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सर्दियों का इम्यूनिटी बूस्टर है कड़कनाथ, खासियत ऐसी कि दूसरे राज्यों के लोग भी करते हैं डिमांड

Kadaknath Immunity Booster Of Winter: कंपकंपाती ठंड के बीच एमपी में कड़कनाथ मुर्गे की भी डिमांड बढ़ गई है. एमपी ही नहीं बल्कि दूसरे राज्यों से भी कड़कनाथ की मांग की जा रही है.

Kadaknath immunity booster of winter
कड़कनाथ
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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Dec 22, 2023, 5:19 PM IST

सर्दियों का इम्यूनिटी बूस्टर है कड़कनाथ

ग्वालियर। मध्य प्रदेश में लगातार बढ़ रही सर्दी के कारण कड़कनाथ मुर्गों की डिमांड भी काफी तेज हो गई है. ग्वालियर से कड़कनाथ मुर्गा की डिमांड मध्य प्रदेश ही नहीं बल्कि उत्तर प्रदेश, राजस्थान, गुजरात, दिल्ली सहित तमाम राज्यों से आने लगी है. हालत यह हो गये हैं कि भारी डिमांड के चलते अब अलग-अलग राज्यों के लिए कड़कनाथ मुर्गों की वेटिंग शुरू हो गई है. ग्वालियर के कृषि विज्ञान केंद्र में स्थित कड़कनाथ मुर्गों का हेचरिंग सेंटर है. जहां अंडों से चूजे तैयार किए जाते हैं. उसके बाद अलग-अलग राज्यों में भेजे जाते हैं.

सर्दियों में बढ़ती है कड़कनाथ की डिमांड: बता दें कड़कनाथ मुर्गा को सर्दियों का इम्यूनिटी बूस्टर कहा जाता है. यही कारण है और कड़कनाथ मुर्गे का चिकन सर्दियों में काफी गर्म होता है. इसलिए सर्दियों में कड़कनाथ की डिमांड काफी बढ़ जाती है. राजमाता विजया राजे कृषि विश्वविद्यालय के अंतर्गत कृषि विज्ञान केंद्र में प्रदेश का दूसरा कड़कनाथ मुर्गों का हेचरिंग सेंटर है. जहां पर कड़कनाथ मुर्गी के अंडों से चूजे तैयार किए जाते हैं और यहां एक महीने में लगभग 2000 से अधिक चूजे तैयार होते हैं. जिन्हें डिमांड के अनुरूप दिया जाता है.

ग्रामीणों को दी जा रही मुर्गी पालन की ट्रेनिंग: कृषि विज्ञान केंद्र में कड़कनाथ मुर्गा हेचरिंग सेंटर के प्रभारी डॉक्टर जितेंद्र सिंह राजपूत का कहना है कि ग्वालियर का कृषि विज्ञान केंद्र साल 2016 से कड़कनाथ का उत्पादन कर रहा है. यहां पर झाबुआ से लाकर 200 चूजों की हैचरी बनाई गई थी. इसके बाद वह लगातार इसकी उत्पादन क्षमता बढ़ा रहे हैं. इसके अलावा उन्होंने बताया की कड़कनाथ का उत्पादन बढ़ाने के लिए ग्रामीण क्षेत्रों में मुर्गी पालन करने वाले ग्रामीणों को भी इसकी ट्रेनिंग दे रहे हैं, ताकि वह कड़कनाथ मुर्गों का पालन कर सकें, क्योंकि मध्य प्रदेश के अलावा अलग-अलग राज्यों में कड़कनाथ मुर्गों की डिमांड काफी बढ़ रही है. यह लोगों को चिकन के रूप में काफी बेहद पसंद आ रहा है.

Kadaknath Chicken Demand In Winter
कड़कनाथ

एमपी के साथ दूसरे राज्यों से भी डिमांड: कृषि वैज्ञानिक के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ जितेंद्र सिंह राजपूत ने बताया है कि 'साल दर साल सर्दियों में कड़कनाथ मुर्गी की डिमांड काफी तेजी से बढ़ रही है. इस वर्ष सर्दियां शुरू होते ही कड़कनाथ मुर्गों की डिमांड मध्य प्रदेश के अलग-अलग जिलों से आने लगी है. इसके अलावा मध्य प्रदेश के समीप उत्तर प्रदेश, राजस्थान, गुजरात से भी कड़कनाथ मुर्गों की डिमांड आने लगी है. यही कारण है कि यहां पर हैचिंग के जरिए चूजे तैयार किया जा रहे हैं और जिनकी डिमांड है उसे पूरा किया जा रहा है. कुछ ही दिनों में इतनी डिमांड आने लगती है कि कृषि विज्ञान केंद्र इसकी पूर्ति भी नहीं कर पाता है.

यहां पढ़ें...

कड़कनाथ की मेडिकेशन वैल्यू काफी अच्छी: कड़कनाथ को सर्दियों का इम्यूनिटी बूस्टर इसलिए कहा जाता है, क्योंकि कड़कनाथ मुर्गे की प्रजाति सामान्य प्रजाति की मुर्गे से काफी अच्छी मेडिकेशन वैल्यू होती है. इसमें प्रोटीन काफी अधिक मात्रा में होता है. वहीं कोलेस्ट्रॉल ना के बराबर होता है. इसके अलावा इस कड़कनाथ मुर्गी का मांस और हड्डियां पूरी तरह काली होती है और कड़कनाथ गर्म तासीर का होता है. इसलिए इसमें हीमोग्लोबिन भी काफी अधिक मात्रा में पाई जाती है और यह मरीज के लिए भी काफी लाभदायक होता है.

