इंदौर। देवी अहिल्या विश्वविद्यालय के स्कूल आफ बायोटेक्नोलॉजी के प्रोफेसर हेमेंद्र सिंह परमार द्वारा अपनी दो पीएचडी छात्राओं के साथ मिलकर यह शोध कार्य किया जा रहा है. इसमें आईआईटी इंदौर और आधार द्वारा भी मदद की जा रही है. यह शोध कार्य कैंसर के सेल पर किया जा रहा है. जिसमें यह पता लगाया जा रहा है कि विभिन्न दवाइयों का इन सेल्स पर क्या असर पड़ रहा है.
कीमोथेरेपी को खत्म करने का प्रयास : देवी अहिल्या विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रार डॉ. अनिल शर्मा के अनुसार विश्वविद्यालय के स्कूल आफ बायोटेक्नोलॉजी के प्रोफेसर द्वारा शोध कार्य किया जा रहा है. जिसमें कीमोथेरेपी के कारण शरीर पर पड़ने वाले प्रभावों को कम करना है. वहीं जिन मरीजों का कीमोथेरेपी नहीं हुई है, उन पर यह शोध किया गया है. शोध के दौरान पता चला है कि विभिन्न दवाइयों से कैंसर के सेल को खत्म किया जा सकता है. इलाज के बाद मरीज को कीमोथेरेपी की आवश्यकता नहीं पड़ेगी. दवाइयों के माध्यम से ही कैंसर के सेल को खत्म किया जा सकता है.
मेटाबॉलिज्म की दवाइयों से किया जा रहा इलाज : वर्तमान समय में बाजार में उपलब्ध विभिन्न मेटाबॉलिज्म की दवाइयों के माध्यम से यह शोध कार्य किया जा रहा है. शोध के दौरान पता लगाया गया है कि एक विशेष ट्रीटमेंट प्लान तैयार कर इन दवाओं को नियमित और निर्धारित मात्रा में देने पर कैंसर के सेल को खत्म किया जा सकता है. वहीं कीमोथेरेपी के दौरान कई बार कुछ सेल रह जाते हैं जो फिर से कैंसर की बीमारी को उत्पन्न करते हैं. ऐसे में यह कैंसर का एक कारगर इलाज साबित हो सकता है. हालांकि इस पर अंतिम दौर में काम किया जा रहा है.
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