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कैब चालकों पर कोरोना की मार, सरकार पर लगाए भेदभाव के आरोप

इंदौर में कोरोना संक्रमण से हालात दिन-ब-दिन खराब हो रहे हैं. संक्रमण के दूसरी लहर का सीधा प्रभाव आम जनता के साथ ही व्यापारियों पर भी पड़ा है. बात करें इंदौर के कैब ड्राइवर्स की तो एक बार फिर उनके सामने रोजी रोजगार की समस्या मूंह बाए खड़ी है. यदि समय रहते हुए सरकार कोई उचित कदम नहीं उठाती है तो उनके सामने एक बड़ी मुसीबत खड़ी हो जाएगी।

Corona attacks on cab drivers
कैब चालकों पर कोरोना की मार
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Published : Apr 21, 2021, 2:13 PM IST

Updated : Apr 24, 2021, 2:21 PM IST

इंदौर। कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर ने जन-जीवन को बुरी तरह से प्रभावित किया है. इसका सीधा असर आम जनता और उनके काम धंधे पर पड़ा है. इंदौर के कैब ड्राइवर्स की बात करें तो एक बार फिर उनके सामने आर्थिक समस्या खड़ी हो गई है. अब वो उम्मीद के साथ सरकार से मदद की गुहार लगा रहे हैं ताकी घर चल सके और काम धंधा भी प्रभावित ना हो.

  • कैब चालकों पर कोरोना का कहर

शहर में कैब और ट्रैवल ऑपरेटर बड़ी संख्या में मौजूद हैं. साल 2020 में कोरोना संक्रमण ने दस्तक दी थी और उनका पूरा कारोबार चौपट हो गया था, वैसे ही हालात एक बार फिर बन रहे हैं. शहर में महामारी की दूसरी लहर है और एक बार फिर काम धंधा चौपट होने के कगार पर है. इंदौर के कैब ड्रायवर और ट्रैवल ऑपरेटर की बात करें तो आज उनके सामने विभिन्न तरह की आर्थिक समस्या खड़ी हो गई है. सामान्य हालात में उनकी एक दिन की कमाई 3-4 हजार रुपए थी, जो अब मात्र पांच सौ से हजार रुपये तक पहुंच गई है.

कैब चालकों पर कोरोना की मार
  • आर्थिक स्थिति को दुरूस्त करना चुनौती

इस महामारी के दौर में कैब चालकों के सामने सबसे बड़ी चुनौती आर्थिक स्थिति को ठीक बनाए रखना है. अधिकांश कैब ड्रायवर किराए से लेकर कैब चलाते हैं. उनको अपनी कमाई का आधा हिस्सा कैब मालिक को किराए के रुप में देना होता है. कुछ ही कैब चालक ऐसे हैं जिनकी खुद की कैब है और वो भी किसी बैंक से कर्ज लेकर खरीदे गए हैं. जिसकी किस्त बैंक को चुकानी होती है. चिंता कि बात यह है कि इंदौर शहर में कोरोना की गंभीर स्थिति ने कैब चालकों के आर्थिक स्थिति पर बुरा असर डाला है. कोरोना संक्रमण की वजह से कैब चालकों का व्यापार ठप हो गया है. उनके आगे आर्थिक परेशानियां खड़ी हो गई हैं.

यह भी पढ़ें- इंदौर बना देश का पहला शहर, जहां कोरोना के कारण शादियों पर लगी रोक

  • सवारियों की है किल्लत

कैब चालकों का कहना है कि संक्रमण की वजह से लोगों का शहर में आना जान लगभग बंद हो गया है. सवारियां ना मिलने और तमाम बंदिशों की वजह से कैब का व्यापार खत्म हो गया है. कैब चालकों का यह भी कहना है कि उन्होंने जैसे-तैसे करके बैंक से फाइनेंस करवा कर गाड़ियां व्यापार करने के लिए उठाईं. लेकिन कोरोना ने एक बार फिर उनके सामने आर्थिक चुनौती खड़ी कर दी है. बैंक लगातार गाड़ियों की किस्त जमा करने के लिए अल्टीमेटम दे रहे हैं, ऐसे में यदि एक भी किश्त छूट जाती है तो उन पर पेनाल्टी वसूली जाती है. गौर करने वाली बात यह भी है कि यदि काफी लंबी किस्त हो जाती है तो गाड़ी सीज भी कर ली जाती है. आज इन सभी परेशानियों के चलते कई कैब चालकों ने तो गाड़ियों को बेचकर दूसरा व्यापार करना भी शुरू कर दिया है.

