ग्वालियर। जिला कोर्ट ने कांग्रेस के उन तीन नेताओं की जमानत याचिका सोमवार शाम को स्वीकार कर ली, जिनके खिलाफ झांसी रोड थाने में रविवार को ज्योतिरादित्य सिंधिया के महल पर उनके गुमशुदगी के पोस्टर चस्पा करने पर मामला दर्ज किया गया था. कांग्रेस नेता सिद्धार्थ राजावत, अभिषेक भदौरिया और जवान गुर्जर के खिलाफ बीजेपी के नेताओं ने शिकायत की थी, जिसके बाद ये मामला दर्ज किया गया था.
बीजेपी के नेताओं ने कांग्रेस के तीन नेताओं पर आरोप लगाया था कि उन्होंने जयविलास परिसर के गेट पर बीजेपी नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया की गुमशुदगी के पोस्टर लगाए थे. इस पोस्टर में कांग्रेस नेताओं ने सिंधिया का सुराग बताने वाले को 5100 रुपये का इनाम देने का जिक्र किया था. उपचुनाव से पहले छिंदवाड़ा से शुरू हुए पोस्टर युद्ध में ग्वालियर रविवार बेहद गर्म रहा था. रविवार को देर शाम कांग्रेस नेताओं को जिला न्यायालय में पेश किया गया था उस समय मजिस्ट्रेट जा चुके थे, इसलिए उन्हें सोमवार की दोपहर जिला न्यायालय में पेश किया गया. बचाव पक्ष के वकील का कहना था कि ये पोस्टर राजनीतिक नहीं थे बल्कि एक जनसेवक के नाते एक जागरुक नागरिक द्वारा लगाए गए थे.
वचाव पक्ष का कहना था कि अभिव्यक्ति की आजादी का अधिकार भारतीय संविधान में दिया हुआ है. उसी के तहत यह पोस्टर लगाए गए, जिसमें किसी भी राजनीतिक दल का उल्लेख नहीं था. यह भारतीय संविधान के आर्टिकल 19 के तहत आता है. इसी तरह के एक मामले में कोलकाता हाईकोर्ट ने भी एक जर्नलिस्ट को जमानत दी थी. बचाव पक्ष के दलीलें सुनने के बाद एडीजे कोर्ट ने सिद्धार्थ राजावत, अभिषेक भदौरिया और जवान गुर्जर को पच्चीस-पच्चीस हजार रुपए के निजी मुचलके पर जमानत देने के आदेश जारी किए हैं.
इस मामले में रिहा हुए कांग्रेसी नेता सिद्धार्थ राजावत का कहना है कि भारतीय जनता पार्टी सत्ता का दुरुपयोग कर रही है और आवाज उठाने वालों पर दमन की नीति अपना रही है , उन्होंने अपरोक्ष रूप से ज्योतिरादित्य सिधिंया पर सामंतवाद की राजनीति करने का आरोप लगाया है.