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MP Handicraft Products: मध्यप्रदेश के 5 हस्तशिल्प कला उत्पादों को एक साथ मिला GI Tag

हस्तशिल्प उत्पादों के मामले में मध्यप्रदेश देश के पटल पर चमक रहा है. प्रदेश के 5 हस्तशिल्प उत्पादों (MP Handicraft Products) को जीआई टैग (GI Tag) मिला है. डिंडोरी के लोहे के शिल्प, उज्जैन के बाटिक प्रिंट, ग्वालियर के हस्तनिर्मित कालीन, जबलपुर के भेड़ाघाट के पत्थर शिल्प और वारासियोनी की हथकरघा साड़ियों के अलावा जबलपुर के भेड़ाघाट की स्टोनक्राफ्ट को जीआई टैग मिला है.

Jabalpur Bhedaghat
जबलपुर के भेड़ाघाट के स्टोनक्राफ्ट को जीआई टैग
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Published : Apr 7, 2023, 10:35 AM IST

Updated : Apr 8, 2023, 4:36 PM IST

भोपाल/जबलपुर। हस्तशिल्प कला के मामले में मध्यप्रदेश लगातार उपलब्धियां हासिल कर रहा है. ऐसा पहली बार हुआ है कि प्रदेश की 5 हस्तशिल्प कला के इतने उत्पादों को एक साथ जीआई टैग मिला. अब मध्यप्रदेश में जीआई टैग वाले उत्पादों की संख्या कुल 19 हो गई है. इस उपलब्धि से राज्य सरकार उत्साहित है. अपर मुख्य सचिव मनु श्रीवास्तव का कहना है कि ये उपलब्धि कुटीर और ग्रामोद्योग विभाग, स्थानीय उत्पादक संगठनों के सहयोग से मिली है.

जबलपुर के भेड़ाघाट की स्टोनक्राफ्ट : मध्यप्रदेश के हस्तशिल्प उत्पाद को नई पहचान दिलाने के लिए केंद्रीय वाणिज्य मंत्रालय ने जबलपुर के भेड़ाघाट की स्टोनक्राफ्ट को जीआई टैग किया है. मध्य प्रदेश के 6 उत्पादों को यह टैग मिला है. ज्योग्राफिकल इंडिकेशन टैगज्योग्राफिकल इंडिकेशन टैग को जीआई टैग के नाम से जाना जाता है. यह एक किस्म की लेवलिंग है, जो किसी उत्पाद के भौगोलिक पहचान को निर्धारित करती है और यह केंद्र सरकार के वाणिज्य मंत्रालय द्वारा दिया जाता है.

कई लोगों को मिलेगा रोजगार : जबलपुर के भेड़ाघाट में सॉफ्ट स्टोन की इस कला से 1 हजार से ज्यादा लोगों को रोजगार मिलता है. जीआई टैग मिलने के बाद देशभर में इसकी पहचान सुनिश्चित हो गई है और इस कला को जो प्रमोशन मिला है, उससे इस पूरे इलाके के व्यापार पर असर पड़ेगा. इन कलाकारों को अभी बहुत कम दाम मिलते हैं, लेकिन जीआई टैग मिलने के बाद इनकी कला की कीमत बढ़ जाएगी. इस कला को एक नया मुकाम मिलेगा.

सॉफ्ट स्टोन की मूर्तियां : भेड़ाघाट के आसपास संगमरमर का नरम पत्थर मिलता है, जिस पर नक्काशी करना सरल होता है. इसलिए इस इलाके में सदियों से इस पत्थर पर नक्काशी करके छोटी-छोटी मूर्तियां बनाई जाती हैं. इनकी देश-विदेश में मांग रही है. इस कला का जन्म भी भेड़ाघाट के आसपास ही हुआ और अब यह कलाकार इतने माहिर हैं कि इनकी मूर्तियां बोलती हुई सी नजर आती हैं. ज्यादातर मूर्तियां भगवान की होती हैं लेकिन इसके अलावा सॉफ्ट स्टोन पर अपना नाम लिखवा कर लोग घर ले जाते हैं.