  • सरकार पर भेदभाव का आरोप

कैब चालकों ने सरकार पर भेदभाव का आरोप लगाया है. उनका कहना है कि एक तरफ सरकार सब्जी बेचने वाले किराना व्यापारियों को तरह-तरह की छूट दे रही है, वहीं दूसरी ओर कैब संचालकों की तरफ ध्यान नहीं दे रही. कैब चालकों का कहना है कि उनके सामने रोजी-रोजगार की समस्या खड़ी हो गई है. उनके घरों में आटा तक नहीं है, मगर सरकार उनकी समस्या को नजर-अंदाज कर रही है. वो किराए की गाड़ियां लेकर चलाते हैं और हर दिन वाहन मालिक को कम से कम 1 हजार रुपए देना होता है. लेकिन लॉकडाउन और बंदिशों ने कैब चालकों की कमर तोड़ दी है. ऐसी हालत में वो ना तो अपने मालिकों को किराया दे पा रहे हैं और ना ही अपना घर चला पा रहे. बचत का तो सवाल ही नहीं उठता.

  • चक्रवृद्धि ब्याज का है डर

कैब चालकों का कहना है कि पिछले साल सरकार ने ब्याज की राशि माफ करने की घोषणा की थी. मगर बैंकों ने माफी से इंकार कर दिया था. उल्टा उनसे चक्रवृद्धि ब्याज के साथ राशि की वसूली की गई. एक बार फिर कोरोना की पहली लहर जैसे हालात बन रहे हैं. बैंक कर्मचारी भी लगातार उन्हें धमका रहे हैं. शहर में इस समय कोई भी यात्री एक स्थान से दूसरे स्थान पर नहीं जा रहा, जिसके कारण व्यापार ठप्प है. हालत यह हे कि गाड़ियों की किस्त बैंकों को चुकाना भारी पड़ रहा है. ऐसे में बैंक कर्मचारी लगातार गाड़ियों को सीज करने की धमकी दे रहे हैं.

  • प्रशासन के नियम हैं सख्त

कैब चालकों का कहना है कि कोरोना महामारी को लेकर प्रशासन ने गाड़ियों के अंदर सवारियों को बैठाने के लिए नए दिशानिर्देश जारी किए हैं. यदि गाड़ी में चार लोग बैठे हैं तो किस तरह से बैठना है, और किस तरह से नहीं ये सब प्रशासन ही तय करता है. ऐसे में किसी ने भी नियमों की अनदेखी की तो उसकी भरपाई कैब चालकों को ही करनी पड़ रही है. एक शहर से दूसरे शहर और एक राज्य से दूसरे राज्य में जाने पर नियम बदल जाते हैं और उसका नुकसान भी कैब चालकों को ही होता है.

यह भी पढ़ें- इंदौर से लगी अन्य राज्यों की सीमाएं जल्द की जाएंगी सील

  • भविष्य की चुनौतियां

इंदौर में कैब चालक लगातार रोजगार के लिए संघर्ष कर रहे हैं. कोरोना को लेकर हालात ऐसे ही खराब रहे तो आने वाले दिनों में कैब चालकों की समस्या बढ़ सकती है. प्रशासन भी लगातार नए और सख्त गाइडलाइन जारी कर रहा है. जिसके कारण कैब चालकों के सामने आर्थिक संकट खड़ा होने की आशंका है. फिलहाल सबका रुख सरकार की तरफ है कि वो इन्हे कैसे मदद पहुंचा पाती है.

इंदौर। कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर ने जन-जीवन को बुरी तरह से प्रभावित किया है. इसका सीधा असर आम जनता और उनके काम धंधे पर पड़ा है. इंदौर के कैब ड्राइवर्स की बात करें तो एक बार फिर उनके सामने आर्थिक समस्या खड़ी हो गई है. अब वो उम्मीद के साथ सरकार से मदद की गुहार लगा रहे हैं ताकी घर चल सके और काम धंधा भी प्रभावित ना हो.

  • कैब चालकों पर कोरोना का कहर

शहर में कैब और ट्रैवल ऑपरेटर बड़ी संख्या में मौजूद हैं. साल 2020 में कोरोना संक्रमण ने दस्तक दी थी और उनका पूरा कारोबार चौपट हो गया था, वैसे ही हालात एक बार फिर बन रहे हैं. शहर में महामारी की दूसरी लहर है और एक बार फिर काम धंधा चौपट होने के कगार पर है. इंदौर के कैब ड्रायवर और ट्रैवल ऑपरेटर की बात करें तो आज उनके सामने विभिन्न तरह की आर्थिक समस्या खड़ी हो गई है. सामान्य हालात में उनकी एक दिन की कमाई 3-4 हजार रुपए थी, जो अब मात्र पांच सौ से हजार रुपये तक पहुंच गई है.

कैब चालकों पर कोरोना की मार
  • आर्थिक स्थिति को दुरूस्त करना चुनौती

इस महामारी के दौर में कैब चालकों के सामने सबसे बड़ी चुनौती आर्थिक स्थिति को ठीक बनाए रखना है. अधिकांश कैब ड्रायवर किराए से लेकर कैब चलाते हैं. उनको अपनी कमाई का आधा हिस्सा कैब मालिक को किराए के रुप में देना होता है. कुछ ही कैब चालक ऐसे हैं जिनकी खुद की कैब है और वो भी किसी बैंक से कर्ज लेकर खरीदे गए हैं. जिसकी किस्त बैंक को चुकानी होती है. चिंता कि बात यह है कि इंदौर शहर में कोरोना की गंभीर स्थिति ने कैब चालकों के आर्थिक स्थिति पर बुरा असर डाला है. कोरोना संक्रमण की वजह से कैब चालकों का व्यापार ठप हो गया है. उनके आगे आर्थिक परेशानियां खड़ी हो गई हैं.

