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हबीबगंज स्टेशन का नाम बदलने के खिलाफ दायर याचिका खारिज, याचिकाकर्ता पर लगा 10 हजार जुर्माना - हबीबगंज स्टेशन का नाम बदलने के खिलाफ दायर याचिका खारिज

भोपाल के रानी कमलापति रेलवे स्टेशन का नाम बदलकर पुन: हबीबगंज रेलवे स्टेशन करने की मांग करने वाली याचिका को हाई कोर्ट की युगल पीठ ने खारिज ( high court dismissed Petition filed against change of name of Habibganj railway station) कर दिया है, साथ ही याचिकाकर्ता पर 10 हजार रुपए जुर्माना भी लगाया है.

high court  dismissed Petition filed against change of name of Habibganj railway station
हबीबगंज स्टेशन का नाम बदलने के खिलाफ दायर याचिका खारिज
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Published : Jan 20, 2022, 10:38 PM IST

जबलपुर। हबीबगंज रेलवे स्टेशन का नाम बदलने के खिलाफ हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की गयी थी, जिसे हाई कोर्ट जस्टिस शील नागू तथा जस्टिस सुनीता यादव की युगल पीठ ने 10000 रुपये की कॉस्ट लगाते हुए याचिका को खारिज (high court dismissed Petition filed against change of name of Habibganj railway station) कर दिया. युगलपीठ ने माना कि सस्ती लोकप्रियता के लिए उक्त याचिका दायर की गयी थी.

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अधिवक्ता अहमद सईद कुरैशी ने दायर की याचिका

सिवनी के अधिवक्ता अहमद सईद कुरैशी की तरफ से दायर की गयी याचिका में कहा गया था कि 1973 में मुस्लिम गुरू हबीब मियां ने स्टेशन बनाने के लिए रेलवे को जमीन दान की थी. तब से इसे हबीबगंज स्टेशन के नाम से जाना जाता था. केन्द्र व राज्य सरकार की सहमति से 12 नवंबर 2021 को हबीबगंज स्टेशन का नाम बदलकर रानी कमलापति स्टेशन कर दिया गया. याचिकाकर्ता ने इसके खिलाफ राष्ट्रपति को आवेदन देकर धर्म विशेष के लोगों के संवैधानिक अधिकारों की रक्षा व संरक्षण की गुहार लगाई थी. आवेदन पर कोई सुनवाई नहीं होने के बाद उक्त याचिका दायर की गयी थी.

सस्ती लोकप्रियता के लिए दायर की गयी याचिका

याचिका में मांग की गयी थी कि पूर्व की तरह स्टेशन का नाम हबीबगंज किया जाये. युगलपीठ ने अपने आदेश में कहा है कि रेलवे स्टेशन का निर्माण सार्वजनिक कारणों से किया जाता है. ट्रेन के सफर के लिए स्टेशन बनाये जाते हैं और सुविधाएं व गुणवत्ता अहम रहती है. सुविधा के इस कार्य का किसी विशेष रेलवे स्टेशन के नाम से कोई लेना-देना नहीं है. न्यायालय को लगता है कि यह याचिका सस्ती लोकप्रियता पाने के लिए दायर की गयी है.

भारी मशीनों से रेत उत्खनन पर सख्त हाई कोर्ट

मप्र हाईकोर्ट ने सीहोर जिले में नर्मदा नदी से रेत उत्खनन पर भारी भरकम मशीनों का प्रयोग कर नदी के अस्तित्व को संकट में डालने का आरोप लगाने वाले मामले को सख्ती से लिया है. जस्टिस शील नागू व जस्टिस सुनीता यादव की युगलपीठ ने मामले में अंतरिम आदेश देते हुए सीहोर कलेक्टर को निर्देशित किया है कि वे यह सुनिश्चित करें कि जिले में कहीं भी रेत खनन पर मशीनों का प्रयोग नहीं होगा और रेत खनिज नियम-2019 की खंडिका 3 (6) का पालन हो, यदि उक्त प्रावधान का उल्लंघन होता है तो इसके लिये कलेक्टर जिम्मेदार होंगे. उक्त निर्देश के साथ ही युगलपीठ ने अनावेदकों को नोटिस जारी कर जवाब पेश करने के निर्देश देते हुए मामले की अगली सुनवाई 28 फरवरी को निर्धारित की है.

जबलपुर। हबीबगंज रेलवे स्टेशन का नाम बदलने के खिलाफ हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की गयी थी, जिसे हाई कोर्ट जस्टिस शील नागू तथा जस्टिस सुनीता यादव की युगल पीठ ने 10000 रुपये की कॉस्ट लगाते हुए याचिका को खारिज (high court dismissed Petition filed against change of name of Habibganj railway station) कर दिया. युगलपीठ ने माना कि सस्ती लोकप्रियता के लिए उक्त याचिका दायर की गयी थी.

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अधिवक्ता अहमद सईद कुरैशी ने दायर की याचिका

सिवनी के अधिवक्ता अहमद सईद कुरैशी की तरफ से दायर की गयी याचिका में कहा गया था कि 1973 में मुस्लिम गुरू हबीब मियां ने स्टेशन बनाने के लिए रेलवे को जमीन दान की थी. तब से इसे हबीबगंज स्टेशन के नाम से जाना जाता था. केन्द्र व राज्य सरकार की सहमति से 12 नवंबर 2021 को हबीबगंज स्टेशन का नाम बदलकर रानी कमलापति स्टेशन कर दिया गया. याचिकाकर्ता ने इसके खिलाफ राष्ट्रपति को आवेदन देकर धर्म विशेष के लोगों के संवैधानिक अधिकारों की रक्षा व संरक्षण की गुहार लगाई थी. आवेदन पर कोई सुनवाई नहीं होने के बाद उक्त याचिका दायर की गयी थी.

सस्ती लोकप्रियता के लिए दायर की गयी याचिका

याचिका में मांग की गयी थी कि पूर्व की तरह स्टेशन का नाम हबीबगंज किया जाये. युगलपीठ ने अपने आदेश में कहा है कि रेलवे स्टेशन का निर्माण सार्वजनिक कारणों से किया जाता है. ट्रेन के सफर के लिए स्टेशन बनाये जाते हैं और सुविधाएं व गुणवत्ता अहम रहती है. सुविधा के इस कार्य का किसी विशेष रेलवे स्टेशन के नाम से कोई लेना-देना नहीं है. न्यायालय को लगता है कि यह याचिका सस्ती लोकप्रियता पाने के लिए दायर की गयी है.

भारी मशीनों से रेत उत्खनन पर सख्त हाई कोर्ट

मप्र हाईकोर्ट ने सीहोर जिले में नर्मदा नदी से रेत उत्खनन पर भारी भरकम मशीनों का प्रयोग कर नदी के अस्तित्व को संकट में डालने का आरोप लगाने वाले मामले को सख्ती से लिया है. जस्टिस शील नागू व जस्टिस सुनीता यादव की युगलपीठ ने मामले में अंतरिम आदेश देते हुए सीहोर कलेक्टर को निर्देशित किया है कि वे यह सुनिश्चित करें कि जिले में कहीं भी रेत खनन पर मशीनों का प्रयोग नहीं होगा और रेत खनिज नियम-2019 की खंडिका 3 (6) का पालन हो, यदि उक्त प्रावधान का उल्लंघन होता है तो इसके लिये कलेक्टर जिम्मेदार होंगे. उक्त निर्देश के साथ ही युगलपीठ ने अनावेदकों को नोटिस जारी कर जवाब पेश करने के निर्देश देते हुए मामले की अगली सुनवाई 28 फरवरी को निर्धारित की है.

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