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जान हथेली पर रखकर कर रहे नदी पार करे ग्रामीण, प्रशासन बना मूकदर्शक

होशंगाबाद जिले के मोकलबाडी गांव में नदी पर पुल न होने से लोग परेशानियों के चलते जान का जोखिम में डाल रहें हैं. बारिश के मौसम में गांव के लोग बहती नदी में से चलकर शहर या अन्य जगह जाने को मजबूर हैं.

जान हथेली पर रखकर कर रहे नदी पार करे ग्रामीण
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Published : Aug 10, 2019, 11:54 PM IST

होशंगाबाद। एक तरफ सरकार गांव-गांव तक पहुंचने की मुहिम चला रही हैं, लेकिन होशंगाबाद जिले के मोकलबाड़ी गांव में ये सभी वादे फीके नजर आते है. गांव में एक पुल न होने की वजह से ग्रामीणों को जान जोखिम में डालकर नदी पार करनी पड़ती है. जहां थोड़ी सी भी चूक होने पर कोई बड़ा हादसा हो सकता है.

जान हथेली पर रखकर कर रहे नदी पार करे ग्रामीण

जिले की सोहागपुर तहसील के मोकलबाडी गांव में करीब 1000 लोग रहते हैं. जो बारिश के मौसम में शहर पहुंचने के लिए पैदल नदी पार करने को मजबूर हैं. जबकि नदी में लोगों की गर्दन तक पानी बह रहा है. अपनी रोजमर्रा के काम के लिए लोग अपनी जान हथेली पर लेकर नदी पार करते हैं. जबकि प्रशासन ग्रामीणों की समस्या पर कोई ध्यान नहीं दे रहा है.

गांव के लोगों का कहना है कि हम पिछले कई सालों से नदी पर पुल बनवाने के लिए प्रशासन से गुहार लगा रहें हैं. लेकिन प्रशासन ने इस ओर कोई कदम नहीं उठाया. अगर गांव में कोई बीमार हो जाता है तो बहती नदी में से चारपाई पर लिटाकर नदी पार करते हैं. ग्रामीणों का कहना है कि यदि नदी का बहाव ज्यादा है तो बहाव कम होने तक इंतजार करते हैं. यही उनकी रोज की जिंदगी है. हैरानी की बात ये है कि गांव की जनसंख्या 1000 से ज्यादा होने के बावजूद सरकार या प्रशासन का ध्यान इस गांव पर नहीं गया.

होशंगाबाद। एक तरफ सरकार गांव-गांव तक पहुंचने की मुहिम चला रही हैं, लेकिन होशंगाबाद जिले के मोकलबाड़ी गांव में ये सभी वादे फीके नजर आते है. गांव में एक पुल न होने की वजह से ग्रामीणों को जान जोखिम में डालकर नदी पार करनी पड़ती है. जहां थोड़ी सी भी चूक होने पर कोई बड़ा हादसा हो सकता है.

जान हथेली पर रखकर कर रहे नदी पार करे ग्रामीण

जिले की सोहागपुर तहसील के मोकलबाडी गांव में करीब 1000 लोग रहते हैं. जो बारिश के मौसम में शहर पहुंचने के लिए पैदल नदी पार करने को मजबूर हैं. जबकि नदी में लोगों की गर्दन तक पानी बह रहा है. अपनी रोजमर्रा के काम के लिए लोग अपनी जान हथेली पर लेकर नदी पार करते हैं. जबकि प्रशासन ग्रामीणों की समस्या पर कोई ध्यान नहीं दे रहा है.

गांव के लोगों का कहना है कि हम पिछले कई सालों से नदी पर पुल बनवाने के लिए प्रशासन से गुहार लगा रहें हैं. लेकिन प्रशासन ने इस ओर कोई कदम नहीं उठाया. अगर गांव में कोई बीमार हो जाता है तो बहती नदी में से चारपाई पर लिटाकर नदी पार करते हैं. ग्रामीणों का कहना है कि यदि नदी का बहाव ज्यादा है तो बहाव कम होने तक इंतजार करते हैं. यही उनकी रोज की जिंदगी है. हैरानी की बात ये है कि गांव की जनसंख्या 1000 से ज्यादा होने के बावजूद सरकार या प्रशासन का ध्यान इस गांव पर नहीं गया.

Intro:होशंगाबाद जिले की सोहागपुर तहसील के मोकलबाडी गांव में नदी पुल नहीं होने से लोग जान जोखिम में डालकर नदी पार करते हैं।Body:

देश की आजादी के बाद भी आज तक नहीं बन पाया पुल
नदी पर पुल नहीं, जान-जोखिम में डालकर नदी को पार करते हैं ग्रामीण
होशंगाबाद। यह तस्वीर है मध्य प्रदेश के होशंगाबाद जिले के सोहागपुर की हैं। यहां पर नदी पर पुल नहीं बनने से यहां के ग्रामीण अपनी जान जोखिम में डालकर गर्दन-गर्दन पानी में होकर आते जाते हैं। आजादी से अब तक यहां पुल नहीं बना है। 2 गांव के करीब 1000 लोग इसी प्रकार रोजाना आना-जाना करते हैं। इसमें स्कूली बच्चों के अलावा ग्रामीण भी शामिल है। काफी समय से ग्रामीण नदी में पुल बनाने की मांग कर रहे हैं। लेकिन आज भी गांव में पुल नहीं बनने से सैकडों ग्रामीण रोजाना अपनी जान जोखिम में डालकर आना जाना कर रहे हैं। Conclusion:ग्रामीणों की स्थिति बारिश के दिनों और खराब हो जाती है। जब नदी में बारिश का पानी अधिक होने ग्रामीणों को कई बार तो कपडे निकालने के बाद पोटली बनाकर हाथ में रखकर ननदी पार करना पडता हैं और कई बार तो नदी में अधिक पानी होने की वजह से वह नदी के पानी कम होने का इंतजार करते हैं। वही कोई बीमार हो जाए तो उसका तो भगवान ही मालिक।
बाईट
शिव बाथरे
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