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2008 से बच्चों को फुटबॉल ट्रेनिंग दे रहे रवि, ऐसे बदली बच्चों की किस्मत - One hundred and fifty children are being trained

देवास। जिले के रहने वाले रवि बारीक 2008 से बच्चों को फुटबॉल सीखा रहे हैं. रवि ने बच्चों के लिए किट और जूते जुटाए और आज 150 बच्चों को नियमित फुटबॉल की ट्रेनिंग निशुल्क दे रहे हैं.

Football training is being given to children selflessly
निस्वार्थ भाव से दे रहे हैं बच्चों को फुटबॉल का प्रशिक्षण
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Published : Jan 6, 2020, 9:27 PM IST

देवास। जिले के रहने वाले रवि बारीक 2008 से बच्चों को फुटबॉल सीखा रहे हैं. रवि ने बच्चों के लिए किट और जूते जुटाए और आज 150 बच्चों को नियमित फुटबॉल की ट्रेनिंग निशुल्क दे रहे हैं.

निस्वार्थ भाव से दे रहे हैं बच्चों को फुटबॉल का प्रशिक्षण

11 साल के सफर में फुटबॉल की फिटनेस से एक बच्चा इंडियन नेवी तो एक बच्चा इंडियन आर्मी में जबकि दो बच्चे राष्ट्रीय फुटबॉल प्रतियोगिता में भाग ले चुके हैं. प्रतिवर्ष दर्जनों बच्चे प्रदेश स्तर पर फुटबॉल टीम का हिस्सा बनते हैं, खेल एवं युवा कल्याण विभाग और अन्य सरकारी मदद से फुटबॉल खिलाड़ियों सुविधाओं का लाभ भी मिल रहा है.10 वर्षों से बागली में 3 दिवसीय प्रतियोगिता का आयोजन जनसहयोग से किया जाता जो उत्सव जैसा होता है.

रवि बारीक ने बताया कि आदिवासी लड़कियों को फुटबॉल खेलने के लिए तैयार करना कठिन चुनौती थी, वही मोबाइल से जुड़े बच्चो को मैदान तक लाना बहुत परेशानी भरा था. रवि और उसकी पत्नी घर-घर बच्चों के माता-पिता को समझाइश के बाद ग्राउंड चलाना महत्वपूर्ण था.

देवास। जिले के रहने वाले रवि बारीक 2008 से बच्चों को फुटबॉल सीखा रहे हैं. रवि ने बच्चों के लिए किट और जूते जुटाए और आज 150 बच्चों को नियमित फुटबॉल की ट्रेनिंग निशुल्क दे रहे हैं.

निस्वार्थ भाव से दे रहे हैं बच्चों को फुटबॉल का प्रशिक्षण

11 साल के सफर में फुटबॉल की फिटनेस से एक बच्चा इंडियन नेवी तो एक बच्चा इंडियन आर्मी में जबकि दो बच्चे राष्ट्रीय फुटबॉल प्रतियोगिता में भाग ले चुके हैं. प्रतिवर्ष दर्जनों बच्चे प्रदेश स्तर पर फुटबॉल टीम का हिस्सा बनते हैं, खेल एवं युवा कल्याण विभाग और अन्य सरकारी मदद से फुटबॉल खिलाड़ियों सुविधाओं का लाभ भी मिल रहा है.10 वर्षों से बागली में 3 दिवसीय प्रतियोगिता का आयोजन जनसहयोग से किया जाता जो उत्सव जैसा होता है.

रवि बारीक ने बताया कि आदिवासी लड़कियों को फुटबॉल खेलने के लिए तैयार करना कठिन चुनौती थी, वही मोबाइल से जुड़े बच्चो को मैदान तक लाना बहुत परेशानी भरा था. रवि और उसकी पत्नी घर-घर बच्चों के माता-पिता को समझाइश के बाद ग्राउंड चलाना महत्वपूर्ण था.

