हरदा। जिले में किसानों की मुसीबतें कम होने का नाम नहीं ले रही हैं. सोयाबीन की दोबारा बोनी करने के बाद किसानों को खरीफ सीजन की पीला सोने कहलाने वाली सोयाबीन की फसल के अच्छे उत्पादन की आस लगी हुई थी, लेकिन किसानों की सारी उम्मीदें फसलों के मर जाने से धरी की धरी रह गई हैं. किसानों को खेतों में लगी सोयाबीन की फसल से लागत भी नहीं निकल पानी की चिंता सताने लगी है. जिसके चलते अब किसानों ने फसल को भेड़ बकरियों के हवाले कर दिया है, जिससे कि उनकी कटाई का पैसा बच सके.
हरदा में किसानों के द्वारा करीब 11 लाख हेक्टेयर में सोयाबीन की फसल लगाई गई थी, लेकिन तेज बारिश के बाद निकली धूप के बाद सोयाबीन की फसल में लगी बीमारी के चलते फसलें पूरी तरह से मुरझा गई हैं, जिससे जिले के किसान अब सरकार की ओर आस भरी निगाहें लगाए बैठे हैं. हरदा में किसानों ने करीब 1 लाख 65 हजार हेक्टेयर में सोयाबीन की फसल लगाई थी, जो पूरी तरह से बर्बाद हो गई है.
दूसरी ओर कृषि वैज्ञानिक और कृषि विभाग के शुरुआती आकलन में 15 से 20 फीसदी फसल नष्ट होना बताया जा रहा है. हरदा जिले के ग्राम भुवनखेड़ी में किसानों ने राजस्थान से आई भेड़ों को अपने खेतों में चराना शुरु कर दिया है.
हरदा जिले के किसानों ने गर्मी के दिनों में अतिरिक्त मूंग की फसल लगाकर कुछ राहत पाई थी, लेकिन खरीफ सीजन की मुख्य फसल पूरे जिले में बर्बाद हो गई है. किसान संगठन के साथ-साथ भाजपा और कांग्रेस सहित आम किसान यूनियन ने भी प्रशासन को ज्ञापन सौंपकर जिले में सोयाबीन की फसल का सर्वे कराकर किसानों को राहत और बीमा राशि दिए जाने की मांग की है.
अब तक सरकार की ओर से किसानों को केवल आश्वासन मिला है, लेकिन कोई ठोस पहल शुरू नहीं की गई है. ग्राम भुवनखेड़ी के किसानों का कहना है कि धूप निकलने के बाद अचानक से एक सप्ताह के भीतर खेतों में लहरा रही फसल मुरझा गई है. वहीं सोयाबीन के तने में भी बीमारी लगने से फसल पूरी तरह से मुरझा गई है, जिससे अब उन्हें लागत भी नहीं निकलने के चलते आप उन्होंने राजस्थान से आई भेड़ों के हवाले अपने खेतों को कर दिया है.