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विश्व का इकलौता मंदिर जहां चतुर्भुज रूप में विराजे श्रीराम, दशर्नभर से मनोकामनाएं होती हैं पूरी

दीपावली के अवसर पर ईटीवी भारत मध्यप्रदेश लेकर आया है एक खास पेशकश 'राजाराम', जिसमें मिलेंगी भगवान राम के वनगमन से लेकर दीपोत्सव तक की ऐसी अनसुनी कहानियां जो मध्यप्रदेश से जुड़ी हैं. धार के मांडव में भगवान राम का अद्भुत मंदिर है, जहां राजाराम चतुर्भुज रूप में विराजे हैं.

यहां चतुर्भुज रूप में विराजे श्रीराम
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Published : Oct 23, 2019, 12:08 AM IST

Updated : Oct 24, 2019, 6:57 AM IST

धार। देश के दिल यानी मध्यप्रदेश से अयोध्या के राजा राम का गहरा नाता है. अपनी 14 साल की वनवास यात्रा के दौरान प्रभुराम मध्यप्रदेश से होकर गुजरे. इसके प्रमाण मध्यप्रदेश के अलग-अलग शहरों में भी मिलते हैं, जिनका जिक्र रामायण के अलावा दूसरे पौराणिक ग्रंथों में भी मिलता है.

यहां चतुर्भुज रूप में विराजे श्रीराम

एक तरफ जहां विदिशा में चरणों के निशान हैं, तो चित्रकूट के कण-कण में राम हैं. ओरछा में भगवान बाल रूप में विराजमान हैं, तो होशंगाबाद में भी उनके आने के कई प्रमाण हैं. धार की धरा पर भी राजाराम के चरण पड़े थे. यही वजह है कि मांडव में मौजूद भगवान राम की अद्भुत प्रतिमा आस्था का केंद्र है.


मध्यप्रदेश के खजानों में बेशकीमती मोती की तरह मौजूद मांडू में राजाराम चतुर्भुज अवतार में विराजे हैं. किवदंती है कि श्रीराम का ऐसा रूप इस मंदिर के अलावा विश्व में कहीं और देखने नहीं मिलता. माना जाता है कि यहां पहुंचने भर से भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी होने के अलवा मोक्ष की प्राप्ति भी होती है.

महंत रघुनाथ को सपने में दिए थे दर्शन
मंदिर के पुजारी बताते हैं कि श्री श्री 1008 महंत रघुनाथ जी महाराज को श्रीराम ने सपने में दर्शन दिए थे और बताया था कि मांडव की पूर्व दिशा में उनकी मूर्ति मौजूद है. इसके बाद मंहत रघुनाथ पुणे से धार पहुंचे और यहां की तत्कालीन महारानी शकुदाई पवार को स्वप्न से अवगत कराया. फिर जब उस रामजी के बताए स्थान पर खुदाई की गई, तो गुफा के अंदर एक चबूतरे पर राम की चतुर्भुजरुपी प्रतिमा रखी थी.

जंगल के बीच रुक गए थे हाथी
महारानी जब प्रतिमा की स्थापना के लिए धार रवाना हुईं, तो जंगल के बीचोंबीच इस स्थान पर हाथी रुक गए और आगे नहीं बढ़े. तभी रात में एक बार फिर श्रीराम ने महंत रघुनाथ जी महाराज को सपने में दर्शन दिए और कहा कि हम वनखंडी राम हैं और वन में मंगल करेंगे. जिसके बाद यहां चतुर्भुज रूपी राम की मांडू में स्थापना की गई.

रावण को इसी रूप में दिए थे दर्शन

ऐसा भी कहा जाता है कि रावण ने मृत्यु के पहले श्रीराम से नारायण रूप के दर्शन के लिए प्रार्थना की, जिसके बाद श्रीराम ने रावण को चतुर्भुज स्वरूप में दर्शन दिए. जिससे रावण के सभी कलंकों का नाश हुआ ओर उसे मोक्ष की प्राप्ति हुई.

