इंदौर। Tantya Bhil balidaan diwas: इंदौर का पातालपानी रेलवे स्टेशन (Indore Patalpani Railway Station) अपनी नैसर्गिक सुंदरता और आदिवासियों के रॉबिनहुड कहे जाने वाले महान क्रांतिकारी की कर्मभूमि के नाम से तो प्रसिद्ध है ही लेकिन यह एकमात्र ऐसा स्टेशन है जहां अपने रॉबिनहुड की आस्था में ट्रेन कुछ क्षणों के लिए ठहर जाती है, अब राज्य सरकार इस इलाके का नाम भी टंट्या मामा के नाम पर करने जा रही है.
टंट्या मामा के बलिदान दिवस पर भव्य आयोजन (Tantya Bhil balidaan diwas)
भले ही रेल हादसे और टंट्या भील से जुड़ी बात वैज्ञानिक दृष्टि से तार्किक ना हो, लेकिन इस बात को अब मध्य प्रदेश की संस्कृति मंत्री उषा ठाकुर (Culture Minister Usha Thakur on Tantya Bhil) भी स्वीकार रही हैं. उषा ठाकुर के मुताबिक गांव वालों के सुझाव पर ही यहां टंट्या मामा का शहादत स्थल बनाया गया. इसलिए लोग यहां नारियल रखकर प्रार्थना करते हैं, तभी ट्रेन आगे बढ़ पाती है इसके अलावा लोग यहां टंट्या मामा की आराध्य देवी काली माई के मंदिर पर भी ब्रेक लगाकर उन्हें श्रीफल भेंट करते हैं. सालों से इस परंपरा का निर्वाह अब पातालपानी में किया जा रहा है. इस बार राज्य शासन टंट्या मामा की शहादत में उनके जन्म स्थान बड़ौदा अहीर गांव से भी माटी लेकर कलश यात्रा निकाल रही है, जिसका पूजन भी किया जा रहा है. इसके अलावा इंदौर में शनिवार को टंट्या मामा के बलिदान दिवस के अवसर पर भव्य आयोजन भी किया जा रहा है जिसमें करीब 1 लाख लोग एकत्र होंगे.
इंदौर से भी जुड़ी है कई घटनाएं
अमर शहीद टंट्या भील को मल्हारगंज थाने में भी रखा गया था. दरअसल उस जमाने में अंग्रेज उनसे इतना डरते थे कि उनके हाथों में डाली गई बेड़ियों में एक-एक आदमी को अलग से बांध कर रखते थे, जिससे कि टंट्या मामा कहीं भाग ना जाए. इसका एक दुर्लभ चित्र भी इंदौर के नयापुरा में रहने वाले एक स्थानीय व्यक्ति के पास है, जिसे एकत्र करके संरक्षित करने की तैयारी है. इसके अलावा टंट्या मामा के कड़े भी संरक्षित किए जा रहे हैं जिन्हें संग्रहालय में रखा जाएगा. राज्य शासन के मुताबिक पातालपानी क्षेत्र में करीब 4 करोड रुपए खर्च करके एक संग्रहालय की स्थापना भी जल्द होगी, जिसमें अमर शहीद टंट्या मामा की शहादत से जुड़ी यादें एवं उनकी कहानी संरक्षित की जा सकेगी.