जबलपुर। धनवंतरी नगर इलाके से गुरुवार को गायब हुए 13 साल के बच्चे आदित्य लांबा की लाश पनागर के पास मिली है. अपहरणकर्ताओं ने दो करोड़ रुपए की फिरौती मांगी थी. परिजनों ने अपहरकर्ताओं को 50 लाख रुपए भी दिए थे. वहीं पुलिस ने आदित्य के तीनों आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया है, लेकिन पुलिस मासूम आदित्य को नहीं बचा पाई. पुलिस ने आरोपियों को गिरफ्तार करने के बाद उनका जुलूस भी निकाला था. पुलिस का दावा है कि आदित्य लांबा अपहरणकर्ताओं को पहचान गया था, इसलिए आरोपियों ने आदित्य को मार डाला.
घटना गुरुवार की है जबलपुर के धनवंतरी नगर में मुकेश लांबा नाम के एक कारोबारी रहते हैं, मुकेश लांबा का छोटा सा परिवार था. उनके परिवार में एक बिटिया है और आदित्य लांबा नाम का 13 साल का एक बच्चा था. मुकेश लांबा अच्छे कारोबारी हैं और उनके पास पर्याप्त पैसा है. इस बात की जानकारी मुकेश लांबा के किचन में काम करने वाले राहुल विश्वकर्मा नाम के एक युवक को थी.
पनागर के पास नहर में मिली कारोबारी के लापता बेटे की लाश, बदमाशों ने फिरौती में मांगे थे दो करोड़
पुलिस के मुताबिक राहुल विश्वकर्मा ने कारोबार के सिलसिले में 15 लाख रुपए का कर्ज लिया था, और कर्ज वापस लेने वाले राहुल को परेशान कर रहे थे. इसलिए उसने अपने दूसरे दो बेरोजगार साथियों मलय राय और करण जग्गी के साथ मिलकर एक प्लान बनाया, कि वो किसी बड़े आदमी के बच्चे को किडनैप कर लें. राहुल विश्वकर्मा मुकेश लांबा के परिवार को जानता था, इसलिए उन्होंने मुकेश लांबा के बच्चे आदित्य को टारगेट बनाया, और गुरुवार शाम जब आदित्य पड़ोस की एक दुकान पर कुछ सामान खरीदने के लिए गया था, तब राहुल मलय और करण ने मिलकर आदित्य को किडनैप कर लिया.
पुलिस का कहना है कि इन लोगों ने किडनैपिंग में एक कार का इस्तेमाल किया. वो आदित्य को जबलपुर के ही बघराजी इलाके में लेकर गए और इन लोगों ने रास्ते में एक राहगीर से मोबाइल छीना और उसी फोन से दो करोड़ रूपए कि फिरौती मांगी. पुलिस का कहना है कि पीड़ित परिवार की ओर से 8 लाख रुपए की रकम अपहरणकर्ताओं को दे दी गई थी, लेकिन इसके बाद भी बाकी की रकम के लिए अपहरणकर्ता परिवार पर दबाव बनाए हुए थे. इसी बीच आदित्य राहुल विश्वकर्मा को पहचान गया, और उसने राहुल से कहा की 'अंकल मैं आपको जानता हूं' इसी के चलते राहुल और उनके साथियों ने मिलकर आदित्य की हत्या कर दी और शव नहर में फेंक दिया. आज सुबह आदित्य का शव जबलपुर के पनागर के पास नहर में पड़ा हुआ मिला. हालांकि आदित्य की हत्या 2 दिन पहले ही कर दी गई थी. पुलिस ने आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया है, लेकिन मासूम आदित्य को नहीं बचा पाई.
जबलपुर एसपी सिद्धार्थ बहुगुणा का कहना है कि पुलिस ने आदित्य को बचाने के लिए आरोपियों को फिरौती की रकम भिजवाई थी. हालांकि ये रकम बरामद कर ली गई है, लेकिन एसपी का कहना है कि वो बच्चे की जान बचाना चाहते थे, लेकिन इसके बाद भी पुलिस की कार्रवाई पर कई सवाल खड़े होते हैं. जबलपुर पुलिस छोटी-छोटी बातों पर लोगों की गाड़ियां रोक लेती है, और चालान करती है, फिर आदित्य को किडनैप करने वाले आरोपियों की गाड़ी क्यों नहीं रोकी गई. जब एक राहगीर से आरोपियों ने मोबाइल छीना था, तो उस दौरान आरोपी आस-पास ही थे, फिर पुलिस उन्हें क्यों नहीं पकड़ा. आरोपी लगातार मोबाइल पर भी बात कर रहे थे, तो फिर उनकी लोकेशन लेकर उनकी घेराबंदी क्यों नहीं की गई, और यदि आरोपियों के बारे में पुलिस को जानकारी लग गई थी, तो उनके परिवार के लोगों को दबिश देकर बच्चे को वापस क्यों नहीं बुलाया गया.
अपहरण के बहुत कम मामलों में ही पुलिस को सफलता मिल पाती है. जिनमें मिलती भी है, उनमें फिरौती की रकम पूरी दे दी जाती है. इसमें भी फिरौती की रकम देने के बाद बच्चे को बचाया जा सकता था. बाद में पुलिस आरोपियों को पकड़ सकती थी, लेकिन पुलिस की जरा सी लापरवाही की वजह से आदित्य लांबा अब इस दुनिया में नहीं हैं और परिवार को इस बात का रंज पूरे जीवन रहेगा.