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महिलाओं ने इस कार्य से संभाली परिवार की आजीविका चलाने की जिम्मेदारी

कोरोना काल में स्वसहायता समूह की महिलाएं एक बड़ी जिम्मेदारी निभा रही हैं. महिलाओं ने फेस मास्क के निर्माण का कार्य शुरू कर दिया है. फेस मास्क निर्माण का कार्य करने से ग्रामीण महिलाओं को अब रोजी-रोटी की चिंता का सामना नहीं करना पड़ रहा है.

मध्यप्रदेश राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन
मध्यप्रदेश राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन
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Published : Apr 29, 2021, 7:17 PM IST

अनूपपुर। कोरोना काल में लाॅकडाउन के चलते मध्यप्रदेश राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन द्वारा गठित महिला स्वसहायता समूह की महिला सदस्यों ने एक बड़ी जिम्मेदारी संभाल ली है. महिलाओं ने सामाजिक सरोकारों के प्रति अपने दायित्वों को निभाने के साथ-साथ परिवार की आजीविका चलाने की जिम्मेदारी का बीड़ा भी उठा लिया है. इन ग्रामीण महिलाओं ने फेस मास्क निर्माण कार्य की शुरूआत कर अपने इन दायित्वों को निभाना शुरू कर दिया है. फेस मास्क निर्माण का कार्य करने से ग्रामीण महिलाएं रोजी-रोटी की चिंता से मुक्त हो गई हैं.


सुंदर सस्ते और टिकाऊ मास्क बना रही महिलाएं

ग्रामीण महिलाओं के परिवार की आजीविका चलाने के लिए राज्य सरकार ने महिला स्व सहायता समूहों को फेस मास्क निर्माण का काम हाथ में दिया है. कलेक्टर चंद्रमोहन ठाकुर एवं मुख्यकार्यपालन अधिकारी जिला पंचायत मिलिंद नागदेवे के निर्देश पर जिले के महिला स्वसहायता समूहों ने मनरेगा श्रमिकों के लिए मास्क बनाने का काम शुरू कर दिया है. ये मास्क मनरेगा श्रमिकों को उपलब्ध कराए जा रहे हैं, ताकि वह कोरोना जैसी घातक महामारी से बचाव कर सकें.

41 ग्रामों के 132 समूह सम्मिलित

जिला परियोजना प्रबंधक, मध्यप्रदेश राज्य ग्रामीण आजीविक मिशन शशांक प्रताप सिंह ने बताया कि जिले के समस्त विकासखंडों के 41 ग्रामों में 132 समूहों की महिला सदस्य मास्क निर्माण के कार्य में जुड़ी हुई हैं. इनके द्वारा अभी तक 52 हजार से ज्यादा मास्कों का निर्माण किया जा चुका है. स्व सहायता समूहों द्वारा बनाए जा रहे मास्क, शासन के निर्देशानुसार मनरेगा श्रमिकों को प्रदान किए जायेंगे, जिससे जहां एक ओर मनरेगा श्रमिकों को कोरोना के संक्रमण से बचाव में मदद मिलेगी, वहीं दूसरी ओर समूह की महिला सदस्यों को मास्क निर्माण से आर्थिक मदद भी प्राप्त होगी. जिसके सहारे उनके परिवार का भरण-पोषण चलेगा.

1 मई से सबसे बड़ा अभियान: क्या है राज्यों का मूड, कितना होगा कामयाब ?

बीते साल इतने लाख के बनाए मास्क

मालूम हो कि बीते वर्ष कोरोना काल में इन महिला स्वसहायता समूहों ने 2 लाख 3 हजार फेस मास्क का निर्माण कर अपनी आजीविका चलाई थी. ये मास्क पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग समेत राजस्व, स्वास्थ, पुलिस, लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग एवं स्वयंसेवी संगठनों को बेचे गए थे. प्रशिक्षण के दौरान एवं उसके उपरांत समूह सदस्यों द्वारा मास्क के उपयोग, सामाजिक दूरी जैसी जानकारियां भी दी जा रही हैं.

अनूपपुर। कोरोना काल में लाॅकडाउन के चलते मध्यप्रदेश राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन द्वारा गठित महिला स्वसहायता समूह की महिला सदस्यों ने एक बड़ी जिम्मेदारी संभाल ली है. महिलाओं ने सामाजिक सरोकारों के प्रति अपने दायित्वों को निभाने के साथ-साथ परिवार की आजीविका चलाने की जिम्मेदारी का बीड़ा भी उठा लिया है. इन ग्रामीण महिलाओं ने फेस मास्क निर्माण कार्य की शुरूआत कर अपने इन दायित्वों को निभाना शुरू कर दिया है. फेस मास्क निर्माण का कार्य करने से ग्रामीण महिलाएं रोजी-रोटी की चिंता से मुक्त हो गई हैं.


सुंदर सस्ते और टिकाऊ मास्क बना रही महिलाएं

ग्रामीण महिलाओं के परिवार की आजीविका चलाने के लिए राज्य सरकार ने महिला स्व सहायता समूहों को फेस मास्क निर्माण का काम हाथ में दिया है. कलेक्टर चंद्रमोहन ठाकुर एवं मुख्यकार्यपालन अधिकारी जिला पंचायत मिलिंद नागदेवे के निर्देश पर जिले के महिला स्वसहायता समूहों ने मनरेगा श्रमिकों के लिए मास्क बनाने का काम शुरू कर दिया है. ये मास्क मनरेगा श्रमिकों को उपलब्ध कराए जा रहे हैं, ताकि वह कोरोना जैसी घातक महामारी से बचाव कर सकें.

41 ग्रामों के 132 समूह सम्मिलित

जिला परियोजना प्रबंधक, मध्यप्रदेश राज्य ग्रामीण आजीविक मिशन शशांक प्रताप सिंह ने बताया कि जिले के समस्त विकासखंडों के 41 ग्रामों में 132 समूहों की महिला सदस्य मास्क निर्माण के कार्य में जुड़ी हुई हैं. इनके द्वारा अभी तक 52 हजार से ज्यादा मास्कों का निर्माण किया जा चुका है. स्व सहायता समूहों द्वारा बनाए जा रहे मास्क, शासन के निर्देशानुसार मनरेगा श्रमिकों को प्रदान किए जायेंगे, जिससे जहां एक ओर मनरेगा श्रमिकों को कोरोना के संक्रमण से बचाव में मदद मिलेगी, वहीं दूसरी ओर समूह की महिला सदस्यों को मास्क निर्माण से आर्थिक मदद भी प्राप्त होगी. जिसके सहारे उनके परिवार का भरण-पोषण चलेगा.

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बीते साल इतने लाख के बनाए मास्क

मालूम हो कि बीते वर्ष कोरोना काल में इन महिला स्वसहायता समूहों ने 2 लाख 3 हजार फेस मास्क का निर्माण कर अपनी आजीविका चलाई थी. ये मास्क पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग समेत राजस्व, स्वास्थ, पुलिस, लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग एवं स्वयंसेवी संगठनों को बेचे गए थे. प्रशिक्षण के दौरान एवं उसके उपरांत समूह सदस्यों द्वारा मास्क के उपयोग, सामाजिक दूरी जैसी जानकारियां भी दी जा रही हैं.

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