सर्दियों का इम्यूनिटी बूस्टर है कड़कनाथ

ग्वालियर। मध्य प्रदेश में लगातार बढ़ रही सर्दी के कारण कड़कनाथ मुर्गों की डिमांड भी काफी तेज हो गई है. ग्वालियर से कड़कनाथ मुर्गा की डिमांड मध्य प्रदेश ही नहीं बल्कि उत्तर प्रदेश, राजस्थान, गुजरात, दिल्ली सहित तमाम राज्यों से आने लगी है. हालत यह हो गये हैं कि भारी डिमांड के चलते अब अलग-अलग राज्यों के लिए कड़कनाथ मुर्गों की वेटिंग शुरू हो गई है. ग्वालियर के कृषि विज्ञान केंद्र में स्थित कड़कनाथ मुर्गों का हेचरिंग सेंटर है. जहां अंडों से चूजे तैयार किए जाते हैं. उसके बाद अलग-अलग राज्यों में भेजे जाते हैं.

सर्दियों में बढ़ती है कड़कनाथ की डिमांड: बता दें कड़कनाथ मुर्गा को सर्दियों का इम्यूनिटी बूस्टर कहा जाता है. यही कारण है और कड़कनाथ मुर्गे का चिकन सर्दियों में काफी गर्म होता है. इसलिए सर्दियों में कड़कनाथ की डिमांड काफी बढ़ जाती है. राजमाता विजया राजे कृषि विश्वविद्यालय के अंतर्गत कृषि विज्ञान केंद्र में प्रदेश का दूसरा कड़कनाथ मुर्गों का हेचरिंग सेंटर है. जहां पर कड़कनाथ मुर्गी के अंडों से चूजे तैयार किए जाते हैं और यहां एक महीने में लगभग 2000 से अधिक चूजे तैयार होते हैं. जिन्हें डिमांड के अनुरूप दिया जाता है.

ग्रामीणों को दी जा रही मुर्गी पालन की ट्रेनिंग: कृषि विज्ञान केंद्र में कड़कनाथ मुर्गा हेचरिंग सेंटर के प्रभारी डॉक्टर जितेंद्र सिंह राजपूत का कहना है कि ग्वालियर का कृषि विज्ञान केंद्र साल 2016 से कड़कनाथ का उत्पादन कर रहा है. यहां पर झाबुआ से लाकर 200 चूजों की हैचरी बनाई गई थी. इसके बाद वह लगातार इसकी उत्पादन क्षमता बढ़ा रहे हैं. इसके अलावा उन्होंने बताया की कड़कनाथ का उत्पादन बढ़ाने के लिए ग्रामीण क्षेत्रों में मुर्गी पालन करने वाले ग्रामीणों को भी इसकी ट्रेनिंग दे रहे हैं, ताकि वह कड़कनाथ मुर्गों का पालन कर सकें, क्योंकि मध्य प्रदेश के अलावा अलग-अलग राज्यों में कड़कनाथ मुर्गों की डिमांड काफी बढ़ रही है. यह लोगों को चिकन के रूप में काफी बेहद पसंद आ रहा है.

Kadaknath Chicken Demand In Winter
कड़कनाथ

एमपी के साथ दूसरे राज्यों से भी डिमांड: कृषि वैज्ञानिक के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ जितेंद्र सिंह राजपूत ने बताया है कि 'साल दर साल सर्दियों में कड़कनाथ मुर्गी की डिमांड काफी तेजी से बढ़ रही है. इस वर्ष सर्दियां शुरू होते ही कड़कनाथ मुर्गों की डिमांड मध्य प्रदेश के अलग-अलग जिलों से आने लगी है. इसके अलावा मध्य प्रदेश के समीप उत्तर प्रदेश, राजस्थान, गुजरात से भी कड़कनाथ मुर्गों की डिमांड आने लगी है. यही कारण है कि यहां पर हैचिंग के जरिए चूजे तैयार किया जा रहे हैं और जिनकी डिमांड है उसे पूरा किया जा रहा है. कुछ ही दिनों में इतनी डिमांड आने लगती है कि कृषि विज्ञान केंद्र इसकी पूर्ति भी नहीं कर पाता है.

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कड़कनाथ की मेडिकेशन वैल्यू काफी अच्छी: कड़कनाथ को सर्दियों का इम्यूनिटी बूस्टर इसलिए कहा जाता है, क्योंकि कड़कनाथ मुर्गे की प्रजाति सामान्य प्रजाति की मुर्गे से काफी अच्छी मेडिकेशन वैल्यू होती है. इसमें प्रोटीन काफी अधिक मात्रा में होता है. वहीं कोलेस्ट्रॉल ना के बराबर होता है. इसके अलावा इस कड़कनाथ मुर्गी का मांस और हड्डियां पूरी तरह काली होती है और कड़कनाथ गर्म तासीर का होता है. इसलिए इसमें हीमोग्लोबिन भी काफी अधिक मात्रा में पाई जाती है और यह मरीज के लिए भी काफी लाभदायक होता है.

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