ग्वालियर। बढ़ते कोरोना संक्रमण के बीच ऐसे कई मामले सामने आ रहे हैं जो वैज्ञानिकों और रिसर्चर्स के लिए बड़ी चुनौती हैं. शहर में एक 30 वर्षीय युवक 9 महीने के भीतर तीन बार कोरोना संक्रमण का शिकार हो गया है. ग्वालियर औऱ एमपी का यह पहला मामला है जब इतनी जल्दी कोई युवक संक्रमण की चपेट में आ रहा है. इस युवक को पहली बार 26 जुलाई 2020 को सर्दी जुकाम बुखार की शिकायत थी. जांच कराने के बाद वह कोरोना संक्रमित निकला. गंभीर लक्षण ना होने के कारण उसे घर में ही आइसोलेट किया गया और वह बाद में ठीक हो गया. दूसरी बार वह 15 अक्टूबर को फिर से कोरोना पॉजिटिव पाया हुआ और अब 25 अप्रैल को तीसरी बार उसकी कोरोना रिपोर्ट पॉजिटिव आई है.
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युवक 9 महीने में 3 बार हुआ कोरोना संक्रमित
अमूमन देखा जाता है एक बार कोरोना संक्रमित होने के बाद व्यक्ति के शरीर में एंटीबॉडी बन जाती है. ज्यादातर मामलों में एंटीबॉडी लगभग 6 महीने से ऊपर इंसान को कोरोना संक्रमण से सुरक्षा कवच देती है. लेकिन ग्वालियर में ऐसा पहला मामला है कि एक 30 साल का युवक 9 महीने में तीसरी बार कोरोना संक्रमित हो गया है. दो बार इस युवक में कोरोना संक्रमण के लक्षण सामान्य आए और वह घर पर ही सही हो गया है. फिलहाल इसका इलाज जारी है. लेकिन इसके साथ ही कई तरह के सवाल भी शोधकर्ताओं के सामने खड़े हो गए हैं. मसलन...
- क्या कोई इंसान 9 महीने में 3 बार कोरोना संक्रमित हो सकता है?
- युवक के भीतर क्या एंटीबॉडी ठीक से बन नहीं रहा या फिर बहुत कम समय में खत्म हो रहा है?
- कोरोना की दूसरी लहर में नए स्ट्रेन की वजह से तो ऐसा नहीं हो रहा?
- कहीं ये नए किस्म का वेरिएंट तो नहीं है जिसके बारे में जीनोम सीक्वेंसिंग के बाद शोधकर्ता कुछ नया खुलासा कर सकें?
- या फिर ये कोई सामान्य से थोड़ा अलग हटकर कोई मामला है?
जीनोम सीक्वेंसिंग के लिए सैंपल भेजा जाएगा लैब
इस नए मामले के सामने आने के बाद स्वास्थ्य विभाग भी सचेत हो गया है. अब युवक का टेस्ट सैंपल लिया जाएगा जिसे दिल्ली स्थित लैब में जीनोम सीक्वेंसिंग के लिए भेजा जाएगा. इस संबंध में स्वास्थ्य विभाग का रिएक्शन भी सामने आया है.
अभी हमारे पास ऐसी जानकारी नहीं है. हम जानकारी ले रहे हैं कि यह युवक कब-कब संक्रमण की चपेट में आया है, साथ ही जानकारी जुटाने के बाद युवक का सैंपल जीनोम सीक्वेसिंग के भेजा जाएगा. हालांकि ऐसा कम देखने को मिलता है कि किसी शख्स को इतनी जल्दी कोरोना संक्रमण हो. कोरोना की दूसरी लहर है और इस लहर में नए स्ट्रेन में एंटीबॉडी कितने दिन तक काम करती है, यह रिसर्च का विषय है. - डॉक्टर मनीष शर्मा, जिला स्वास्थ्य अधिकारी, ग्वालियर.
क्या है जीनोम सीक्वेंसिंग
जीनोम सीक्वेंसिंग किसी वायरस को पहचानने और उसके बारे में जानकारी होती है. इससे ही कोरोना के नए स्ट्रेन के बारे में जानकारी हासिल होती है. यानि कोई वायरस कैसा है, उसका रुप कैसै है, वो कैसे प्रतिक्रिया देता है, इसकी जानकारी जीनोम से ही मिलती है. वायरस के विशाल समूह को जीनोम कहते हैं और उसके बारे में जानने की प्रक्रिया को जीनोम सीक्वेंसिंग कहते हैं. इंसान की कोशिकाओं में DNA और RNA होता हैं. इन सभी पदार्थों को सामूहिक रूप से जीनोम कहते हैं. स्ट्रेन को जेनेटिक वैरिएंट कहा जाता है. सरल भाषा में इसे अलग-अलग वैरिएंट भी कह सकते हैं.