जबलपुर। एमपी हाईकोर्ट ने गरीब और असक्षम लोगों के लिए मुख्यमंत्री कोविड उपचार योजना की शुरूआत की है, लेकिन इसमें दवाईयों और ऑक्सीजन व्यय का उल्लेख नहीं किया गया है. लेकिन याचिका दायर कर चुनौती देने वाले मामले का कोर्ट ने सोमवार को पटाक्षेप कर दिया. चीफ जस्टिस मोह. रफीक और जस्टिस अतुल श्रीधरन की युगलपीठ ने अपने आदेश में कहा है कि इस मामले को लेकर आवेदक को कोरोना संबंधी संज्ञान याचिका में हस्तक्षेप आवेदन पेश करने की स्वतंत्रता दी है. युगलपीठ ने मामले में चिरायु अस्तपाल के वायरल वीडियों संबंधी मामले में सरकार को उक्त मूल मामले की सुनवाई के दौरान जवाब पेश करने के निर्देश दिए हैं.
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याचिका का निराकरण करते हुए उक्त आदेश जारी
याचिका में कहा गया था कि योजना के तहत ऑक्सीजन युक्त 13 हजार 300, 32 बेड का प्रावधान किया गया है. मरीजों की संख्या अधिक होने पर उनका ऑक्सीजन व्यय और अस्पतालों में दवाईयां नहीं होने पर व्यय का उल्लेख नहीं किया गया है. याचिकाकर्ता के अधिवक्ता दिनेश उपाध्याय ने बताया कि सुनवाई के दौरान युगलपीठ को चिरायु अस्पताल ने आयुष्मान कार्ड धारियों का उपचार नहीं किए जाने के संबंध में जानकारी दी. वायरल वीडियो का हवाला देते हुए बताया गया कि अस्पताल प्रबंधन ने कहा कि उन्होंने निर्णय लिया है वह आयुष्मान कार्ड स्वीकार नहीं करेंगे. जिसके बाद युगल पीठ ने याचिका का निराकरण करते हुए इस मामले में आदेश जारी किए.