जबलपुर। इसी माह की 16 जुलाई को जिला कलेक्टर और कमिश्नर के आदेश के बाद नगर निगम के स्वास्थ्य विभाग की टीम डेंगू चिकनगुनिया एवं मलेरिया की रोकथाम के लिए दवा छिड़काव करने के लिए मेडिकल कैंपस के हॉस्टल में पहुंची थी. तभी दवा छिड़काव करते समय डॉक्टरों और कर्मचारियों में विवाद हो गया. देखते ही देखते डॉक्टरो ने कर्मचारियों के साथ जमकर मारपीट कर दी थी. इसमें 6 कर्मचारियों को गंभीर चोटें आई थीं. इनको उपचार के लिए मेडिकल अस्पताल में भर्ती कराते हुए गढ़ा पुलिस थाने में मामले की शिकायत दर्ज कराई थी. इसके बाद पुलिस ने 6 डॉक्टरों के खिलाफ मामला दर्ज किया था. इसको लेकर जूनियर डॉक्टरों ने गुरुवार को मेडिकल कॉलेज की डीन डॉ. गीता गुइंग को ज्ञापन सौंपा.
पुलिस ने छात्रों को हिरासत में लिया था : पुलिस ने मंगलवार की रात को हॉस्टल में छापा मारा कई छात्रों को हिरासत में ले लिया था. इसको लेकर छात्रों का आक्रोश भड़क उठा. जूनियर डॉक्टरों ने डीन कार्यालय का घेराव किया और जमकर नारेबाजी की. जूनियर डॉ. सुधांशु शर्मा ने ज्ञापन देते हुए पुलिस प्रशासन पर आरोप लगाया कि हमारा पक्ष बिना सुने डॉक्टरों को हिरासत में लेकर 6 घंटे तक लॉकअप में रखा. गढ़ा पुलिस द्वारा पूरे मामले पर नगर निगम कर्मियों की शिकायत पर जो कार्रवाई की गई है, वह पूर्णतः गलत है.
जूनियर डॉक्टरों ने दिया ज्ञापन : जूनियर डॉक्टरों की मांग है कि नेताजी सुभाष चंद्र बोस मेडिकल कॉलेज का प्रशासन इस मामले में उनके साथ रहे और छात्रों को जिस तरह से 6 घंटे लॉकअप में रखा गया उसमें प्रशासन अपना पक्ष रखें छात्रों ने 7 दिन का अल्टीमेटम मेडिकल कॉलेज प्रशासन को दिया है और कोई जवाब ना देने पर काम बंद हड़ताल की चेतावनी दी है. इधर, नेताजी सुभाष चंद्र बोस मेडिकल कॉलेज की डीन डॉ. गीता गुइंग ने छात्रों की गलती स्वीकार करते हुए उनकी ओर से माफी मांगी है. डीन कहना है की छोटी उम्र में छात्रों से गलतियां हो जाती हैं, वे यह नहीं जानते कि सरकारी कार्य में बाधा डालने की क्या सजा होती है.
(Fury in connection with police action) (Beating case of municipal workers) (Jabalpur medical college Dean apologizes)