जबलपुर। पर्वतारोही अंकित सेन ने दक्षिण अफ्रीका के सबसे ऊंचे पर्वत किलिमंजारो पर तिरंगा लहराने के बाद वहां के पत्थर पर 'जय जबलपुर' लिखकर संस्कारधानी ही नहीं बल्कि देश का नाम भी रोशन किया है. जिसके बाद संस्कारधानी पहुंचने पर लोगों ने उनका गर्मजोशी से स्वागत किया. अंकित का अगला लक्ष्य माउंट एवरेस्ट में 8 हजार 848 मीटर की ऊंची चोटी में तिरंगा लहराना है, जिसकी तैयारी की जा रही है. जबलपुर जिले के मझौली तहशील के पड़रिया ग्राम में रहने वाले 24 वर्षीय अंकित सेन एक छोटे से परिवार से हैं. बीकॉम तक की पढ़ाई करने बाले अंकित का सपना पुलिस में डीएसपी बनना है. अंकित के पिता 6 हजार रुपये महीने की मजदूरी करते हैं.
कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा : अंकित कहते हैं कि पर्वतारोही बनना कभी भी उनके लिए आसान नहीं था. फिर भी जिस रास्ते पर उन्होंने कदम रखा है, वह उन्हें दूसरों से अलग बनाता है. बता दें कि माउंटेन मैन अंकित सेन ने 2014 से पर्वतारोही के क्षेत्र में विभिन्न उपलब्धियां प्राप्त की हैं. बेसिक और एडवांस माउंटेनियरिंग कोर्स करके अपने लक्ष्य की और आगे बढ़ रहे अंकित सेन ने 2017 में उत्तराखंड के गढ़वाल हिमालय माउंट जोगिन, जिसकी ऊंचाई 6 हजार 116 है, पर देश का तिरंगा झंडा फहराया. इसके बाद 2022 में हिमाचल प्रदेश के माउंट यूनाम जिसकी ऊंचाई 6 हजार 111 मीटर है, वहां तिरंगा फहराया.
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120 से ज्यादा लोगों को ट्रेनिंग : इसके बाद उन्होंने 19 से 29 जनवरी माउंट किलिमंजारो अफ्रीका में आयोजित माउंटेनियरिंग कैंप में भाग लिया और 23 जनवरी को चलना शुरू किया. गणतंत्र दिवस 26 जनवरी को अफ्रीका के सबसे ऊंचे शिखर पर सुबह 9 बजकर 10 मिनिट में देश का राष्ट्रीय ध्वज फहराया. ऐसा करने वाले अंकित मध्य प्रदेश के पहले पर्वतारोही बन गए हैं. अब अंकित का सपना है दुनिया की सब से ऊंची चोटी माउंट एवरेस्ट फतह करना है. अंकित सेन ने बताया कि जब उन्होंने चोटी में चलना शुरू किया तो वहां का तापमान माइनस 16 डिग्री था. कम ऑक्सीजन के कारण उनके पैर सुन्न हो गए थे और उनके सिर में भी बहुत दर्द होने लगा था. इसके अलावा वहां कई कठिनाइयां आईं, पर हमने हिम्मत नहीं हारी और तिरंगा लहरा दिया. फिलहाल अंकित संस्कारधानी में करीब 120 से ज्यादा बच्चों को पर्वतारोही बनने की ट्रेनिंग दे रहे हैं.