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ग्वालियरः जीवाजी विश्वविद्यालय की पीएचडी पर दायर याचिका पर हाईकोर्ट ने सुरक्षित किया फैसला

जीवाजी विश्वविद्यालय से अवॉर्ड होने वाली पीएचडी के खिलाफ दायर जनहित याचिका पर फैसला सुरक्षित कर लिया है.जिन लोगों के बारे में याचिका में कहा गया है कि उनकी अनुपस्थिति के बाद भी उन्हें पीएचडी की डिग्री दे दी गई है.

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Published : Feb 16, 2019, 11:51 PM IST

जीवीजी विश्वविद्यालय

ग्वालियर। हाईकोर्ट की युगल पीठ ने जीवाजी विश्वविद्यालय से अवॉर्ड होने वाली पीएचडी के खिलाफ दायर जनहित याचिका पर फैसला सुरक्षित कर लिया है. जिसमें याचिकाकर्ता ने कहा कि पीएचडी की कक्षा में छात्र उपस्थित नहीं हुए लेकिन फिर भी उन्हें पीएचडी अवार्ड कर दिया गया.

यह पीएचडी जम्मू कश्मीर के छात्र और मध्य प्रदेश छात्र के आदिम जाति कल्याण विभाग के एडिशनल डायरेक्टर को दी गई है. इसके बाद कोर्ट ने पूछा कि पीएचडी की कक्षाओं में यह छात्र अनुपस्थिति होने के बाद भी इन्हे कैसे पीएचडी की डिग्री दी गई.वहीं जीवाजी विश्वविद्यालय की पैरवी कर रही वकील अनुराधा सिंह ने याचिकाकर्ता वकील के आरोपों को सिरे से खारिज किया है. साथ ही कहा है कि जिन लोगों के बारे में याचिका में कहा गया है कि उनकी अनुपस्थिति के बाद भी उन्हें पीएचडी की डिग्री दे दी गई है जबकि जीवाजी प्रबंधन ने अब तक इनमें से किसी भी छात्र को पीएचडी नहीं दी है.

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उन्होंने कहा कि कुछ छात्रों को तो प्रारंभिक दौर में ही पात्र ना मानते हुए उनके एडमिशन को निरस्त कर दिया है. इस पूरे मसले पर हाईकोर्ट युगल पीठ ने सुनवाई पूरी कर ली है और जल्द ही इसका फैसला आज आएगा.

ग्वालियर। हाईकोर्ट की युगल पीठ ने जीवाजी विश्वविद्यालय से अवॉर्ड होने वाली पीएचडी के खिलाफ दायर जनहित याचिका पर फैसला सुरक्षित कर लिया है. जिसमें याचिकाकर्ता ने कहा कि पीएचडी की कक्षा में छात्र उपस्थित नहीं हुए लेकिन फिर भी उन्हें पीएचडी अवार्ड कर दिया गया.

यह पीएचडी जम्मू कश्मीर के छात्र और मध्य प्रदेश छात्र के आदिम जाति कल्याण विभाग के एडिशनल डायरेक्टर को दी गई है. इसके बाद कोर्ट ने पूछा कि पीएचडी की कक्षाओं में यह छात्र अनुपस्थिति होने के बाद भी इन्हे कैसे पीएचडी की डिग्री दी गई.वहीं जीवाजी विश्वविद्यालय की पैरवी कर रही वकील अनुराधा सिंह ने याचिकाकर्ता वकील के आरोपों को सिरे से खारिज किया है. साथ ही कहा है कि जिन लोगों के बारे में याचिका में कहा गया है कि उनकी अनुपस्थिति के बाद भी उन्हें पीएचडी की डिग्री दे दी गई है जबकि जीवाजी प्रबंधन ने अब तक इनमें से किसी भी छात्र को पीएचडी नहीं दी है.

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उन्होंने कहा कि कुछ छात्रों को तो प्रारंभिक दौर में ही पात्र ना मानते हुए उनके एडमिशन को निरस्त कर दिया है. इस पूरे मसले पर हाईकोर्ट युगल पीठ ने सुनवाई पूरी कर ली है और जल्द ही इसका फैसला आज आएगा.

Intro:ग्वालियर- हाईकोर्ट की युगल पीठ ने जीवाजी विश्वविद्यालय से अवार्ड होने वाली पीएचडी के खिलाफ दायर जनहित याचिका पर फैसला सुरक्षित कर लिया है । जिसमें याचिकाकर्ता ने कहा कि पीएचडी की कक्षा में छात्र उपस्थित नहीं हुए लेकिन फिर भी उन्हें पीएचडी अवार्ड दे दिया गया । यह पीएचडी जम्मू कश्मीर के छात्र और मध्य प्रदेश छात्र के आदिम जाति कल्याण विभाग के एडिशनल डायरेक्टर को दी गई है। इसके बाद कोर्ट ने पूछा कि पीएचडी की कक्षाओं में यह छात्र अनुपस्थिति थे तो इन छात्रों कैसे पीएचडी की डिग्री कैसे दे दी गई ।


Body:वहीं जीवाजी विश्वविद्यालय की पैरवी कर रही वकील अनुराधा सिंह ने याचिकाकर्ता वकील के आरोपों को सिरे से खारिज किया है और कहा है कि जिन लोगों के बारे में याचिका में कहा गया है कि उनकी बगैर उपस्थिति के उन्हें पीएचडी की डिग्री अवार्ड कर दी गई है जबकि जीवाजी प्रबंधन ने अब तक इनमें से किसी भी छात्र को पीएचडी अवार्ड नहीं की है बल्कि कुछ छात्रों को तो प्रारंभिक दौर में ही पात्र ना मानते हुए उनकी एडमिशन को निरस्त कर दिया है इस पूरे मसले पर हाईकोर्ट युगल पीठ ने सुनवाई पूरी कर ली है और जल्द ही इसका फैसला आज आएगा ।


Conclusion:बाइक - अनुराधा सिंह शासकीय , अधिवक्ता हाई कोर्ट ग्वालियर
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