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कोरोना योद्धा डॉक्टर तृप्ति ने ईटीवी भारत से की खास बातचीत, कोरोना को हराने का बताया प्लान

स्वास्थ्य विभाग की एक टीम रानीपुरा क्षेत्र में बीमार महिला के चेकअप के लिए पहुंची थी, तभी कुछ लोगों ने टीम पर पथराव कर दिया था. इस टीम में कोरोना योद्धा डॉक्टर तृप्ति भी शामिल थीं. कोरोना काल के दौरान उन्होंने ईटीवी भारत के साथ अपने अनुभव साझा किए हैं. पढ़िए पूरी खबर...

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कोरोना योद्धा डॉक्टर तृप्ति
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Published : Jul 13, 2020, 4:08 PM IST

इंदौर। इंदौर के रानीपुरा क्षेत्र में मेडिकल टीम पर रहवासियों ने पथराव ही कर दिया था. टीम दोपहर में टाटपट्टी बाखल में कुछ महिलाओं को चेकअप के लिए ले जाने पहुंची थी. इसी बात का रहवासियों ने विरोध किया और पुलिस के बैरिकेड को तोड़कर टीम पर पथराव कर दिया था. जिस टीम पर हमला हुआ था उसमें डॉ तृप्ति भी शामिल थीं. कोरोना वायरस के शुरूआत से लेकर अब तक उन्होंने अपने काम का अनुभव ईटीवी भारत के साथ साझा किया है. उन्होंने बताया कि उस हमले के बाद भी वो चैन से नहीं बैठीं और लगातार अपनी सेवाएं दे रही हैं. यही वजह है कि आज की तरीख में टाटपट्टी बाखल में एक भी कोरोना मरीज नहीं है.

कोरोना योद्धा डॉक्टर तृप्ति ने ईटीवी भारत से की खास बातचीत

टाटपट्टी बाखल हमले से हो गईं थीं आहत

ईटीवी भारत से खास बातचीत में डॉ. तृत्पी ने बताया कि जब उनकी टीम पर हमला हुआ था तब वे बहुत आहत हो गईं थीं. लेकिन परिजनों और अधिकारियों के कहने पर अभी भी लगातार अपने काम में डटी हुई हैं. जगह-जगह जाकर कोविड-19 मरीजों की तलाश के बाद उनका चेकअप कर रही हैं.

सभी मरीजों ने जीती कोरोना से जंग

डॉ. तृप्ति ने ईटीवी से अपने अनुभव शेयर करते हुए कहा कि जब उन पर हमला हुआ था तब उन्हें लगा था सब काम छोड़कर घर पर बैठ जाएं. क्योंकि वो बहुत घबरा गई थीं. लेकिन बाद में उन्होंने हिम्मत बांधी और क्षेत्र में कोविड-19 जांच का अभियान शुरू किया, जिसका परिणाम यह रहा कि इंदौर के टाट पट्टी बाखल में तकरीबन कई मरीज सामने आए थे, लगातार जांच-पड़ताल और रहवासियों से तालमेल की वजह से आज क्षेत्र के सभी कोरोना मरीज जंग जीतकर घर लौट चुके हैं.

400 कोरोना मरीजों की जांच की

डॉक्टर तृप्ति ने अभी तक 400 कोरोना मरीजों की जांच के बाद उन्हें अलग-अलग अस्पातालों में जांच के लिए भेज दिया है. जिनमें से अधिकतर ठीक हो कर घर भी आ गए हैं. उनके इन्हीं काम और समर्पण को देखते हुए अधिकारियों ने उन्हें अब शिप्रा जैसे ग्रामीण क्षेत्र की जिम्मेदारी दी है. डॉक्टर तृप्ति अपनी टीम के साथ सुबह से शिप्रा जैसे ग्रामीण क्षेत्र में जांच पड़ताल में जुटी हुई हैं. इस दौरान भी उन्होंने कई लोगों की जांच कर ली है. वहीं जांच पड़ताल में शिप्रा में भी दो मरीज सामने आए, जिन्हें इलाज के लिए हॉस्पिटल में भर्ती कराया है.

कोरोना को हराने का बताया प्लान

डॉक्टर तृप्ति का कहना है कि यदि कोविड-19 को हराना है तो निश्चित दूरी के साथ ही प्रशासन जो नियम और कायदे बता रहा है, उनका सख्ती से पालन किया जाए. जब तक रहवासी जागरूक नहीं होंगे, तब कोरोना को हराना मुश्किल है.

क्या है टाटपट्टी बाखल हमला

बीते अप्रैल में जब स्वास्थ्य विभाग की एक टीम रानीपुरा क्षेत्र में बीमार महिला के चेकअप के लिए पहुंची थी, तभी कुछ लोगों ने टीम पर पथराव कर दिया था. पुलिस ने इस मामले में 7 लोगों को गिरफ्तार किया था. बताया गया था कि मेडिकल डिपार्टमेंट की टीम टाट पट्टी बाखल में कोरोना वायरस की संदिग्ध बुजुर्ग महिला की स्क्रीनिंग के लिए गई थी. तभी लोगों ने मेडिकल टीम पर हमला बोल दिया. उन पर पत्थर बरसाए गए और उन्हें दौड़ा-दौड़ा कर मारा गया. इस टीम में डॉक्टर,नर्स शामिल थे.

