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पितृमोक्ष और भूतड़ी अमावस्या के मौके पर श्रद्धालुओं ने लगाई नर्मदा में आस्था की डुबकी

देवास के नेमावर में नर्मदा नदी के किनारे पितृमोक्ष अमावस्या पर हजारों की संख्या में श्रद्धालुओं ने बुरी शक्तियों से छुटकारा पाने के लिए डुबकी लगाई. साथ ही अपने पूर्वजों का पिंडदान और तर्पण किया.

पितृमोक्ष अमावस्या पर लगा हजारों श्रद्धालुओं का तांता
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Published : Sep 28, 2019, 3:35 PM IST

देवास। जिला मुख्यालय से करीब 150 किलोमीटर दूर नर्मदा नदी के किनारे नेमावर स्थित है. मोक्षदायिनी नर्मदा नदी के किनारे नेमावर में हर पितृमोक्ष अमावस्या पर हजारों श्रद्धालु आते हैं.

पितृमोक्ष अमावस्या पर लगा हजारों श्रद्धालुओं का तांता

अमावस्या की रात के बाद सुबह तक हजारों की संख्या में श्रद्धालुओं ने मां नर्मदा नदी लमें डुबकी लगाई. इस आस्था के लिए शासन और प्रशासन का अमला तैनात रहा, ताकि किसी तरह का हादसा ना हो सके. खातेगांव के SDM, ASP ग्रामीण नीरज चौरसिया सहित पुलिस विभाग के 300 से ज्यादा स्टाफ लगातार नेमावर में तैनात रहे.

भूतड़ी अमावस्या में मिलती है बुरी शक्तियों से मुक्ति

नेमावर में मां नर्मदा नदी के तट पर हर साल भूतड़ी अमावस्या की रात में हजारों की संख्या में दूर-दूर से लोग अपने दुःख-दरिद्रता से निजात पाने के लिए आते हैं. यहां लोग आस्था के साथ अनेक हथियारों से तंत्र-मंत्र की साधना का प्रयोग करते नजर आते हैं. वहीं कई मानसिक बीमारी के लोगों को भी यहां देखा जा सकता है. सिद्ध स्थान होने के कारण बाहरी बाधाओं से पीड़ित लोग अपने परिजन के साथ आते हैं. जहां पूरी रात नर्मदा के तट पर तंत्र-मंत्र और आस्था का नजारा दिखाई देता है. पंडित नाचते-गाते इन बुरी शक्तियों पर काबू पाने की जद्दोजहद करते रहते हैं.
इस दौरान पंडित पीड़ित को बैठाकर विधि-विधान से पूजा-पाठ, तंत्र-मंत्र करते हैं. लोग बताते हैं कि बुरी शक्तियां विकराल रूप ले लेती हैं. बुरी शक्ति पीड़ित के शरीर को छोड़ने के लिए शर्तें रखती हैं. पूजा-पाठ से काबू में आने पर पंडित पीड़ित को पूजा-पाठ कर नर्मदा नदी में डुबकी लगवाते हैं.

देवास। जिला मुख्यालय से करीब 150 किलोमीटर दूर नर्मदा नदी के किनारे नेमावर स्थित है. मोक्षदायिनी नर्मदा नदी के किनारे नेमावर में हर पितृमोक्ष अमावस्या पर हजारों श्रद्धालु आते हैं.

पितृमोक्ष अमावस्या पर लगा हजारों श्रद्धालुओं का तांता

अमावस्या की रात के बाद सुबह तक हजारों की संख्या में श्रद्धालुओं ने मां नर्मदा नदी लमें डुबकी लगाई. इस आस्था के लिए शासन और प्रशासन का अमला तैनात रहा, ताकि किसी तरह का हादसा ना हो सके. खातेगांव के SDM, ASP ग्रामीण नीरज चौरसिया सहित पुलिस विभाग के 300 से ज्यादा स्टाफ लगातार नेमावर में तैनात रहे.