Intro:स्टोरी

एंकर -
खबर देवास जिले के बागली से जहां पर उड़ीसा के छोटे से गांव से बागली के निजी संस्थान में नोकरी करने आए रवी बारीक ने 2008 में फुटबॉल बच्चो को सीखने की नींव रखी बच्चो को मैदान में जोड़े रखने के साथ जनसहयोग से बच्चो के लिये जूते व किट जुटाया आज 150 से अधिक बच्चे नियमित फुटबॉल का प्रशिक्षण प्राप्त कर रहे हैं

11 वर्ष के सफर में फुटबॉल की फिटनेस से एक बच्चा इंडियन नेवी तो एक बच्चा इंडियन आर्मी में जबकि दो बच्चे राष्ट्रीय प्रतियोगिता फुटबॉल प्रतियोगिता में भाग ले चुके हैं तो प्रतिवर्ष दर्जनों बच्चे प्रदेश स्तर पर फुटबॉल टीम का हिस्सा बनते हैं। खेल एवं युवा कल्याण विभाग व अन्य सरकारी मदद से फुटबॉल खिलाड़ियों सुविधाओं का लाभ भी मिल रहा है।


10 वर्षों से बागली में 3 दिवसीय प्रतियोगिता का आयोजन जनसहयोग से किया जाता जो उत्सव जैसा होता है मार्च पास्ट व जिलेभर की फुटबॉल टीम भाग लेती है।
सरकारी मदद ने बच्चो को नए आयाम दीए

बागली के उत्कृष्ट मैदान में कोच रवी बारीक द्वारा प्रतिदिन 6 वर्ष से 15 वर्ष के 150 से अधिक खिलाड़ी जिसमे 50 लड़कियां भी शामिल हैं उन्हें प्रतिदिन सुबह 6 बजे से 8 बजे तक रवी बारीक द्वारा व्यायाम व खेल खिलाया जाता है।

रवि बारीक ने बताया कि आदिवासी लड़कियों को फुटबॉल खेलने के लिये तैयार करना कठिन चुनोती थी वही मोबाइल से जुड़े बच्चो को मैदान तक लाना बहुत परेशानी भरा था रवि व उसकी पत्नी घर घर बच्चो के माता पिता को समझाइश के बाद ग्राउंड चलाना महत्वपूर्ण था।
डॉक्टर राजेश यादव दानदाता -रवी बारीक द्वारा 10 वर्षो से बच्चो को फुटबॉल का प्रशिक्षण निरन्तर दिया जा रहा है सरकारी नोकरियो के अतिरिक्त राष्ट्रीय व प्रदेश स्तर पर लगातार बच्चो का चयन हुआ है जो बड़ी उपलब्धि है

बागली से मुकेश पाटीदार की रिपोर्ट

बाईट

01- सिद्धार्थ कलम खिलाड़ी राष्ट्रीय प्रतियोगिता में भाग लेकर आया।

02 रवी बारीक प्रशिक्षकBody:स्टोरी

एंकर -
खबर देवास जिले के बागली से जहां पर उड़ीसा के छोटे से गांव से बागली के निजी संस्थान में नोकरी करने आए रवी बारीक ने 2008 में फुटबॉल बच्चो को सीखने की नींव रखी बच्चो को मैदान में जोड़े रखने के साथ जनसहयोग से बच्चो के लिये जूते व किट जुटाया आज 150 से अधिक बच्चे नियमित फुटबॉल का प्रशिक्षण प्राप्त कर रहे हैं

11 वर्ष के सफर में फुटबॉल की फिटनेस से एक बच्चा इंडियन नेवी तो एक बच्चा इंडियन आर्मी में जबकि दो बच्चे राष्ट्रीय प्रतियोगिता फुटबॉल प्रतियोगिता में भाग ले चुके हैं तो प्रतिवर्ष दर्जनों बच्चे प्रदेश स्तर पर फुटबॉल टीम का हिस्सा बनते हैं। खेल एवं युवा कल्याण विभाग व अन्य सरकारी मदद से फुटबॉल खिलाड़ियों सुविधाओं का लाभ भी मिल रहा है।


10 वर्षों से बागली में 3 दिवसीय प्रतियोगिता का आयोजन जनसहयोग से किया जाता जो उत्सव जैसा होता है मार्च पास्ट व जिलेभर की फुटबॉल टीम भाग लेती है।
सरकारी मदद ने बच्चो को नए आयाम दीए

