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700 साल पुराना है यह मंदिर, जमीन से निकली थी काली माता की मूर्ति

डिंडौरी जिला मुख्यालय से 50 किलोमीटर की दूरी पर पश्चिम दिशा में स्थित है करौंदी में प्राचीन काली मंदिर है. बताया जाता है कि मंदिर में लगभग 700 साल पुरानी माता महाकाली की मूर्ति स्थित है.

700 साल पुरानी महाकाली की प्रतिमा
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Published : Oct 3, 2019, 9:42 AM IST

Updated : Oct 3, 2019, 10:10 AM IST

डिंडौरी। जिले के शहपुरा विकासखंड के करौंदी गांव में प्राचीन देवी मंदिर में लगभग 700 साल पुरानी माता महाकाली की मूर्ति स्थित है. यहां नवरात्रि पर भक्तों की भारी भीड़ जुट रही है. कहा जाता है कि इस मंदिर में लोगों की मनोकामनाएं जल्द पूरी होती हैं.

700 साल पुराना है यह मंदिर

स्थानीय लोगों ने बताया कि 700 साल पहले मंदिर में रहने वाले पंडा शिवलाल नामदेव को स्वप्न में माता महाकाली ने दर्शन दिये थे. जिसके बाद यहां खुदाई के दौरान माता सहित कई मूर्तियां निकाली गई थी. शिवलाल के वंशज जगदीश प्रसाद नामदेव बताते हैं नवरात्रि पर यहां भक्तों की भारी भीड़ जुटती है.

शिवलाल पंडा के सातवीं पीढ़ी के वंशज बाल गोविन्द नामदेव ने बताया कि यह प्रतिमा लगभग 700 वर्ष पुरानी है. यह हमारे पूर्वजों द्वारा प्राप्त की हुई प्रतिमा है. यहां नवरात्रि पर विशेष पूजा अर्चना की जाती है. यह स्थान डिंडौरी जिला मुख्यालय से 50 किलोमीटर की दूरी पर पश्चिम दिशा में स्थित है. जबकि जबलपुर से इसकी दूरी 92 किलोमीटर है.

डिंडौरी। जिले के शहपुरा विकासखंड के करौंदी गांव में प्राचीन देवी मंदिर में लगभग 700 साल पुरानी माता महाकाली की मूर्ति स्थित है. यहां नवरात्रि पर भक्तों की भारी भीड़ जुट रही है. कहा जाता है कि इस मंदिर में लोगों की मनोकामनाएं जल्द पूरी होती हैं.

700 साल पुराना है यह मंदिर

स्थानीय लोगों ने बताया कि 700 साल पहले मंदिर में रहने वाले पंडा शिवलाल नामदेव को स्वप्न में माता महाकाली ने दर्शन दिये थे. जिसके बाद यहां खुदाई के दौरान माता सहित कई मूर्तियां निकाली गई थी. शिवलाल के वंशज जगदीश प्रसाद नामदेव बताते हैं नवरात्रि पर यहां भक्तों की भारी भीड़ जुटती है.

शिवलाल पंडा के सातवीं पीढ़ी के वंशज बाल गोविन्द नामदेव ने बताया कि यह प्रतिमा लगभग 700 वर्ष पुरानी है. यह हमारे पूर्वजों द्वारा प्राप्त की हुई प्रतिमा है. यहां नवरात्रि पर विशेष पूजा अर्चना की जाती है. यह स्थान डिंडौरी जिला मुख्यालय से 50 किलोमीटर की दूरी पर पश्चिम दिशा में स्थित है. जबकि जबलपुर से इसकी दूरी 92 किलोमीटर है.