चतुर्भुज स्वरूप में विराजे श्रीराम के इस मंदिर के बारे में पुजारी तो सिर्फ यही कहते हैं कि

''देखी दुनिया सारी घूम आए चारों धाम, मांडव में चतुर्भुज अवतार में विराजे श्रीराम.
करी थी तपस्या महंत जी ने भारी, दर्शन देते थे जिनको अवध बिहारी''

धार। देश के दिल यानी मध्यप्रदेश से अयोध्या के राजा राम का गहरा नाता है. अपनी 14 साल की वनवास यात्रा के दौरान प्रभुराम मध्यप्रदेश से होकर गुजरे. इसके प्रमाण मध्यप्रदेश के अलग-अलग शहरों में भी मिलते हैं, जिनका जिक्र रामायण के अलावा दूसरे पौराणिक ग्रंथों में भी मिलता है.

यहां चतुर्भुज रूप में विराजे श्रीराम

एक तरफ जहां विदिशा में चरणों के निशान हैं, तो चित्रकूट के कण-कण में राम हैं. ओरछा में भगवान बाल रूप में विराजमान हैं, तो होशंगाबाद में भी उनके आने के कई प्रमाण हैं. धार की धरा पर भी राजाराम के चरण पड़े थे. यही वजह है कि मांडव में मौजूद भगवान राम की अद्भुत प्रतिमा आस्था का केंद्र है.


मध्यप्रदेश के खजानों में बेशकीमती मोती की तरह मौजूद मांडू में राजाराम चतुर्भुज अवतार में विराजे हैं. किवदंती है कि श्रीराम का ऐसा रूप इस मंदिर के अलावा विश्व में कहीं और देखने नहीं मिलता. माना जाता है कि यहां पहुंचने भर से भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी होने के अलवा मोक्ष की प्राप्ति भी होती है.

महंत रघुनाथ को सपने में दिए थे दर्शन
मंदिर के पुजारी बताते हैं कि श्री श्री 1008 महंत रघुनाथ जी महाराज को श्रीराम ने सपने में दर्शन दिए थे और बताया था कि मांडव की पूर्व दिशा में उनकी मूर्ति मौजूद है. इसके बाद मंहत रघुनाथ पुणे से धार पहुंचे और यहां की तत्कालीन महारानी शकुदाई पवार को स्वप्न से अवगत कराया. फिर जब उस रामजी के बताए स्थान पर खुदाई की गई, तो गुफा के अंदर एक चबूतरे पर राम की चतुर्भुजरुपी प्रतिमा रखी थी.

जंगल के बीच रुक गए थे हाथी
महारानी जब प्रतिमा की स्थापना के लिए धार रवाना हुईं, तो जंगल के बीचोंबीच इस स्थान पर हाथी रुक गए और आगे नहीं बढ़े. तभी रात में एक बार फिर श्रीराम ने महंत रघुनाथ जी महाराज को सपने में दर्शन दिए और कहा कि हम वनखंडी राम हैं और वन में मंगल करेंगे. जिसके बाद यहां चतुर्भुज रूपी राम की मांडू में स्थापना की गई.

रावण को इसी रूप में दिए थे दर्शन

ऐसा भी कहा जाता है कि रावण ने मृत्यु के पहले श्रीराम से नारायण रूप के दर्शन के लिए प्रार्थना की, जिसके बाद श्रीराम ने रावण को चतुर्भुज स्वरूप में दर्शन दिए. जिससे रावण के सभी कलंकों का नाश हुआ ओर उसे मोक्ष की प्राप्ति हुई.

