डिंडौरी। शहपुरा के जनजाति कल्याण केंद्र महाकौशल बरगांव में स्कूली छात्रों को जैविक खाद बनाने की जानकारी दी गई. ये तरल खाद खडी फसल के दौरान खेत की भूमि पर सिंचाई के साथ या नमी रहने पर उपयोग करना चाहिए. इस खाद को गांव में उपलब्ध सामग्री से बनाया गया है. जैविक कृषि प्रशिक्षक बिहारी लाल ने बच्चों को खाद के इस्तेमाल से फसलों को फायदे के बारे भी बताया. उन्होंने कहा कि अगर जैविद खाद से पैदा अनाज और सब्जियों को खाया जाएगा तो बीमारी नहीं होगी.
जनजाति कल्याण केंद्र में बच्चों को सिखाई गई जैविक खाद बनाने की विधि - जैविक कृषि प्रशिक्षक बिहारी लाल
शहपुरा के जनजाति कल्याण केंद्र महाकौशल बरगांव में स्कूली छात्रों को जैविक खाद बनाने की जानकारी दी गई. जैविक कृषि प्रशिक्षक बिहारी लाल ने बच्चों को खाद के इस्तेमाल से फसलों को फायदे के बारे भी बताया.
जैविक खाद बनाने की विधि
डिंडौरी। शहपुरा के जनजाति कल्याण केंद्र महाकौशल बरगांव में स्कूली छात्रों को जैविक खाद बनाने की जानकारी दी गई. ये तरल खाद खडी फसल के दौरान खेत की भूमि पर सिंचाई के साथ या नमी रहने पर उपयोग करना चाहिए. इस खाद को गांव में उपलब्ध सामग्री से बनाया गया है. जैविक कृषि प्रशिक्षक बिहारी लाल ने बच्चों को खाद के इस्तेमाल से फसलों को फायदे के बारे भी बताया. उन्होंने कहा कि अगर जैविद खाद से पैदा अनाज और सब्जियों को खाया जाएगा तो बीमारी नहीं होगी.
Intro:शहपुरा के जनजाति कल्याण केन्द्र महाकौशल बरगांव में स्कूली छात्रों को प्रायोगिक रुप से जैविक कृषि प्रशिक्षक बिहारी लाल साहू द्वारा जीवामृत खाद बनाने की विस्तार से जानकारी दी गई । यह तरल खाद प्रत्येक माह खडी फसल के दौरान खेत की भूमि पर सिंचाई के साथ या नमी रहने पर उपयोग करना चाहिए। यह खाद किसान या उसके गांव में उपलब्ध सामग्री से बनाई गई | बच्चों को बताया गया कि जैविक खाद के उपयोग से फसलों को फायदा होता है । और हम यदि जैविक खाद से उत्पन्न अनाज या सब्जियों को खायेंगे तो हम कभी बीमार नहीं होंगे ।Body:शहपुरा के जनजाति कल्याण केन्द्र महाकौशल बरगांव में स्कूली छात्रों को प्रायोगिक रुप से जैविक कृषि प्रशिक्षक बिहारी लाल साहू द्वारा जीवामृत खाद बनाने की विस्तार से जानकारी दी गई । यह तरल खाद प्रत्येक माह खडी फसल के दौरान खेत की भूमि पर सिंचाई के साथ या नमी रहने पर उपयोग करना चाहिए। यह खाद किसान या उसके गांव में उपलब्ध सामग्री से बनाई गई | बच्चों को बताया गया कि जैविक खाद के उपयोग से फसलों को फायदा होता है । और हम यदि जैविक खाद से उत्पन्न अनाज या सब्जियों को खायेंगे तो हम कभी बीमार नहीं होंगे ।
इस तरह से बनाई जाती है जैविक खाद-
