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सरकार को काउंटर एफिडेविट दायर करने को मिली मोहल्लत - President Dr. PG Nazpande

जबलपुर में जर्जर भवनों के खिलाफ नगर निगम की ओर से की जाने वाली कार्रवाई को चुनौती देते हुए हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई थी. इस मामले में अब अगली सुनवाई दो हफ्ते बाद होगी.

jabalpur high court
जबलपुर हाई कोर्ट
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Published : Apr 2, 2021, 9:28 PM IST

जबलपुर। जर्जर भवनों के खिलाफ नगर निगम की ओर से की जाने वाली कार्रवाई को चुनौती देते हुए हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई थी. याचिका में कहा गया था कि रैन बसेरा और सेल्टर होम नहीं होने के कारण सड़क पर रहने वाले भिखारी जर्जर मकान के नीचे रहते हैं, जिसके कारण वह हादसे का शिकार हो जाते हैं. हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस मोहम्मद रफीक और फहीम अनवर की युगलपीठ से सरकार ने मामले में काउंटर एफिडेविट देने का आग्रह किया था. जिसे युगलपीठ ने स्वीकार करते हुए याचिका पर अगली सुनवाई दो सप्ताह बाद निर्धारित की.

जर्जर मार्केट का छज्जा गिरने से दो भिखारियों की मौत

नागरिक उपभोक्ता मार्ग दर्शक मंच के अध्यक्ष डॉ. पीजी नाजपांडे और डॉ. एमए खान की तरफ से दायर याचिका में 22 दिसंबर को घंटाघर के पास नगर निगम के जर्जर मार्केट का छज्जा गिरने से दो भिक्षुओं की मौत का मामला उठाया गया था. याचिका में कहा गया था कि नगर निगम जिस तरह से शहर के जर्जर मकानों और भवनों के खिलाफ कार्रवाई करता है. अगर समय रहते खुद के मार्केट पर ध्यान आकर्षित करता, तो घटना घटित नहीं होती. शहर भर में भिखारी सड़कों पर नजर आते हैं, जिनके लिए सेल्टर होम, रैन बसेरा की कोई व्यवस्था नहीं है.

याचिकाकर्ता की तरफ से कहा गया था कि शहर की सड़कों और चौराहों पर बच्चे घूमते नजर आते हैं. जगह-जगह यातायात पुलिस की तैनाती होती है. इसके बावजूद भी उनकी ओर कोई ध्यान नहीं दिया जाता, जबकि बाल श्रम रोकने सहित कम उम्र के बच्चों के जुवेनाइल सहित अन्य कानून में प्रावधान हैं, जिसका पालन नहीं किया जा रहा है. याचिका में राहत चाही गई थी कि मार्केट के जर्जर हिस्से गिरने से जो घटना घटित हुई है उसकी जांच कराकर दोषी अधिकारी के खिलाफ कार्रवाई की जाए. साथ ही भिखारी और सड़कों पर घूमने बाले बच्चों के लिए सेल्टर होम और रैन बसेरा की व्यवस्था और जुवेनाइल कानून के परिपालन के संबंध में अनावेदकों को दिशा-निर्देश दिए जाए.

जबलपुर। जर्जर भवनों के खिलाफ नगर निगम की ओर से की जाने वाली कार्रवाई को चुनौती देते हुए हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई थी. याचिका में कहा गया था कि रैन बसेरा और सेल्टर होम नहीं होने के कारण सड़क पर रहने वाले भिखारी जर्जर मकान के नीचे रहते हैं, जिसके कारण वह हादसे का शिकार हो जाते हैं. हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस मोहम्मद रफीक और फहीम अनवर की युगलपीठ से सरकार ने मामले में काउंटर एफिडेविट देने का आग्रह किया था. जिसे युगलपीठ ने स्वीकार करते हुए याचिका पर अगली सुनवाई दो सप्ताह बाद निर्धारित की.

जर्जर मार्केट का छज्जा गिरने से दो भिखारियों की मौत

नागरिक उपभोक्ता मार्ग दर्शक मंच के अध्यक्ष डॉ. पीजी नाजपांडे और डॉ. एमए खान की तरफ से दायर याचिका में 22 दिसंबर को घंटाघर के पास नगर निगम के जर्जर मार्केट का छज्जा गिरने से दो भिक्षुओं की मौत का मामला उठाया गया था. याचिका में कहा गया था कि नगर निगम जिस तरह से शहर के जर्जर मकानों और भवनों के खिलाफ कार्रवाई करता है. अगर समय रहते खुद के मार्केट पर ध्यान आकर्षित करता, तो घटना घटित नहीं होती. शहर भर में भिखारी सड़कों पर नजर आते हैं, जिनके लिए सेल्टर होम, रैन बसेरा की कोई व्यवस्था नहीं है.

याचिकाकर्ता की तरफ से कहा गया था कि शहर की सड़कों और चौराहों पर बच्चे घूमते नजर आते हैं. जगह-जगह यातायात पुलिस की तैनाती होती है. इसके बावजूद भी उनकी ओर कोई ध्यान नहीं दिया जाता, जबकि बाल श्रम रोकने सहित कम उम्र के बच्चों के जुवेनाइल सहित अन्य कानून में प्रावधान हैं, जिसका पालन नहीं किया जा रहा है. याचिका में राहत चाही गई थी कि मार्केट के जर्जर हिस्से गिरने से जो घटना घटित हुई है उसकी जांच कराकर दोषी अधिकारी के खिलाफ कार्रवाई की जाए. साथ ही भिखारी और सड़कों पर घूमने बाले बच्चों के लिए सेल्टर होम और रैन बसेरा की व्यवस्था और जुवेनाइल कानून के परिपालन के संबंध में अनावेदकों को दिशा-निर्देश दिए जाए.

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