ग्वालियर। मिलावटखोरों के खिलाफ चलाई गई मुहिम में रासुका जैसे कानून पर नियमों की अनदेखी प्रशासन को अब भारी पड़ रही है. मुरैना के बाद अब ग्वालियर कलेक्टर पर हाईकोर्ट ने 10000 रुपये का जुर्माना लगाया है बल्कि उनके द्वारा आरोपी बनाए गए मिलावटखोर पर लगाई गई रासुका की कार्रवाई को भी निरस्त कर दिया है. यह मामला दरअसल डबरा के मसाला कारोबारी विनोद गोयल से जुड़ा है. ग्वालियर कलेक्टर ने डबरा एसडीएम द्वारा घटिया किस्म के मसालों के कारोबार के सिलसिले में विनोद गोयल की पर्व पर छापेमारी की थी.
मसाला कारोबारी के खिलाफ कलेक्टर ने रासुका की कार्रवाई
वहां पर कुछ अखाद्य पदार्थ पाए गए थे. इसके आधार पर उसके खिलाफ खाद्य अपमिश्रण का मामला दर्ज किया गया था. यह घटना 16 जनवरी 2021 की है. कारोबारी का 2 दिन का रिमांड भी लिया गया था और उसे जेल भेज दिया गया था. दो दिन बाद उसकी जमानत हो गई. 23 जनवरी को विनोद गोयल के खिलाफ कलेक्टर ने रासुका की कार्रवाई की. लेकिन इसके लिए विधिवत राज्य शासन और केंद्र शासन को कार्रवाई की सूचना नहीं दी ना ही कोई अनुमोदन लिया गया. एक तरफा कार्रवाई के चलते विनोद गोयल को दोबारा पुलिस ने पकड़ कर जेल में बंद कर दिया तब से वह जेल में बंद है.
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उसने अपने खिलाफ रासुका की कार्रवाई को हाई कोर्ट में चुनौती दी. हाई कोर्ट ने पाया कि ग्वालियर जिला प्रशासन विनोद गोयल पर रासुका लगाने से पहले नियमों की अनदेखी की है. कलेक्टर ने राज्य शासन को रासुका का अनुमोदन गिरफ्तारी के 4 दिन बाद भेजा था. वहीं केंद्र को अनुमोदन की जानकारी 6 दिन बाद भेजी गई जबकि इसे नियमानुसार 5 दिन के भीतर भेजना होता है. देरी का कारण प्रशासन कोर्ट को नहीं बता सका. हाईकोर्ट ने कलेक्टर की कार्रवाई को नियम खिलाफ मानते हुए उस पर 10000 रुपए का अर्थदंड लगाया गया है और यह भी कहा है कि कलेक्टर 30 दिन के खाते कारोबारी विनोद गोयल के खाते में 10000 जमा करें.