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जबलपुर में पर्यटन बढ़ेगा : संगमरमर की इन छोटी-छोटी मूर्तियों को जीआई टैग मिलने के बाद इस इलाके में पर्यटन उद्योग को भी फायदा होगा. जो पर्यटक अभी तक भेड़ाघाट के मार्बल रॉक्स को देखने आते थे, उन्हें अब इस कला को समझने का मौका मिलेगा और वे इन मूर्तियों की वजह से भी यहां आएंगे. देश के कई इलाकों में कलाप्रेमी इन कलाकारों से मिलने के लिए उनके कार्यस्थल तक जाते हैं. भेड़ाघाट की इस कला को पहचान मिलने के साथ ही जबलपुर को भी कला के क्षेत्र में एक नया स्थान मिला है.

भोपाल/जबलपुर। हस्तशिल्प कला के मामले में मध्यप्रदेश लगातार उपलब्धियां हासिल कर रहा है. ऐसा पहली बार हुआ है कि प्रदेश की 5 हस्तशिल्प कला के इतने उत्पादों को एक साथ जीआई टैग मिला. अब मध्यप्रदेश में जीआई टैग वाले उत्पादों की संख्या कुल 19 हो गई है. इस उपलब्धि से राज्य सरकार उत्साहित है. अपर मुख्य सचिव मनु श्रीवास्तव का कहना है कि ये उपलब्धि कुटीर और ग्रामोद्योग विभाग, स्थानीय उत्पादक संगठनों के सहयोग से मिली है.

जबलपुर के भेड़ाघाट की स्टोनक्राफ्ट : मध्यप्रदेश के हस्तशिल्प उत्पाद को नई पहचान दिलाने के लिए केंद्रीय वाणिज्य मंत्रालय ने जबलपुर के भेड़ाघाट की स्टोनक्राफ्ट को जीआई टैग किया है. मध्य प्रदेश के 6 उत्पादों को यह टैग मिला है. ज्योग्राफिकल इंडिकेशन टैगज्योग्राफिकल इंडिकेशन टैग को जीआई टैग के नाम से जाना जाता है. यह एक किस्म की लेवलिंग है, जो किसी उत्पाद के भौगोलिक पहचान को निर्धारित करती है और यह केंद्र सरकार के वाणिज्य मंत्रालय द्वारा दिया जाता है.

कई लोगों को मिलेगा रोजगार : जबलपुर के भेड़ाघाट में सॉफ्ट स्टोन की इस कला से 1 हजार से ज्यादा लोगों को रोजगार मिलता है. जीआई टैग मिलने के बाद देशभर में इसकी पहचान सुनिश्चित हो गई है और इस कला को जो प्रमोशन मिला है, उससे इस पूरे इलाके के व्यापार पर असर पड़ेगा. इन कलाकारों को अभी बहुत कम दाम मिलते हैं, लेकिन जीआई टैग मिलने के बाद इनकी कला की कीमत बढ़ जाएगी. इस कला को एक नया मुकाम मिलेगा.

सॉफ्ट स्टोन की मूर्तियां : भेड़ाघाट के आसपास संगमरमर का नरम पत्थर मिलता है, जिस पर नक्काशी करना सरल होता है. इसलिए इस इलाके में सदियों से इस पत्थर पर नक्काशी करके छोटी-छोटी मूर्तियां बनाई जाती हैं. इनकी देश-विदेश में मांग रही है. इस कला का जन्म भी भेड़ाघाट के आसपास ही हुआ और अब यह कलाकार इतने माहिर हैं कि इनकी मूर्तियां बोलती हुई सी नजर आती हैं. ज्यादातर मूर्तियां भगवान की होती हैं लेकिन इसके अलावा सॉफ्ट स्टोन पर अपना नाम लिखवा कर लोग घर ले जाते हैं.

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जबलपुर में पर्यटन बढ़ेगा : संगमरमर की इन छोटी-छोटी मूर्तियों को जीआई टैग मिलने के बाद इस इलाके में पर्यटन उद्योग को भी फायदा होगा. जो पर्यटक अभी तक भेड़ाघाट के मार्बल रॉक्स को देखने आते थे, उन्हें अब इस कला को समझने का मौका मिलेगा और वे इन मूर्तियों की वजह से भी यहां आएंगे. देश के कई इलाकों में कलाप्रेमी इन कलाकारों से मिलने के लिए उनके कार्यस्थल तक जाते हैं. भेड़ाघाट की इस कला को पहचान मिलने के साथ ही जबलपुर को भी कला के क्षेत्र में एक नया स्थान मिला है.

Last Updated : Apr 8, 2023, 4:36 PM IST
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