जबलपुर। प्रदेश के शाजापुर जिले स्थित एक निजी अस्पताल के प्रबंधन के बिल की राशि का भुगतान नहीं होने पर वृद्ध मरीज को बेड से बांधकर रखा हुआ था. इस संबंध में अखबारों में फोटो सहित समाचार प्रकाशित हुए थे. इसको लेकर सर्वोच्च न्यायालय के रजिस्ट्रार जनरल ने मप्र हाईकोर्ट को पत्र लिखा था. हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस रवि विजय कुमार मलिमठ तथा जस्टिस विषाल मिश्रा ने युगलपीठ राज्य सरकार को स्वास्थ सुविधाओं के संबंध में जवाब पेश करने के लिए चार सप्ताह का समय प्रदान किया है.
सर्वोच्च न्यायालय ने की थी तल्ख टिप्पणी : र्वोच्च न्यायालय ने पत्र में उक्त घटना को मानव अधिकारों का उल्लंघन बताया गया था. न्यायालय द्वारा भेजे गए पत्र की सुनवाई करते हुए हाई कोर्ट ने कोर्ट मित्र की नियुक्ति करते हुए आर्थिक रूप से अक्षम लोगों के लिए प्राइवेट हॉस्पिटल में निःशुल्क मेडिकल सुविधा तथा उपचार के लिए गाइडलाइन निर्धारित करने केन्द्र व राज्य सरकार से सुझाव मांगे थे.
सभी याचिकाओं पर संयुक्त सुनवाई : इसके अलावा टेंडर जारी होने के बाबजूद भी प्रदेश के जिला में सीटी स्कैन मशीन नहीं लगाने, कोरोना उपचार, आयुष्मान कार्ड के संबंध में भी याचिकाएं दायर की गयी थीं. हाईकोर्ट संबंधित याचिकाओं की संयुक्त रूप से सुनवाई कर रही है. याचिका पर मंगलवार को हुई सुनवाई के दौरान युगलपीठ ने आयुष्मान कार्ड तथा प्रदेश सरकार की स्वास्थ व्यवस्थाओं के संबंध में स्टेटस रिपोर्ट पेश करने के निर्देश दिए है. याचिका की सुनवाई के दौरान कोर्ट मित्र के रूप में वरिष्ठ अधिवक्ता नमन नागरथ उपस्थित हुए. (Missmanagement during Corona period) (High Court sought reply to state government)