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भेड़ाघाट के पर्यटन स्थल हुए सूने, नाविकों और दुकानदारों के सामने रोजी-रोटी का संकट

जबलपुर जिले के विश्वप्रसिद्ध पर्यटन स्थल भेड़ाघाट अब सूना पड़ा हुआ है. जहां पर्यटकों के भरोसे जीवन यापन करने वाले नाविक और स्थानीय दुकानदारों के सामने रोजी रोटी का संकट आ खड़ा हुआ है.

jabalpur
नाविक परेशान
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Published : Jun 7, 2020, 5:01 PM IST

Updated : Jun 7, 2020, 6:59 PM IST

जबलपुर। जिले में कोरोना संक्रमित मरीजों की संख्या में लगातार इजाफा दर्ज किया जा रहा है. जिससे शहर के लोगों में खौफ है, जिसके चलते पर्यटन स्थल बुरी तरह से प्रभावित हो रहा है. जबलपुर जिले के विश्वप्रसिद्ध पर्यटन स्थल भेड़ाघाट अब सूना पड़ा हुआ है. जहां पर्यटकों के भरोसे जीवन यापन करने वाले नाविक और स्थानीय दुकानदारों के सामने रोजी रोटी का संकट आ खड़ा हुआ है.

पर्यटन स्थल के सहारे जीवन यापन करने वालों के सामने रोजी रोटी का संकट

लॉकडाउन का एक सकारात्मक पक्ष ये है कि पर्यावरण प्रदूषण और शोर-गुल नहीं के बराबर है, वहीं एक नकारात्मक पक्ष ये है कि पर्यटकों के भरोसे जीवन यापन करने वाले नाविक और स्थानीय दुकानदारों के सामने रोजी रोटी का संकट पैदा हो गया है.

भेड़ाघाट नदी के किनारे घाटों में नाव बंधी हुई हैं, नाविकों का जीवन इसी नाव के सहारे चलता था, लेकिन अब दो वक्त की रोटी के लिए भी ये मोहताज हो गए हैं. एक नाविक ने बताया कि रोजगार पूरी तरह खत्म हो चुका है. स्थानीय नगर परिषद के अधिकारियों ने कभी उनकी परवाह नहीं की, जिला प्रशासन और सरकार तो उन्हें भूल चुके हैं. लॉकडाउन के दौरान जब ये घोषणा की गई कि आप लोग घरों में रहिए आपकी जरूरत की हर चीज आपको घर पर ही मुहैया कराई जाएगी तो उन्हें थोड़ी राहत मिली थी, लेकिन आज तक न तो राशन मिला और न ही कोई और मदद मिली.

नाविक ने कहा कि जब भी वे राशन के लिए राशन दुकान में जाते हैं, तो उन्हें राशन कार्ड के बिना राशन नहीं दिया जाता. एक तरफ कोरोना संक्रमण का खतरा और दूसरी तरफ भूखे मरने की नौबत इस दोहरी मार से करीब 200 नाविकों का परिवार दिन रात संघर्ष कर रहा है.

जबलपुर। जिले में कोरोना संक्रमित मरीजों की संख्या में लगातार इजाफा दर्ज किया जा रहा है. जिससे शहर के लोगों में खौफ है, जिसके चलते पर्यटन स्थल बुरी तरह से प्रभावित हो रहा है. जबलपुर जिले के विश्वप्रसिद्ध पर्यटन स्थल भेड़ाघाट अब सूना पड़ा हुआ है. जहां पर्यटकों के भरोसे जीवन यापन करने वाले नाविक और स्थानीय दुकानदारों के सामने रोजी रोटी का संकट आ खड़ा हुआ है.

पर्यटन स्थल के सहारे जीवन यापन करने वालों के सामने रोजी रोटी का संकट

लॉकडाउन का एक सकारात्मक पक्ष ये है कि पर्यावरण प्रदूषण और शोर-गुल नहीं के बराबर है, वहीं एक नकारात्मक पक्ष ये है कि पर्यटकों के भरोसे जीवन यापन करने वाले नाविक और स्थानीय दुकानदारों के सामने रोजी रोटी का संकट पैदा हो गया है.

भेड़ाघाट नदी के किनारे घाटों में नाव बंधी हुई हैं, नाविकों का जीवन इसी नाव के सहारे चलता था, लेकिन अब दो वक्त की रोटी के लिए भी ये मोहताज हो गए हैं. एक नाविक ने बताया कि रोजगार पूरी तरह खत्म हो चुका है. स्थानीय नगर परिषद के अधिकारियों ने कभी उनकी परवाह नहीं की, जिला प्रशासन और सरकार तो उन्हें भूल चुके हैं. लॉकडाउन के दौरान जब ये घोषणा की गई कि आप लोग घरों में रहिए आपकी जरूरत की हर चीज आपको घर पर ही मुहैया कराई जाएगी तो उन्हें थोड़ी राहत मिली थी, लेकिन आज तक न तो राशन मिला और न ही कोई और मदद मिली.

नाविक ने कहा कि जब भी वे राशन के लिए राशन दुकान में जाते हैं, तो उन्हें राशन कार्ड के बिना राशन नहीं दिया जाता. एक तरफ कोरोना संक्रमण का खतरा और दूसरी तरफ भूखे मरने की नौबत इस दोहरी मार से करीब 200 नाविकों का परिवार दिन रात संघर्ष कर रहा है.

Last Updated : Jun 7, 2020, 6:59 PM IST
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