बागली के उत्कृष्ट मैदान में कोच रवी बारीक द्वारा प्रतिदिन 6 वर्ष से 15 वर्ष के 150 से अधिक खिलाड़ी जिसमे 50 लड़कियां भी शामिल हैं उन्हें प्रतिदिन सुबह 6 बजे से 8 बजे तक रवी बारीक द्वारा व्यायाम व खेल खिलाया जाता है।

रवि बारीक ने बताया कि आदिवासी लड़कियों को फुटबॉल खेलने के लिये तैयार करना कठिन चुनोती थी वही मोबाइल से जुड़े बच्चो को मैदान तक लाना बहुत परेशानी भरा था रवि व उसकी पत्नी घर घर बच्चो के माता पिता को समझाइश के बाद ग्राउंड चलाना महत्वपूर्ण था।
डॉक्टर राजेश यादव दानदाता -रवी बारीक द्वारा 10 वर्षो से बच्चो को फुटबॉल का प्रशिक्षण निरन्तर दिया जा रहा है सरकारी नोकरियो के अतिरिक्त राष्ट्रीय व प्रदेश स्तर पर लगातार बच्चो का चयन हुआ है जो बड़ी उपलब्धि है

बागली से मुकेश पाटीदार की रिपोर्ट

बाईट

01- सिद्धार्थ कलम खिलाड़ी राष्ट्रीय प्रतियोगिता में भाग लेकर आया।

02 रवी बारीक प्रशिक्षकConclusion:स्टोरी

एंकर -
खबर देवास जिले के बागली से जहां पर उड़ीसा के छोटे से गांव से बागली के निजी संस्थान में नोकरी करने आए रवी बारीक ने 2008 में फुटबॉल बच्चो को सीखने की नींव रखी बच्चो को मैदान में जोड़े रखने के साथ जनसहयोग से बच्चो के लिये जूते व किट जुटाया आज 150 से अधिक बच्चे नियमित फुटबॉल का प्रशिक्षण प्राप्त कर रहे हैं

11 वर्ष के सफर में फुटबॉल की फिटनेस से एक बच्चा इंडियन नेवी तो एक बच्चा इंडियन आर्मी में जबकि दो बच्चे राष्ट्रीय प्रतियोगिता फुटबॉल प्रतियोगिता में भाग ले चुके हैं तो प्रतिवर्ष दर्जनों बच्चे प्रदेश स्तर पर फुटबॉल टीम का हिस्सा बनते हैं। खेल एवं युवा कल्याण विभाग व अन्य सरकारी मदद से फुटबॉल खिलाड़ियों सुविधाओं का लाभ भी मिल रहा है।


10 वर्षों से बागली में 3 दिवसीय प्रतियोगिता का आयोजन जनसहयोग से किया जाता जो उत्सव जैसा होता है मार्च पास्ट व जिलेभर की फुटबॉल टीम भाग लेती है।
सरकारी मदद ने बच्चो को नए आयाम दीए

बागली के उत्कृष्ट मैदान में कोच रवी बारीक द्वारा प्रतिदिन 6 वर्ष से 15 वर्ष के 150 से अधिक खिलाड़ी जिसमे 50 लड़कियां भी शामिल हैं उन्हें प्रतिदिन सुबह 6 बजे से 8 बजे तक रवी बारीक द्वारा व्यायाम व खेल खिलाया जाता है।

रवि बारीक ने बताया कि आदिवासी लड़कियों को फुटबॉल खेलने के लिये तैयार करना कठिन चुनोती थी वही मोबाइल से जुड़े बच्चो को मैदान तक लाना बहुत परेशानी भरा था रवि व उसकी पत्नी घर घर बच्चो के माता पिता को समझाइश के बाद ग्राउंड चलाना महत्वपूर्ण था।
डॉक्टर राजेश यादव दानदाता -रवी बारीक द्वारा 10 वर्षो से बच्चो को फुटबॉल का प्रशिक्षण निरन्तर दिया जा रहा है सरकारी नोकरियो के अतिरिक्त राष्ट्रीय व प्रदेश स्तर पर लगातार बच्चो का चयन हुआ है जो बड़ी उपलब्धि है

बागली से मुकेश पाटीदार की रिपोर्ट

बाईट

01- सिद्धार्थ कलम खिलाड़ी राष्ट्रीय प्रतियोगिता में भाग लेकर आया।

02 रवी बारीक प्रशिक्षक
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