यह भी पढ़ें- इंदौर बना देश का पहला शहर, जहां कोरोना के कारण शादियों पर लगी रोक

  • सवारियों की है किल्लत

कैब चालकों का कहना है कि संक्रमण की वजह से लोगों का शहर में आना जान लगभग बंद हो गया है. सवारियां ना मिलने और तमाम बंदिशों की वजह से कैब का व्यापार खत्म हो गया है. कैब चालकों का यह भी कहना है कि उन्होंने जैसे-तैसे करके बैंक से फाइनेंस करवा कर गाड़ियां व्यापार करने के लिए उठाईं. लेकिन कोरोना ने एक बार फिर उनके सामने आर्थिक चुनौती खड़ी कर दी है. बैंक लगातार गाड़ियों की किस्त जमा करने के लिए अल्टीमेटम दे रहे हैं, ऐसे में यदि एक भी किश्त छूट जाती है तो उन पर पेनाल्टी वसूली जाती है. गौर करने वाली बात यह भी है कि यदि काफी लंबी किस्त हो जाती है तो गाड़ी सीज भी कर ली जाती है. आज इन सभी परेशानियों के चलते कई कैब चालकों ने तो गाड़ियों को बेचकर दूसरा व्यापार करना भी शुरू कर दिया है.

  • सरकार पर भेदभाव का आरोप

कैब चालकों ने सरकार पर भेदभाव का आरोप लगाया है. उनका कहना है कि एक तरफ सरकार सब्जी बेचने वाले किराना व्यापारियों को तरह-तरह की छूट दे रही है, वहीं दूसरी ओर कैब संचालकों की तरफ ध्यान नहीं दे रही. कैब चालकों का कहना है कि उनके सामने रोजी-रोजगार की समस्या खड़ी हो गई है. उनके घरों में आटा तक नहीं है, मगर सरकार उनकी समस्या को नजर-अंदाज कर रही है. वो किराए की गाड़ियां लेकर चलाते हैं और हर दिन वाहन मालिक को कम से कम 1 हजार रुपए देना होता है. लेकिन लॉकडाउन और बंदिशों ने कैब चालकों की कमर तोड़ दी है. ऐसी हालत में वो ना तो अपने मालिकों को किराया दे पा रहे हैं और ना ही अपना घर चला पा रहे. बचत का तो सवाल ही नहीं उठता.

  • चक्रवृद्धि ब्याज का है डर

कैब चालकों का कहना है कि पिछले साल सरकार ने ब्याज की राशि माफ करने की घोषणा की थी. मगर बैंकों ने माफी से इंकार कर दिया था. उल्टा उनसे चक्रवृद्धि ब्याज के साथ राशि की वसूली की गई. एक बार फिर कोरोना की पहली लहर जैसे हालात बन रहे हैं. बैंक कर्मचारी भी लगातार उन्हें धमका रहे हैं. शहर में इस समय कोई भी यात्री एक स्थान से दूसरे स्थान पर नहीं जा रहा, जिसके कारण व्यापार ठप्प है. हालत यह हे कि गाड़ियों की किस्त बैंकों को चुकाना भारी पड़ रहा है. ऐसे में बैंक कर्मचारी लगातार गाड़ियों को सीज करने की धमकी दे रहे हैं.

  • प्रशासन के नियम हैं सख्त

कैब चालकों का कहना है कि कोरोना महामारी को लेकर प्रशासन ने गाड़ियों के अंदर सवारियों को बैठाने के लिए नए दिशानिर्देश जारी किए हैं. यदि गाड़ी में चार लोग बैठे हैं तो किस तरह से बैठना है, और किस तरह से नहीं ये सब प्रशासन ही तय करता है. ऐसे में किसी ने भी नियमों की अनदेखी की तो उसकी भरपाई कैब चालकों को ही करनी पड़ रही है. एक शहर से दूसरे शहर और एक राज्य से दूसरे राज्य में जाने पर नियम बदल जाते हैं और उसका नुकसान भी कैब चालकों को ही होता है.

यह भी पढ़ें- इंदौर से लगी अन्य राज्यों की सीमाएं जल्द की जाएंगी सील

  • भविष्य की चुनौतियां

इंदौर में कैब चालक लगातार रोजगार के लिए संघर्ष कर रहे हैं. कोरोना को लेकर हालात ऐसे ही खराब रहे तो आने वाले दिनों में कैब चालकों की समस्या बढ़ सकती है. प्रशासन भी लगातार नए और सख्त गाइडलाइन जारी कर रहा है. जिसके कारण कैब चालकों के सामने आर्थिक संकट खड़ा होने की आशंका है. फिलहाल सबका रुख सरकार की तरफ है कि वो इन्हे कैसे मदद पहुंचा पाती है.

Last Updated : Apr 24, 2021, 2:21 PM IST
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