भूतड़ी अमावस्या में मिलती है बुरी शक्तियों से मुक्ति

नेमावर में मां नर्मदा नदी के तट पर हर साल भूतड़ी अमावस्या की रात में हजारों की संख्या में दूर-दूर से लोग अपने दुःख-दरिद्रता से निजात पाने के लिए आते हैं. यहां लोग आस्था के साथ अनेक हथियारों से तंत्र-मंत्र की साधना का प्रयोग करते नजर आते हैं. वहीं कई मानसिक बीमारी के लोगों को भी यहां देखा जा सकता है. सिद्ध स्थान होने के कारण बाहरी बाधाओं से पीड़ित लोग अपने परिजन के साथ आते हैं. जहां पूरी रात नर्मदा के तट पर तंत्र-मंत्र और आस्था का नजारा दिखाई देता है. पंडित नाचते-गाते इन बुरी शक्तियों पर काबू पाने की जद्दोजहद करते रहते हैं.
इस दौरान पंडित पीड़ित को बैठाकर विधि-विधान से पूजा-पाठ, तंत्र-मंत्र करते हैं. लोग बताते हैं कि बुरी शक्तियां विकराल रूप ले लेती हैं. बुरी शक्ति पीड़ित के शरीर को छोड़ने के लिए शर्तें रखती हैं. पूजा-पाठ से काबू में आने पर पंडित पीड़ित को पूजा-पाठ कर नर्मदा नदी में डुबकी लगवाते हैं.

Intro:तन्त्र ,मन्त्र और आस्था .......

जिले के नेमावर में लगता हे हजारो श्रद्धालुओ का पितृमोक्ष अमावस्या पर तांता......

आज जमाना कितना ही आगे निकल गया हे और हम हाईटेक हो चूके लेकिन आज भी मानसिक बीमारी व बाहरी बाधाओ को दूर करने के लिए तन्त्र मन्त्र का सहारा लिया जाता हे......

पुरी रात होता रहा तन्त्र,मन्त्र और आस्था का आयोजन.....

अनेक- अनेक प्रकार की बुरी शक्तिया होती हे श्रद्धालुओ से रूबरू....

झूमते नाचते,गाते पड़ियार (पंडित) इन बुरी शक्तियो पर करता हे काबू .....

और बस में आने पर बुरी शक्तियो से पीड़ित को पुजा ,पाठ कर नर्मदा नदी में डुबकी लगवाई जाती हे....

और पड़ियार (पंडित) और पीड़ित के साथ आए श्रद्धालुओ द्वारा माना जाता हे की अब यह बुरी शक्ति पीड़ित के शरीर व् आत्मा को परेशान नही करेगी.....

इन हजारो श्रद्धालुओ के रूप में बुजुर्ग, महिलाए ,बालिकाए,बच्चे शामिल होते हे .......

90 % ग्रामीण श्रद्धालुओ का ताता दूर-दूर तक नर्मदा के टट पर लगा रहता हे .......

