ETV Bharat / state

'ऑक्सीजन सप्लाई की पूर्ण प्रकिया का किया जाये पालन' - जबलपुर कोरोना अपडेट

ऑक्सीजन सप्लाई को लेकर हाईकोर्ट बार एसोसिएशन के सदस्य ने मानव अधिकार को पत्र भेजा है. पत्र में कहा गया है कि भारत के राजपत्र द्वारा साल 2002 में सम्पूर्ण डॉक्टरों के लिये कोड ऑफ कंडक्ट की प्रक्रिया निर्धारित की गई है. जिसमें इच्छा मृत्यु को पूर्ण तरीके से वर्जित एवं अनैतिक निरूपित किया गया है,

jabalpur high court
जबलपुर हाईकोर्ट
author img

By

Published : May 4, 2021, 6:47 AM IST

जबलपुर। हाईकोर्ट बार एसोसिएशन के सदस्य व राष्ट्रीय मानव अधिकार एंड अपराध नियंत्रण ब्यूरो के लीगल एडवाइजर यश सोनी ने राष्ट्रीय मानव अधिकार अध्यक्ष को पत्र भेजकर कर कोरोना मरीजों की ऑक्सीजन सप्लाई में छल एवं बिना जानकारी के उसे हटाने में पूर्ण प्रकिया का पालन न किये जाने के संबंध में पत्र लिखा है.

इच्छा मृत्यु है वर्जित
पत्र में कहा गया है कि भारत के राजपत्र द्वारा साल 2002 में सम्पूर्ण डॉक्टरों के लिये कोड ऑफ कंडक्ट की प्रक्रिया निर्धारित की गई है. जिसमें इच्छा मृत्यु को पूर्ण तरीके से वर्जित एवं अनैतिक निरूपित किया गया है, जो कि मानव अधिकार का भी उल्लंघन है. पत्र में कहा गया है कि ऑक्सीजन लाइफ सेविंग डिवाइस है. उसे मरीज को गभीर हालत की पूर्ण जानकारी होने के बावजूद हटाना इच्छा मृत्यु को प्रोत्साहन देना है, जो कि हत्या की श्रेणी में आता है.

दमोह का घुटता दम! HC के आदेश के बाद जीत का जश्न मनाने वालों की खैर नहीं

पत्र में राहत चाही गई है कि मेडिकल कोड ऑफ कंडक्ट प्रकिया 2002 का कड़ाई से पालन होना चाहिये. देश के हर नागरिक को उनके अधिकार और मानव अधिकार के उल्लंघन की जानकारी होने से हम बहुत से जीवन बचा सकते हैं.

जबलपुर। हाईकोर्ट बार एसोसिएशन के सदस्य व राष्ट्रीय मानव अधिकार एंड अपराध नियंत्रण ब्यूरो के लीगल एडवाइजर यश सोनी ने राष्ट्रीय मानव अधिकार अध्यक्ष को पत्र भेजकर कर कोरोना मरीजों की ऑक्सीजन सप्लाई में छल एवं बिना जानकारी के उसे हटाने में पूर्ण प्रकिया का पालन न किये जाने के संबंध में पत्र लिखा है.

इच्छा मृत्यु है वर्जित
पत्र में कहा गया है कि भारत के राजपत्र द्वारा साल 2002 में सम्पूर्ण डॉक्टरों के लिये कोड ऑफ कंडक्ट की प्रक्रिया निर्धारित की गई है. जिसमें इच्छा मृत्यु को पूर्ण तरीके से वर्जित एवं अनैतिक निरूपित किया गया है, जो कि मानव अधिकार का भी उल्लंघन है. पत्र में कहा गया है कि ऑक्सीजन लाइफ सेविंग डिवाइस है. उसे मरीज को गभीर हालत की पूर्ण जानकारी होने के बावजूद हटाना इच्छा मृत्यु को प्रोत्साहन देना है, जो कि हत्या की श्रेणी में आता है.

दमोह का घुटता दम! HC के आदेश के बाद जीत का जश्न मनाने वालों की खैर नहीं

पत्र में राहत चाही गई है कि मेडिकल कोड ऑफ कंडक्ट प्रकिया 2002 का कड़ाई से पालन होना चाहिये. देश के हर नागरिक को उनके अधिकार और मानव अधिकार के उल्लंघन की जानकारी होने से हम बहुत से जीवन बचा सकते हैं.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.