ग्वालियर। आठ साल पहले गुना जिले में पुलिस द्वारा की गई आदिवासी की हत्या के मामले में सरकार ने बड़ी कार्रवाई की है. गुना की तत्कालीन आरटीओ मधु सिंह के खिलाफ भी केस दर्ज किया गया है.मधु सिंह वर्तमान में परिवहन उप आयुक्त के पद पर कार्यरत हैं. बता दें कि हत्या के समय लाश को ठिकाने लगाने में प्रयोग की गई कार के फर्जी तौर पर किये गए रजिट्रेशन के मामले में विभिन्न धाराओं में आपराधिक केस दर्ज किया है. इधर इस मामले में फरार चल रहे हत्या के आरोपी बर्खास्त थानेदार की गिरफ्तारी पर इनाम की राशि बढ़ाकर 30 हजार कर दी गई है.
क्या था मामला: प्रदेश का बहुचर्चित यह मामला 2015 का गुना जिले का है. यहां की धरनावदा पुलिस चौकी का प्रभारी सब इंस्पेक्टर रामवीर पास के गांव से आत्माराम पारदी को पूछताछ के लिए पकड़कर लाया था. आरोप है कि पुलिस प्रताड़ना के चलते उंसकी मौत हो गई. इसके बाद आरोपियों द्वारा उसकी लाश को नदी में बहाने के लिए कार का उपयोग किया था. पुलिस पहले आत्माराम को हिरासत में लेने से ही इनकार करती रही. इसके बाद परिजनों ने इस मामले में एमपी हाईकोर्ट की ग्वालियर खंडपीठ में याचिका दर्ज की थी, जिसमें सुनवाई के बाद कोर्ट ने मामले की जांच सीआईडी के सुपुर्द कर दी थी.
सीआईडी जांच में हत्या का मामला: सीआईडी ने जांच के बाद इसे हत्या का केस माना और पाया कि रामवीर ने कुछ अन्य पुलिस कर्मियों के साथ कार से ले जाकर आत्माराम की लाश को ठिकाने लगाया था. इसमें रामवीर सहित बाकी पुलिसकर्मियों के खिलाफ हत्या, साक्ष्य मिटाने और लाश को ठिकाने लगाने जैसी संगीन धाराओं में आपराधिक केस दर्ज किया गया. ग्वालियर आईजी ने थानेदार को नौकरी से बर्खास्त कर दिया.
8 साल से फरार है थानेदार: इस बहुचर्चित हत्याकांड में मुख्य आरोपी और बर्खास्त थानेदार को पुलिस अब तक गिरफ्तार नहीं कर सकी है. वह बीते 8 साल से फरार है. उसकी गिरफ्तारी के लिए पहले एसपी गुना ने दस हजार तो फिर एडीजी ग्वालियर ने 20 हजार का इनाम घोषित किया है. अब मध्यप्रदेश के पुलिस महानिदेशक ने उसकी गिरफ्तारी के लिए 30 हजार का इनाम घोषित किया है.
अब आरटीओ पर मामला दर्ज: 2015 में हुए गुना के इस बहुचर्चित आत्माराम पारदी की हत्या से जुड़े मामले में सरकार ने बड़ी कार्रवाई की है. जांच के दौरान पता चला कि आरोपी थानेदार ने जिस कार का आत्माराम पारदी की लाश को ठिकाने लगाने में उपयोग किया उसे आरटीओ विभाग के लोगों ने गलत तरीके से ट्रांसफर किया था. गुना बस हादसे के बाद जब वाहनों के रजिस्ट्रेशन को लेकर जांच पडताल शुरू हुई तो वहां फाइलों में दबाकर रखा गया यह मामला भी सामने आ गया जिसके चलते वरिष्ठ अधिकारियों के निर्देश पर गुना की तत्कालीन आरटीओ मधु सिंह और आरटीओ के बाबू पर 420, 467, 471, 197, 198, 463,465 के तहत केस दर्ज किया गया.
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वर्तमान में हैं परिवहन उपायुक्त: यह कार्रवाई हत्या के मामले में फरार थानेदार की गाड़ी को फर्जी तरीके से ट्रांसफर करने के लिए की गई है. मधु सिंह वर्तमान में परिवहन उपायुक्त हैं. गुना के बाद, शिवपुरी, मुरैना में भी वे विवादित रही हैं. इन पर रिश्वतखोरी, अवैध रजिस्ट्रेशन सहित गंभीर आरोप लगते रहे हैं जिसकी CM तक शिकायतें भी पहुंची थीं.