपुर के शिवालयों में सावन के पहले दिन से ही पूजा पाठ की शुरुआत हो गई है, कचनार मंदिर के पुजारी पंडित सुरेंद्र दुबे का कहना है कि "जबलपुर के शिवालयों में सावन के महीने में विशेष पूजन अर्चन किया जाता है, कचनार शिव मंदिर जबलपुर में सावन के महीने में कचनार के शिव मंदिर की 72 फीट ऊंची प्रतिमा को देखने के लिए एक लाख से ज्यादा श्रद्धालु आते हैं. इस प्रतिमा के ठीक नीचे एक गुफा बनी हुई है, जिसमें 12 ज्योतिर्लिंग भी स्थापित किए गए हैं. जो लोग बुजुर्ग अवस्था की वजह से ज्योतिर्लिंग के दर्शन नहीं कर पाते उनके लिए एक ही जगह पर 12 ज्योतिर्लिंग स्थापित किए गए हैं."
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जबलपुर के गुप्तेश्वर मंदिर: गुप्तेश्वर मंदिर के प्रमुख पुजारी मुकुंद दास का कहना है कि "गुप्तेश्वर मंदिर यह जबलपुर का दूसरा महत्वपूर्ण शिव मंदिर है. इसके बारे में ऐसा कहा गया है कि वनवास के दौरान भगवान राम यहां आए थे और उन्होंने यहां ऋषि जमाली से मुलाकात की थी, चित्रकूट में ऋषि यों का जो संगम हुआ था उसमें पहली बार भगवान श्रीराम और ऋषि जवाली की मुलाकात हुई. उसके बाद उन्होंने भगवान श्रीराम को जबलपुर बुलाया था, मान्यता के अनुसार यहां जो शिवलिंग है उसकी स्थापना भगवान श्रीराम ने की है. कहानी की कोई वैज्ञानिक पुष्टि नहीं है, लेकिन लोगों को इस मान्यता पर बड़ा भरोसा है और गुप्तेश्वर महादेव में भी पूरे सावन के महीने में पूजन अर्चन होगा."
हिंदू मंदिरों के अलावा भी जबलपुर में सैकड़ों शिवालय हैं, इनमें से कुछ कलचुरी कालीन भी हैं जिनका कोई लिखित इतिहास तो नहीं है, लेकिन सदियों से यहां पूजा अर्चन हो रहा है. सावन के महीने में जबलपुर में माहौल पूरी तरह शिवमय हो जाता है, खास तौर पर जबलपुर में छोटी और बड़ी कई कावड़ यात्राएं निकाली जाती है, जिनमें जबलपुर शहर के लाखों लोग हिस्सा लेते हैं.