जबलपुर। मध्यप्रदेश में लगातार बढ़ते अपराधों को काबू करने के लिए महानगर की पुलिस शहर के चौराहों पर लगे CCTV पर काफी हद तक निर्भर है. यही वजह कि अब महानगरों में जिन अपराधों का खुलासा होता है. उसमें चौराहों में लगे सीसीटीवी कैमरों की अहम भूमिका होती है.जबलपुर की बात करें तो यहां पर मध्यप्रदेश पुलिस ने शहर के हर चौराहों पर सीसीटीवी कैमरे का जाल बुन दिया है. जिसके चलते अब अपराधियों के लिए अपराध करना इतना आसान नहीं रह गया है.
जबलपुर के चौराहों में 609 कैमरे
अपराधों के खुलासे में सबसे अहम भूमिका रहती है चौराहों में लगे सीसीटीवी कैमरों की. यही वजह है कि जिले में पुलिस ने शहर के करीब 125 चौराहों-तिराहों पर 609 कैमरे लगाए हुए हैं, यह कैमरे शहर के हर छोटे-बड़े चौराहों पर लगे हुए हैं. इन कैमरों के जरिए 50 फीसदी से ज्यादा अपराधों का खुलासा तत्काल हो जाता है. इनमें चेन स्नेचिंग, लूट, हिट एंड रन, जैसे अपराधों के लिए CCTV कैमरे बहुत ही कारगर साबित हो रहे हैं.
पुलिस कंट्रोल रूम से होती है 24 घंटे निगरानी
जबलपुर पुलिस के द्वारा शहर के 125 चौराहों पर लगाए गए 609 कमरों पर पुलिस की 24 घंटे निगरानी रहती है. जबलपुर पुलिस कंट्रोल रूम में बने सीसीटीएनएस रूम से शहर के हर चौराहे-तिराहों पर पुलिस की सटीक नजर अपराधियों और उनके कृत्य पर रहती है. छोटा सा भी अपराधी या दुर्घटना अगर कैमरे में कैद होती है तो सीसीटीएनएस रूम में तैनात पुलिसकर्मी संबंधित थाना और कंट्रोल रूम को तुरन्त सूचना देते हैं.सीसीटीएनएस रूम में तीन पाली में काम कर रहे पुलिसकर्मियों की 24 घंटे कैमरे पर नजर रहती है.
ट्रैफिक जाम पर भी रहती है नजर
सीसीटीएनएस रूम से न सिर्फ अपराध बल्कि ट्रैफिक जाम और बेवजह की भीड़ पर भी कैमरों के जरिए पुलिसकर्मी नजर बनाए रखते हैं. जब कभी ट्रैफिक जाम हो जाता है या फिर बेवजह की भीड़ एकत्रित हो जाती है तो उस स्थिति में कंट्रोल रूम के जरिए तुरंत ही संबंधित थानों को सूचना पहुंचाई जाती है.
कैमरे की क्वालिटी में सुधार की जरूरत
कई बार ऐसा होता है कि अपराधी अपराध करके जब भागता है तो उसके वाहन का नंबर सही तरीके से कैमरे में कैद नहीं हो पाता है. ऐसे में जरूरत है कि कैमरों की नई तकनीकों का उपयोग किया जाए. सीसीटीएनएस प्रभारी अमित जैन बताते हैं कि जबलपुर शहर में जो कैमरे लगाए गए थे वह 2015 के हैं. अब लगातार तकनीक में इजाफा हो रहा है. तो अब जरूरत है कि हाई पिक्सल के कैमरे लगाए जाए. वहीं पुलिस के द्वारा शहर के अलग-अलग चौराहों पर लगाए गए करीब 40 कैमरे बंद हैं. जिसके चलते इन कैमरों को वाहन चालकों ने दुर्घटनाग्रस्त कर दिया है. जिनका प्रकरण मुख्यालय स्तर पर अभी चल रहा है.
22 चौराहों पर 150 कैमरे
स्मार्ट सिटी इलाके और शहर की सीमा सहित 22 चौराहों पर करीब डेढ़ सौ कैमरे लगे हैं. इन कैमरों से रेड लाइट जंप करना, बिना हेलमेट के वाहन चलाना जैसे ट्रैफिक अपराधों के लिए ई-चालान बनाया जाता है. वर्तमान में स्मार्ट सिटी के सभी 150 कैमरे काम कर रहे हैं. हालांकि बारिश के समय जरूर सिग्नल की समस्या के चलते यह कैमरे कभी कभी बंद हो जाते हैं. जबलपुर नगर निगम कमिश्नर अनूप सिंह की मानें तो जबलपुर शहर को पूरी तरह से सीसीटीवी कैमरे से लैस करने की प्रक्रिया जारी है. हालांकि कुछ ऐसे एरिया है जहां पर अभी भी कैमरे लगाने की आवश्यकता है.जिसको लेकर स्थान चिन्हित करने की प्रक्रिया की जा रही है.
बायपास में जरूरी है CCTV कैमरे
भले ही जबलपुर शहर पूरी तरह से सीसीटीवी कैमरों से लैस हो गया हो, लेकिन अभी भी कुछ ऐसे चौराहे बाकी है. जहां पर कैमरा होना आवश्यक है. इसके साथ ही बायपास में भी सीसीटीवी कैमरों की मांग अब उठने लगी है. जानकारी के मुताबिक हाल ही में विकसित हुए बायपास में अभी तक सीसीटीवी कैमरे नहीं लगाए गए है. लिहाजा जब भी बड़ा कोई अपराध या दुर्घटना होती है तो उसे तलाश करने में पुलिस को भारी मशक्कत करनी पड़ती है. यही कारण है कि अब बायपास में भी सीसीटीवी कैमरों की लगाने की मांग उठने लगी है. इसके साथ ही विजय नगर, ISBT ,माढ़ोताल, रांझी, सिविल लाइन सहित कई ऐसे चौराहे अभी बाकी हैं. जहां पर सीसीटीवी कैमरों की जरूरत है.