चतुर्भुज स्वरूप में विराजे श्रीराम के इस मंदिर के बारे में पुजारी तो सिर्फ यही कहते हैं कि

''देखी दुनिया सारी घूम आए चारों धाम, मांडव में चतुर्भुज अवतार में विराजे श्रीराम.
करी थी तपस्या महंत जी ने भारी, दर्शन देते थे जिनको अवध बिहारी''

Intro:विश्व में एकमात्र चतुर्भुज प्रभु श्री राम जी का मंदिर मांडव में स्थित है, जिनके दर्शन मात्र से भक्तो को सभी पापो से मुक्ति मिलती है,मोक्ष की प्राप्ति होती है


Body:देखी दुनिया सारी घूम आए चारों धाम मांडव गढ़ के राम मंदिर में देखें चतुर्भुज श्रीराम ,करी थी तपस्या महंत जी ने भारी, दर्शन देते थे जिनको अवध बिहारी,

पूरे भारतवर्ष में जितने भी प्रभु श्रीराम के मंदिर है उनमें प्रभु श्री राम की दो भुजाएं हैं परंतु मांडव स्थित चतुर्भुज श्री राम मंदिर राम चार भुजा वाली प्रतिमा है, चतुर्भुज प्रभु श्री राम के दर्शन केवल पूरे विश्व में धार जिले के मांडव में स्थित चतुर्भुज प्रभु श्री राम मंदिर में भक्तों को मिलते हैं जिनके दर्शन मात्र से ही भक्तो को सभी पापो से मुक्ति मिलती है ओर मोक्ष की प्राप्ति होती है

चारभुजा वाले मांडव वाले प्रभु श्री राम

धार की पर्यटन नगरी मांडव में स्थित है चतुर्भुज प्रभु श्रीराम का प्राचीन मंदिर ,जिसमें प्रभु श्री राम की प्रतिमा कि चार भुजाएं हैं ऐसा कहा जाता है कि पूरे विश्व मे चार भुजा वाले प्रभु श्री राम की प्रतिमा केवल मांडव के ही चतुर्भुज प्रभु श्री राम मंदिर में है, प्रभु श्री राम की प्रतिमा के दाहिने हाथ में धनुष एवं बाये हाथ में बाण है ,जिस हाथ में धनुष है उसके नीचे हाथ में कमल है जिस हाथ में बाण है उसके नीचे वाले हाथ में माला है जिस हाथ में कमल है उसके नीचे हनुमान जी की एवं जी हाथ में माला है उस हाथ में अंगद जी है, चरण पीठ के नीचे सात वानर स्थित है,चरण पीठ के नीचे 957 अंकित है, यह वनवासी राम है, श्री लखन जी की मूर्ति में एक चरण में नल एक चरण में नील है ,तथा उसके पास जानकी माता जी की मूर्ति है मंदिर के सामने दास हनुमान जी पास में श्री सूर्य नारायण भगवान जी प्रतिमा है।।

श्री श्री 1008 महंत रघुनाथ जी महाराज को स्वप्न में चतुर्भुज श्रीराम ने दिए प्रदर्शन

