जबलपुर। प्रदेश के अन्य जिलों की तरह जबलपुर में भी सरकारी अस्पतालों का काम नर्सों की हड़ताल की वजह से ठप पड़ा हुआ है. मरीज सरकारी अस्पतालों से बिना इलाज लिए ही छुट्टी करवा रहे हैं. इधर, मध्यप्रदेश हाईकोर्ट में नर्सों की हड़ताल के खिलाफ याचिका लंबित थी. जिस पर शुक्रवार को एक बार फिर सुनवाई हुई. राज्य सरकार की ओर से हाईकोर्ट को दिए अपने जवाब में कहा गया है कि नर्सों की हड़ताल को अवैधानिक घोषित कर दिया गया है. इस पर हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से पूछा है कि यदि नर्सों की हड़ताल गैरकानूनी घोषित कर दी है तो उनके खिलाफ अब तक क्या कार्रवाई की गई.
सरकार जवाब नहीं दे सकी : नर्सेस पर कार्रवाई को लेकर किए गए सवाल का राज्य सरकार के अतिरिक्त महाधिवक्ता के पास जवाब नहीं दे सके. इसलिए कोर्ट ने कहा कि सोमवार को वह जवाब लेकर पेश हों. हाईकोर्ट के एडवोकेट दिनेश उपाध्याय ने बताया कि नर्सों की हड़ताल के खिलाफ 2021 में भी मध्यप्रदेश हाईकोर्ट में एक सामाजिक संगठन ने याचिका पेश की गई थी. जिसकी सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने नर्सों की हड़ताल को उसी समय गैरकानूनी घोषित कर दिया था और यह हिदायत भी दी थी कि जब नर्सों ने हड़ताल की है, उस समय की तनख्वाह उन्हें ना दी जाए.
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एमपी में नर्सों की हड़ताल जारी : आदेश में यह भी कहा गया था कि नर्स हड़ताल नहीं कर सकती. बता दें कि मध्य प्रदेश में 10 जुलाई से नर्सों ने हड़ताल शुरू की थी और मध्य प्रदेश की 10 हजार से ज्यादा नर्स हड़ताल पर हैं. इन नर्सों की मांग है कि उन्हें डॉक्टरों के समान नाइट अलाउंस दिया जाए. उनका प्रमोशन तो कर दिया गया है, लेकिन उन्हें बढ़ा हुआ वेतनमान नहीं मिल रहा है. वे जब अतिरिक्त काम करती हैं तो उन्हें उसका भुगतान नहीं किया जाता. इस तरह की लगभग 70 मांगे हैं, जो नर्सों ने राज्य सरकार को भेजी हुई हैं लेकिन राज्य सरकार की ओर से अब तक इस मामले में कोई जवाब नहीं आया है और ना ही हड़ताल कर नर्सों के खिलाफ कोई कार्रवाई की गई है.