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'मामा' के राज में 'भांजा' किडनी बेचने को मजबूर! लकवाग्रस्त पीड़ित की पुकार, काम करने लायक नहीं रहा, तो क्या करूं - मध्य प्रदेश लेटेस्ट न्यूज

लकवा से पीड़ित व्यक्ति ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से किडनी बेचने की इजाजत मांगी है. (Paralyzed Patient Wants to Sell His Kidney) पीड़ित का कहना है कि 8 महीने पहले डॉक्टर की लापरवाही से उसे लकवा लग गया था. अब उसे किसी सरकारी योजना का लाभ नहीं मिल रहा. इसलिए वह अपनी किडनी बेचना चाहता है.

Paralyzed patient wants to sell his kidney
लकवा का मरीज बेचना चाहता है किडनी
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Published : Dec 16, 2021, 8:59 PM IST

देवास। शासन की योजनाओं का लाभ ना मिलने पर लकवाग्रस्त व्यक्ति अपनी किडनी बेचने पर मजबूर है. (Paralyzed Patient Wants to Sell His Kidney) परेशान होकर व्यक्ति ने मुख्यमंत्री शिवरज सिंह चौहान से अपनी किडनी बेचने की अनुमति मांगी है. पीड़ित का कहना है कि उसे किसी भी सरकारी योजना का लाभ नहीं मिल रहा. वह सरकारी दफ्तरों के चक्कर काट कर थक गया है. इसलिए अब वह अपने परिवार के भरण पोषण के लिए अपनी किडनी बेचना चाह रहा है.

परिवार के लिए बनाना चाहता है पक्का मकान

व्यक्ति का नाम संतोष पिता नेमीचंद सोनी (45) है, जो देवास के इटावा का रहने वाला है. वह अपनी किडनी बेचने की मांग को लेकर सयाजी गेट के सामने मंडूक पुष्कर धरना स्थल पर बैठ गया है. व्यक्ति का कहना है कि वह कई दिनों से बीमार है, उसके तीन बच्चे हैं. परिवार का भरण पोषण करने के लिए वह सक्षम नहीं है. ना ही कोई रोजगार है. उसे किसी प्रकार की कोई शासकीय योजनाओं का लाभ भी नहीं मिल रहा है. जिसके कारण युवक अपनी किडनी बेचकर परिवार का भरण पोषण और पक्का मकान बनाना चाहता है.

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डॉक्टर की लापरवाही के कारण हुआ लकवा का शिकार

संतोष सोनी ने बताया कि, आठ माह पहले तक सब कुछ ठीक था. लेकिन एक डॉक्टर की लापरवाही के कारण उसे पैरालिसिस की समास्या हो गई. पहले वह ट्रक चलाकर अपने परिवार का भरण पोषण करता था, लेकिन अब वह काम करने में सक्षम नहीं है. जिस कारण वह अपनी किडनी बेचना चाहता है.

संतोष का एक बच्चा शासकीय स्कूल और दो बच्चें निजी स्कूल में पढ़ते हैं. जिनकी फीस भरने के लिए स्कूल संचालक अब दबाव बना रहे हैं. संतोष ने बताया कि वह क्षेत्रीय जनप्रतिनिधि सहित कई जगह आर्थिक मदद के लिए गुहार लगा चुका है. बावजूद उसे शासन की योजना का कोई लाभ नहीं मिल रहा.

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पीड़ित ने बैनर पर लिखी यह मांग

संतोष सोनी ने मुख्यमंत्री तक संदेश पहुंचाने के लिए बैनर पर लिखवाया है कि 'मा. शिवराज सिंह चौहान मुख्यमंत्री मुझे किडनी बेचने की इजाजत दे. ताकी में मेरे बच्चों और मेरे परिवार को छत दे पाऊं और दो वक्त का भोजन खिला सकूं. मैं लाचार हूं. मेरे छोटे-छोटे बच्चें हैं, मुझे सरकार की तरफ से कोई मदद नहीं मिली.'

देवास। शासन की योजनाओं का लाभ ना मिलने पर लकवाग्रस्त व्यक्ति अपनी किडनी बेचने पर मजबूर है. (Paralyzed Patient Wants to Sell His Kidney) परेशान होकर व्यक्ति ने मुख्यमंत्री शिवरज सिंह चौहान से अपनी किडनी बेचने की अनुमति मांगी है. पीड़ित का कहना है कि उसे किसी भी सरकारी योजना का लाभ नहीं मिल रहा. वह सरकारी दफ्तरों के चक्कर काट कर थक गया है. इसलिए अब वह अपने परिवार के भरण पोषण के लिए अपनी किडनी बेचना चाह रहा है.

परिवार के लिए बनाना चाहता है पक्का मकान

व्यक्ति का नाम संतोष पिता नेमीचंद सोनी (45) है, जो देवास के इटावा का रहने वाला है. वह अपनी किडनी बेचने की मांग को लेकर सयाजी गेट के सामने मंडूक पुष्कर धरना स्थल पर बैठ गया है. व्यक्ति का कहना है कि वह कई दिनों से बीमार है, उसके तीन बच्चे हैं. परिवार का भरण पोषण करने के लिए वह सक्षम नहीं है. ना ही कोई रोजगार है. उसे किसी प्रकार की कोई शासकीय योजनाओं का लाभ भी नहीं मिल रहा है. जिसके कारण युवक अपनी किडनी बेचकर परिवार का भरण पोषण और पक्का मकान बनाना चाहता है.

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डॉक्टर की लापरवाही के कारण हुआ लकवा का शिकार

संतोष सोनी ने बताया कि, आठ माह पहले तक सब कुछ ठीक था. लेकिन एक डॉक्टर की लापरवाही के कारण उसे पैरालिसिस की समास्या हो गई. पहले वह ट्रक चलाकर अपने परिवार का भरण पोषण करता था, लेकिन अब वह काम करने में सक्षम नहीं है. जिस कारण वह अपनी किडनी बेचना चाहता है.

संतोष का एक बच्चा शासकीय स्कूल और दो बच्चें निजी स्कूल में पढ़ते हैं. जिनकी फीस भरने के लिए स्कूल संचालक अब दबाव बना रहे हैं. संतोष ने बताया कि वह क्षेत्रीय जनप्रतिनिधि सहित कई जगह आर्थिक मदद के लिए गुहार लगा चुका है. बावजूद उसे शासन की योजना का कोई लाभ नहीं मिल रहा.

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पीड़ित ने बैनर पर लिखी यह मांग

संतोष सोनी ने मुख्यमंत्री तक संदेश पहुंचाने के लिए बैनर पर लिखवाया है कि 'मा. शिवराज सिंह चौहान मुख्यमंत्री मुझे किडनी बेचने की इजाजत दे. ताकी में मेरे बच्चों और मेरे परिवार को छत दे पाऊं और दो वक्त का भोजन खिला सकूं. मैं लाचार हूं. मेरे छोटे-छोटे बच्चें हैं, मुझे सरकार की तरफ से कोई मदद नहीं मिली.'

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