Intro:Etv Bharat Navratri Special Story

नवरात्रि के पहले दिन से ही प्राचीन देवी मढ़िया करौंदी में सुबह से ही भक्तों की भीड़ उमड़ पड़ी।
शारदेय नवरात्र में डिंडौरी जिले के शहपुरा विकासखंड अंतर्गत करौंदी सहित आसपास के ग्रामीण करौंदी की प्राचीन देवी मढ़िया में भक्त जल चढ़ाने पहुँच रहे हैं ।भक्त माता को जल अर्पित कर अपनी मनोकामना पूर्ण होने की कामना माता से कर रहे हैं ।
ज्ञात हो कि करौंदी में प्राचीन देवी मढ़िया में माता महाकाली की मूर्ति लगभग 700 वर्ष पुरानी है ।Body:



Etv Bharat Navratri Special Story

डिंडौरी-
नवरात्रि के पहले दिन से ही प्राचीन देवी मढ़िया करौंदी में सुबह से ही भक्तों की भीड़ उमड़ पड़ी।
शारदेय नवरात्र में करौंदी सहित आसपास के ग्रामीण करौंदी की प्राचीन देवी मढ़िया में भक्त जल चढ़ाने पहुँच रहे हैं ।भक्त माता को जल अर्पित कर अपनी मनोकामना पूर्ण होने की कामना माता से कर रहे हैं ।
ज्ञात हो कि करौंदी में प्राचीन देवी मढ़िया में माता महाकाली की मूर्ति लगभग 700 वर्ष पुरानी है ।और इसके आसपास खुदाई के दौरान यहाँ माता सहित अन्य कई मूर्तियां निकली हैं, यहाँ की मान्यता है कि जो भी भक्त यहां माता के दरबार में आता है उसके सारे मनोकामना पूर्ण होती है। यहाँ दूर दूर से भक्त माता के दरबार में आते है , यहाँ दोनों ही नवरात्र में भक्तों की भीड़ रहती है ।


यह देवी मढ़िया सैकड़ों वर्ष पुरानी है और यहां ग्राम सहित आसपास के कई ग्राम के लोगों के आस्था का केंद्र बनी हुई है । बताया जाता है कि यह प्रतिमा 700 साल पहले यहां के पंडा शिवलाल नामदेव को स्वप्न में माता महाकाली ने दर्शन देकर खुदाई के दौरान मिली थीं ।

यहां प्राचीन माता महाकाली मढ़िया के पंडा 80 वर्षीय जगदीश प्रसाद नामदेव बताते हैं कि उनके पूर्वज को स्वप्न में माता महाकाली ने दर्शन दिया था । फिर खुदाई की गई जिसमें यह प्रतिमा मिली । इसके साथ सात देवियों और छोटी-छोटी प्रतिमाएँ भी मिली थीं । जिनको वे अपने घर में लाकर मढ़िया बनाकर स्थापित किए । तब से लेकर आज तक यहां भक्त अपनी मनोकामना लेकर माता महाकाली के दर्शन को आते हैं और माता उनकी मनोकामनाएं पूर्ण करती हैं ।

शिवलाल पंडा के सातवीं पीढ़ी के वंशज बालगोविन्द नामदेव ने बताया कि यह प्रतिमा लगभग 700 वर्ष पुरानी है । यह हमारे पूर्वजों द्वारा प्राप्त की हुई प्रतिमा है। हमारे यहां दोनों नवरात्रि चैत्र और क्वांर में विशेष पूजा अर्चना की जाती है । यहां जो भी भक्त सच्चे मन से अपनी मनोकामनाएं लेकर आते हैं उनकी मनोकामनाएं माता अवश्य पूरी करती हैं । इसके कई प्रमाण हैं । जिन भक्तों की मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं उनके द्वारा यहां चैत्र नवरात्रि में जवारे कलश रखे जाते हैं ।
यह स्थान डिंडौरी जिला मुख्यालय से 50 किलोमीटर की दूरी पर पश्चिम दिशा में है । और जबलपुर से 92 किलोमीटर की दूरी पर पूर्व में स्थित है । यहां आने के लिए बस चलती हैं ।

बाइट- जगदीश प्रसाद नामदेव, वर्तमान पंडा, प्राचीन देवी मढ़िया
बाइट- बालगोविन्द नामदेव, शिवलाल पंडा के सातवीं पीढ़ी के वंशज Conclusion:डिंडौरी जिले के शहपुरा विकास खंड के ग्राम करौंदी में स्थापित है 700 साल पुरानी माता महाकाली की प्राचीन प्रतिमा । नवरात्रि में होती है विशेष पूजा अर्चना । भक्तों की पूरी होती हैं मनोकामनाएं ।
Last Updated : Oct 3, 2019, 10:10 AM IST
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