इंदौर। इंदौर हाई कोर्ट में मृतक डॉ.एमएस भंडारी की पत्नी अरुणा भंडारी ने याचिका कोर्ट में लगाई थी. मामले में कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए राज्य सरकार को 16 लाख रुपए ब्याज सहित लौटाने के आदेश दिए. याचिकाकर्ता अरुण भंडारी की ओर से एडवोकेट धर्मेंद्र चेलावत ने कोर्ट के समक्ष विभिन्न तरह के तर्क रखे. एडवोकेट धर्मेंद्र चेलावत द्वारा बताया गया कि वर्ष 2012 में शासन ने एक आदेश जारी कर डॉ.एमएस भंडारी को पदोन्नत कर दिया था. इसके बाद से उन्हें पदोन्नति के हिसाब से बढ़ा हुआ वेतन मिलने लगा.
सेवा के दौरान डॉक्टर की मौत : नौकरी के दौरान वर्ष 2014 में डॉक्टर की मृत्यु हो गई. शासन ने डॉ.भंडारी की ग्रेजुएटी के 10 लाख रुपए व अन्य भुगतान की रकम करीब 16 लाख बनी. शासन ने इसका भुगतान डॉ. भंडारी की पत्नी अरुणा भंडारी को करने के बजाय अपने खाते में जमा कर लिया. अरुणा भंडारी से कहा गया कि शासन ने डॉ. भंडारी को पदोन्नति करने के आदेश को वापस ले लिया था. इस वजह से वसूली निकली है. इसके बाद अरुणा भंडारी ने एडवोकेट चेलावत के माध्यम से कोर्ट में गुहार लगाई.
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7 साल बाद आया फैसला : शासन को वर्ष 2016 में हाई कोर्ट में चुनौती दी गई. करीब 7 वर्ष बाद अब मामले में फैसला आया है. न्यायमूर्ति विजय कुमार शुक्ला ने शासन को आदेश दिया कि वह उक्त रकम 6% ब्याज के साथ डॉ.भंडारी की पत्नी को लौटाएं. फिलहाल कोर्ट के समक्ष याचिकाकर्ता अरुणा भंडारी के एडवोकेट ने विभिन्न तरह के तर्क रखे. तर्कों से सहमत होते हुए हाई कोर्ट ने राज्य सरकार को ब्याज सहित रकम लौटाने के आदेश दिए. इससे राज्य सरकार को करारा झटका लगा है.