छिंदवाड़ा। कन्हारगांव जलाशय परियोजना के तहत बने जलाशय से सिंचाई के लिए पानी तो नहरों से मिल जाता है, लेकिन पानी की गुणवत्ता पीने योग्य बिल्कुल नहीं है. ग्रामीणों ने बताया कि, इस डैम का पानी वह सिर्फ सिंचाई में उपयोग कर पाते हैं. पीने के लिए वह कुआं और बोर का इस्तेमाल करते हैं. कन्हारगांव जलाशय में सीवरेज और नदी-नालों का पानी आकर मिलता है. उसके कारण यहां पीने योग्य नहीं रहता. हालांकि यहां से पानी छिंदवाड़ा के वाटर फिल्टर में जाता है. उसके बाद पानी फिल्टर प्लांट में जाता है. फिल्टर होने के बाद शहर भर में सप्लाई किया जाता है.
12 से ज्यादा गांवों को मिलता है पानी
कन्हारगांव जलाशय परियोजना के तहत बने जलाशय से 12 से अधिक गांवों को पानी मिलता है. इस जलाशय से सटोटी, बिंद्ररई, रोहना कला, नारंगी, पठरानिरक, बड़ाबाड़ा, खेरवाड़ा, थुनिया इमलीखेड़ा, शिकारपुर, तिवाड़ा और पालामऊ आदि गांवों को पानी मिलता है.
इस जलाशय का पानी उनके लिए सिर्फ सिंचाई भर के काम आता है. यहां पानी की गुणवत्ता पीने योग्य नहीं है. हालांकि इस पानी को शहर में सप्लाई किया जाता है. सप्लाई से पहले पानी को छिंदवाड़ा के भरता देव में स्थित फिल्टर प्लांट में फिल्टर किया जाता है. उसके बाद ही शहर के विभिन्न इलाकों में पानी की आपूर्ति की जाती है. कई बार तो गर्मी के समय में जलाशय का पानी बहुत कम हो जाता है.
- कन्हारगांव जलाशय परियोजना
- जल संग्रहण क्षेत्र -108.59 वर्ग किलो मीटर
- जलमग्न क्षेत्र -5.153542 मि.वर्ग मीटर
- कुल क्षमता -26.97 मि. घन मीटर
- बांध की कुल लंबाई -1868 मीटर
- अधिकतम ऊंचाई - 24.874 मीटर
- नहर की लंबाई - मुख्य नहर -26.70 km, उप नहर -36.00 km
सीवरेज और नालियों का गंदा पानी जलाशय में आता है
स्थानीय ग्रामीणों ने बताया कि, यहां का पानी पीने के योग्य नहीं है. इस पानी में जगह-जगह से जो नहर गई हैं. उनमें सीवरेज और नालियों और अन्य जगह का गंदा पानी आकर मिल जाता है. पानी का उपयोग पशुओं को खिलाने और खेती में कर लेते हैं. उन्होंने कहा कि गांव में कोई फिल्टर प्लांट लगा दिया जाए तो उन्हें भी स्वच्छ पानी पीने को मिल सकता है.