गाय का गोबर 50 किलों,गौमूत्र 50 लीटर,दाल का पावडर/बेसन 10 किलो, तिली/मीठा तेल 1 लीटर, गाय के दूध के दही 10 किलो,गुड़ ढाई किलो,और पानी 1000 लीटर, सभी सामग्री को तसलों मे अच्छी तरह मिलाकर/फेटकर 1000 लीटर पानी में रख देवें।ड्रम के मुख जूट के बोरे से ढ़क दें।5 से 7 दिनों के पश्चात यह खाद तैयार हो जाती है।इस खाद को सिंचाई के साथ खेत मे फैलाए या नमी युक्त भूमि और पेड पौधों पर छिड़काव कर सकते हैं यह मात्रा 5 एकड़ के लिए पर्याप्त है।जमीन के अनुसार कम ज्यादा बनाए जा सकते है।
यह खाद मुर्झाए हुए पौधों को भी जीवित कर देते है, सूक्ष्म जीव की मात्रा बढ़ जाती है, जिससे पोषक तत्वों की कमी दूर हो जाती है।
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बाइट- बिहारी लाल साहू, जैविक कृषि प्रशिक्षक Conclusion:शहपुरा के जनजाति कल्याण केन्द्र महाकौशल बरगांव में स्कूली छात्रों को प्रायोगिक रुप से जैविक कृषि प्रशिक्षक बिहारी लाल साहू द्वारा जीवामृत खाद बनाने की विस्तार से जानकारी दी गई । यह तरल खाद प्रत्येक माह खडी फसल के दौरान खेत की भूमि पर सिंचाई के साथ या नमी रहने पर उपयोग करना चाहिए। यह खाद किसान या उसके गांव में उपलब्ध सामग्री से बनाई गई | बच्चों को बताया गया कि जैविक खाद के उपयोग से फसलों को फायदा होता है । और हम यदि जैविक खाद से उत्पन्न अनाज या सब्जियों को खायेंगे तो हम कभी बीमार नहीं होंगे ।
इस तरह से बनाई जाती है जैविक खाद-
गाय का गोबर 50 किलों,गौमूत्र 50 लीटर,दाल का पावडर/बेसन 10 किलो, तिली/मीठा तेल 1 लीटर, गाय के दूध के दही 10 किलो,गुड़ ढाई किलो,और पानी 1000 लीटर, सभी सामग्री को तसलों मे अच्छी तरह मिलाकर/फेटकर 1000 लीटर पानी में रख देवें।ड्रम के मुख जूट के बोरे से ढ़क दें।5 से 7 दिनों के पश्चात यह खाद तैयार हो जाती है।इस खाद को सिंचाई के साथ खेत मे फैलाए या नमी युक्त भूमि और पेड पौधों पर छिड़काव कर सकते हैं यह मात्रा 5 एकड़ के लिए पर्याप्त है।जमीन के अनुसार कम ज्यादा बनाए जा सकते है।
यह खाद मुर्झाए हुए पौधों को भी जीवित कर देते है, सूक्ष्म जीव की मात्रा बढ़ जाती है, जिससे पोषक तत्वों की कमी दूर हो जाती है।
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बाइट- बिहारी लाल साहू, जैविक कृषि प्रशिक्षक Conclusion:शहपुरा के जनजाति कल्याण केन्द्र महाकौशल बरगांव में स्कूली छात्रों को प्रायोगिक रुप से जैविक कृषि प्रशिक्षक बिहारी लाल साहू द्वारा जीवामृत खाद बनाने की विस्तार से जानकारी दी गई । यह तरल खाद प्रत्येक माह खडी फसल के दौरान खेत की भूमि पर सिंचाई के साथ या नमी रहने पर उपयोग करना चाहिए। यह खाद किसान या उसके गांव में उपलब्ध सामग्री से बनाई गई | बच्चों को बताया गया कि जैविक खाद के उपयोग से फसलों को फायदा होता है । और हम यदि जैविक खाद से उत्पन्न अनाज या सब्जियों को खायेंगे तो हम कभी बीमार नहीं होंगे ।