इंदौर। इंदौर के रानीपुरा क्षेत्र में मेडिकल टीम पर रहवासियों ने पथराव ही कर दिया था. टीम दोपहर में टाटपट्टी बाखल में कुछ महिलाओं को चेकअप के लिए ले जाने पहुंची थी. इसी बात का रहवासियों ने विरोध किया और पुलिस के बैरिकेड को तोड़कर टीम पर पथराव कर दिया था. जिस टीम पर हमला हुआ था उसमें डॉ तृप्ति भी शामिल थीं. कोरोना वायरस के शुरूआत से लेकर अब तक उन्होंने अपने काम का अनुभव ईटीवी भारत के साथ साझा किया है. उन्होंने बताया कि उस हमले के बाद भी वो चैन से नहीं बैठीं और लगातार अपनी सेवाएं दे रही हैं. यही वजह है कि आज की तरीख में टाटपट्टी बाखल में एक भी कोरोना मरीज नहीं है.

कोरोना योद्धा डॉक्टर तृप्ति ने ईटीवी भारत से की खास बातचीत

टाटपट्टी बाखल हमले से हो गईं थीं आहत

ईटीवी भारत से खास बातचीत में डॉ. तृत्पी ने बताया कि जब उनकी टीम पर हमला हुआ था तब वे बहुत आहत हो गईं थीं. लेकिन परिजनों और अधिकारियों के कहने पर अभी भी लगातार अपने काम में डटी हुई हैं. जगह-जगह जाकर कोविड-19 मरीजों की तलाश के बाद उनका चेकअप कर रही हैं.

सभी मरीजों ने जीती कोरोना से जंग

डॉ. तृप्ति ने ईटीवी से अपने अनुभव शेयर करते हुए कहा कि जब उन पर हमला हुआ था तब उन्हें लगा था सब काम छोड़कर घर पर बैठ जाएं. क्योंकि वो बहुत घबरा गई थीं. लेकिन बाद में उन्होंने हिम्मत बांधी और क्षेत्र में कोविड-19 जांच का अभियान शुरू किया, जिसका परिणाम यह रहा कि इंदौर के टाट पट्टी बाखल में तकरीबन कई मरीज सामने आए थे, लगातार जांच-पड़ताल और रहवासियों से तालमेल की वजह से आज क्षेत्र के सभी कोरोना मरीज जंग जीतकर घर लौट चुके हैं.

400 कोरोना मरीजों की जांच की

डॉक्टर तृप्ति ने अभी तक 400 कोरोना मरीजों की जांच के बाद उन्हें अलग-अलग अस्पातालों में जांच के लिए भेज दिया है. जिनमें से अधिकतर ठीक हो कर घर भी आ गए हैं. उनके इन्हीं काम और समर्पण को देखते हुए अधिकारियों ने उन्हें अब शिप्रा जैसे ग्रामीण क्षेत्र की जिम्मेदारी दी है. डॉक्टर तृप्ति अपनी टीम के साथ सुबह से शिप्रा जैसे ग्रामीण क्षेत्र में जांच पड़ताल में जुटी हुई हैं. इस दौरान भी उन्होंने कई लोगों की जांच कर ली है. वहीं जांच पड़ताल में शिप्रा में भी दो मरीज सामने आए, जिन्हें इलाज के लिए हॉस्पिटल में भर्ती कराया है.

कोरोना को हराने का बताया प्लान

डॉक्टर तृप्ति का कहना है कि यदि कोविड-19 को हराना है तो निश्चित दूरी के साथ ही प्रशासन जो नियम और कायदे बता रहा है, उनका सख्ती से पालन किया जाए. जब तक रहवासी जागरूक नहीं होंगे, तब कोरोना को हराना मुश्किल है.

क्या है टाटपट्टी बाखल हमला

बीते अप्रैल में जब स्वास्थ्य विभाग की एक टीम रानीपुरा क्षेत्र में बीमार महिला के चेकअप के लिए पहुंची थी, तभी कुछ लोगों ने टीम पर पथराव कर दिया था. पुलिस ने इस मामले में 7 लोगों को गिरफ्तार किया था. बताया गया था कि मेडिकल डिपार्टमेंट की टीम टाट पट्टी बाखल में कोरोना वायरस की संदिग्ध बुजुर्ग महिला की स्क्रीनिंग के लिए गई थी. तभी लोगों ने मेडिकल टीम पर हमला बोल दिया. उन पर पत्थर बरसाए गए और उन्हें दौड़ा-दौड़ा कर मारा गया. इस टीम में डॉक्टर,नर्स शामिल थे.

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