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हरदा के इस मंदिर में बारह ज्योर्तिलिंगों के रुप में विराजे हैं भगवान भोलेनाथ - हरदा

हरदा में अजनाल नदी के किनारे बने प्राचीन गुप्तेश्वर मन्दिर में बारह ज्योर्तिलिंगो की स्थापना की गयी है. जहां भगवान भोलेनाथ के भक्तगण अब एक ही मंदिर में देश के सभी ज्योर्तिलिंगो के दर्शन का लाभ ले सकेंगे. मंदिर के पुजारी ने बताया कि यह जिले का ऐसा पहला मंदिर है जहां भगवान शंकर अब बारह ज्योतिर्लिंगों के रुप में एक ही जगह पर विराजमान है.

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Published : Mar 8, 2019, 10:22 PM IST

हरदा। शहर में अजनाल नदी के किनारे बने प्राचीन गुप्तेश्वर मंदिर में बारह ज्योर्तिलिंगों की स्थापना की गयी है. जहां भगवान भोलेनाथ के भक्तगण अब एक ही मंदिर में देश के सभी ज्योर्तिलिंगों के दर्शन का लाभ ले सकेंगे.

बारह ज्योतिर्लिंगों की स्थापना का यह आयोजिन तीन दिन तक चला, जिसमें पंडित मुरलीधर व्यास के मार्गदर्शन में 15 पंडितों ने पूरे विधि विधान के साथ 12 दम्पतियों के द्वारा पूजन अभिषेक कर ज्योर्तिलिंगों की स्थापना कराई है. बता दे कि मंदिर में पिछले दो साल से इन ज्योर्तिलिंगों का निर्माण कार्य चल रहा था. जिसमें शहर के सभी लोगों ने सहयोग दिया है. पुजारी ने बताया कि यह जिले का ऐसा पहला मंदिर है जहां भगवान शंकर अब बारह ज्योतिर्लिंगों के रुप में एक ही जगह पर विराजमान हैं.

पैकेज

पंडित मुरलीधर व्यास ने बताया कि आज ब्रह्ममुहूर्त से ही द्वादश ज्योतिर्लिंगों की स्थापना का पूजन शुरू किया गया है. जिसमे पंडितों के द्वारा सभी यजमानों के साथ मिलकर भगवान भोलेनाथ के बारह रूपों का अभिषेक पूजन किया गया. पूजन के बाद मंदिर में में विशाल भण्डारे का भी आयोजन किया गया, जिसमें श्रद्धालुओं ने प्रसादी ग्रहण की है.

हरदा। शहर में अजनाल नदी के किनारे बने प्राचीन गुप्तेश्वर मंदिर में बारह ज्योर्तिलिंगों की स्थापना की गयी है. जहां भगवान भोलेनाथ के भक्तगण अब एक ही मंदिर में देश के सभी ज्योर्तिलिंगों के दर्शन का लाभ ले सकेंगे.

बारह ज्योतिर्लिंगों की स्थापना का यह आयोजिन तीन दिन तक चला, जिसमें पंडित मुरलीधर व्यास के मार्गदर्शन में 15 पंडितों ने पूरे विधि विधान के साथ 12 दम्पतियों के द्वारा पूजन अभिषेक कर ज्योर्तिलिंगों की स्थापना कराई है. बता दे कि मंदिर में पिछले दो साल से इन ज्योर्तिलिंगों का निर्माण कार्य चल रहा था. जिसमें शहर के सभी लोगों ने सहयोग दिया है. पुजारी ने बताया कि यह जिले का ऐसा पहला मंदिर है जहां भगवान शंकर अब बारह ज्योतिर्लिंगों के रुप में एक ही जगह पर विराजमान हैं.

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पंडित मुरलीधर व्यास ने बताया कि आज ब्रह्ममुहूर्त से ही द्वादश ज्योतिर्लिंगों की स्थापना का पूजन शुरू किया गया है. जिसमे पंडितों के द्वारा सभी यजमानों के साथ मिलकर भगवान भोलेनाथ के बारह रूपों का अभिषेक पूजन किया गया. पूजन के बाद मंदिर में में विशाल भण्डारे का भी आयोजन किया गया, जिसमें श्रद्धालुओं ने प्रसादी ग्रहण की है.

Intro:हरदा की अजनाल नदी के किनारे बने प्राचीन गुप्तेश्वर मन्दिर में बारह ज्योतिर्लिंगों की स्थापना का तीन दिवसीय समारोह के रूप में की गई।यहां पर पंडित मुरलीधर व्यास के मार्गदर्शन में 15 पंडितो ने पूरे विधि विधान के साथ 12 दम्पतियों के द्वारा पूजन अभिषेक कर स्थापना कराई गई है।मंदिर में नगर के दानदाताओ के सहयोग से पिछले दो सालों से मंदिर निर्माण कार्य शुरू किया गया था।दोपहर 1 बजे हवन के बाद महाआरती की गई।जिसमें सैकड़ो की संख्या में श्रद्धालुओं ने हिस्सा लेकर स्थापना दिवस समारोह के साक्षी बने।बाद में विशाल भण्डारे का भी आयोजन किया गया।मंदिर में बारह ज्योतिर्लिंगों की स्थापना में भीड़ उमड़ पड़ी।


Body:तीन दिवसीय स्थापना दिवस के अवसर पर प्रथम दिन मंदिर समिति के द्वारा नगर में भव्य शोभायात्रा निकाली गई थी।वही दूसरे दिन मंडल स्थापना पूजन,अधिवास कर्म सहित अन्य विधियों के माध्यम से स्थापना पूजन कार्यक्रम सपंन्न कराया गया है।


Conclusion:पंडित मुरलीधर व्यास ने बताया कि आज ब्रह्ममुहूर्त से ही द्वादश ज्योतिर्लिंगों की स्थापना का पूजन शुरू किया गया है।जिसमे पंडितो के द्वारा सभी यजमानों के साथ मिलकर भगवान भोलेनाथ के बारह रूपों का अभिषेक पूजन किया जा रहा है।वही हवन पूजन के बाद मन्दिर में विशाल भण्डारे का भी आयोजन किया गया।जिसमें श्रद्धालुओं ने प्रसादी ग्रहण की है।
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