मांडू में स्थित चतुर्भुज प्रभु श्री राम मंदिर के महंत श्री त्रिलोकी दास जी महाराज बताते हैं कि हमारे सर्वप्रथम श्री श्री 1008 महंत रघुनाथ जी महाराज को पुणे में स्वप्न में चतुर्भुज प्रभु श्री राम ने दर्शन दिए थे और सपने में कहा था कि मांडव में पूर्व दिशा में गूलर वृक्ष के नीचे भैरव जी की प्रतिमा है और उस प्रतिमा के नीचे तलघर है उसमें मेरे इसी विग्रह से युक्त प्रतिमा है, अतः तुम उसे जनकल्याण बाहर निकालो ,जिसके बाद महंत श्री रघुनाथ जी महाराज पुणे से भ्रमण करते हुए मांडवा आये स्वप्न में आए गूलर के झाड़ की उन्होंने खोज करि, जिसके बाद महंत रघुनाथ जी महाराज ने धार की तत्कालीन महारानी शकुदाई पवार से भेंट कर उन्हें अपने स्वप्न से अवगत कराया, वहीं धार्मिक प्रवृत्ति की धार महारानी शकु बाई पवार ने महंत श्री रघुनाथ जी महाराज द्वारा मांडू में बताए गए स्थान पर खुदाई करवाई तो उन्हें वहां पर एक गोल पत्थर मिला, जिसे हटाने के बाद एक गुफा मिली उस गुफा में अखंड राम ज्योति जलती हुई दिखाई दी,उसी अखंड राम ज्योति के प्रकाश में गुफा में चबूतरे में उन्हें चतुर्भुज प्रभु श्री राम दरबार कि अति प्राचीन प्रतिमाओ के दर्शन हुये, जिसके बाद रानी ने चतुर्भुज प्रभु श्रीराम के प्रतिमा की स्थापना के लिए धार में मंदिर का निर्माण कराया मंदिर निर्माण होने के बाद जब धार महारानी शकु बाई पवार प्रभु श्री राम की चतुर्भुज श्री राम की प्रतिमा को हाथी पर सवार कर धार की ओर ले जा रही थी तभी जिस स्थान पर वर्तमान में चतुर्भुज प्रभु श्रीराम का मंदिर है उस स्थान पर आकर हाथी रुक गए ,हाथी उसी स्थान से आगे नहीं बढ़े, तभी रात में एक बार फिर से महंत से रघुनाथ जी महाराज को चतुर्भुज श्रीराम ने स्वप्न में दर्शन दिए और कहा कि में वनखंडी राम हैं हम वन में ही मंगल करेंगे, जिसके बाद महंत श्री रघुनाथ जी महाराज ने भगवान श्रीराम के सपनों को एक बार फिर से धार की महारानी शकु बाई पवार को बताया,जिसके बाद धार महारानी शकु बाई पावर ने चतुर्भुज प्रभु श्री राम जी के मंदिर का निर्माण मांडव में सवंत 1823 में करवाया एवं महंत श्री श्री 1008 रघुनाथ जी महाराज द्वारा उस मंदिर में चतुर्भुज श्री राम की प्रतिमा का की स्थापना की गई। वही ऐसा माना जाता है कि मुगल शासन काल में मांडव में प्रभु श्री रामजी की चतुर्भुज स्वरूप की मूर्तियों को किसी महंत द्वारा गुफा में सुरक्षित रखने के लिए रखा गया था,

चतुर्भुज प्रभु श्री राम के दर्शन मात्र से पापो से मुक्ति मिलती की है,हर मनोकामना होती है पूरी

मांडू में स्थित चतुर्भुज प्रभु राम मंदिर के महंत श्री त्रिलोकी दास जी महाराज बताते हैं कि मांडू में स्थित चतुर्भुज प्रभु श्री राम के दर्शन मात्र से ही सभी पापो से मुक्ति मिलती मोक्ष की प्राप्ति होती है भक्तों की हर मनोकामना पूरी होती है प्रभु श्री राम अपने भक्तों के हर कष्ट को दूर करते हैं जिससे भक्तों को मान ,सम्मान ,प्रतिष्ठा प्राप्त होती है ऐसा भी कहा जाता है कि रावण ने प्रभु श्रीराम से मृत्यु के पहले नर में नारायण के दर्शन की प्रार्थना की थी तभी श्री प्रभु राम ने नारायण(विष्णु) रूप धारण कर रावण को दर्शन दिए थे इसी के चलते प्रभु श्री राम ने चतुर्भुज स्वरूप के रावण को दर्शन दिये जिससे रावण के सभी कलंकों का नाश हुआ ओर उसे मोक्ष कि प्राप्ति हुई,, उसी मांडू स्थित प्रभु श्री राम की चतुर्भुज प्रतिमा के दर्शन मात्र से ही प्रभु श्रीराम अपने भक्तों की हर मुराद पूरी करते है उनके पापों का नाश करते है और उन्हें मोक्ष की प्राप्ति होती है ।










Conclusion:बाइट-01- महंत त्रिलोकी दास जी महाराज चतुर्भुज प्रभु श्री राम मंदिर मांडव
बाइट-02- महेंद्र शर्मा -भक्त -चतुर्भुज श्री राम मंदिर
Last Updated : Oct 24, 2019, 6:57 AM IST
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