नर्मदा नही के टट पर लगा रहता हे ........Body:देवास- जिला मुख्यायल से करीब 150 KM की दुरी पर जिले के अंतिम छोर पर बसा मोक्ष दामिनी नर्मदा नदी के किनारे नेमावर जहा हर पितृमोक्ष अमावस्या पर आते है हजारो श्रद्धालु। जहाँ हम आज विज्ञान के इस इकीसवीं सदी में अग्रसर है वही नेमावर में माँ नर्मदा नदी के तट पर प्रतिवर्ष भूतड़ी अमावस्या के रात्रि में हजारो की संख्या में दूर दूर से यहाँ लोग अपनी दुःख दरिद्रता को निजात पाने के लिए यहां आते है। लोगों में कूट कूट कर आस्थाें के साथ अनेक हत्यारों से तंत्र मंत्र की साधना का प्रयोग करते नजर आते है वही कई मानसिक बीमारी के लोगो को भी यहाँ देखा जा सकता है ।लोगो का मानना है कि यह सिद्ध स्थान होने के कारण बाहरी बाधाओ से पीड़ित लोग अपने परिजन (श्रद्धालुओ) के साथ आते है और पुरी रात नर्मदा के तट पर तन्त्र,मन्त्र और आस्था का नजारा आरम्भ होता हे ,और यही से शूरू होता हे पड़ियार (पंडित) द्वारा झूमते नाचते,गाते इन बुरी शक्तियो पर काबू पाने की जदोजहद करते रहते है जिसे आस्था का पर्व माना जाता है जो कि सारी रात चलता हे जिसमे पड़ियार द्वारा बुरी शक्ति से पीड़ित को बैठकर विधिविधान से पूजा पाठ ,तन्त्र,मन्त्र के द्वारा लोगो पर असर बुरी शक्ति से पीड़ित के शरीर पर होता हे यह पीड़ितो के अनुसार शक्तिया विकराल रूप ले लेती हे और पीड़ित के शरीर को छोड़ने के लिए शर्ते रखती हे ,और तब जाकर काबु में आने पर पड़ियार (पण्डित)द्वारा बुरी शक्तियो से पीड़ित को पुजा ,पाठ कर नर्मदा नदी में डुबकी लगवाई जाती हे और पड़ियार (पंडित) और पीड़ित के साथ आए श्रद्धालुओ द्वारा माना जाता हे की अब यह बुरी शक्ति पीड़ित के शरीर व् आत्मा को भविष्य में परेशान नही करेगी और यही आस्था और विश्वास के साथ वर्षो से लगातार चला आ रहा है।और देर रात से ही अमावस्या लगने के बाद से अल्प सुबह तक हजारों की संख्या में श्रद्धालुओं ने लगाई माँ नर्मदा नही में डूबड़ी।इस आस्था के लिए संपूर्ण शासन प्रशासन का अमला चाक चोबन्ध रहता है ताकि किसी तरह से जन हानि न हो सके।खातेगांव के SDM,ASP ग्रामीण नीरज चौरसिया सहित पुलिस विभाग के 300 से अधिक स्टाफ लगातार तैनात।अब 30 हजार से अधिक श्रद्धालुओं नेे माँ नर्मदा नदी में लगाई डुबकी।Conclusion:तन्त्र ,मन्त्र और आस्था .......

जिले के नेमावर में लगता हे हजारो श्रद्धालुओ का पितृमोक्ष अमावस्या पर तांता......

आज जमाना कितना ही आगे निकल गया हे और हम हाईटेक हो चूके लेकिन आज भी मानसिक बीमारी व बाहरी बाधाओ को दूर करने के लिए तन्त्र मन्त्र का सहारा लिया जाता हे......

पुरी रात होता रहा तन्त्र,मन्त्र और आस्था का आयोजन.....

अनेक- अनेक प्रकार की बुरी शक्तिया होती हे श्रद्धालुओ से रूबरू....

झूमते नाचते,गाते पड़ियार (पंडित) इन बुरी शक्तियो पर करता हे काबू .....

और बस में आने पर बुरी शक्तियो से पीड़ित को पुजा ,पाठ कर नर्मदा नदी में डुबकी लगवाई जाती हे....

और पड़ियार (पंडित) और पीड़ित के साथ आए श्रद्धालुओ द्वारा माना जाता हे की अब यह बुरी शक्ति पीड़ित के शरीर व् आत्मा को परेशान नही करेगी.....

इन हजारो श्रद्धालुओ के रूप में बुजुर्ग, महिलाए ,बालिकाए,बच्चे शामिल होते हे .......

90 % ग्रामीण श्रद्धालुओ का ताता दूर-दूर तक नर्मदा के टट पर लगा रहता हे .......

नर्मदा नही के टट पर लगा रहता हे ........
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