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दशहरा के दिन इस गांव में होती है रावण की पूजा - गांव रावनवाड़ा में

छिंदवाड़ा के रावनवाड़ा गांव में लोग दशहरा के दिन रावण की पूजा करते हैं. गांव में रावण का प्राचीन मंदिर अब भी मौजूद है.

इस गांव में होती है रावण की पूजा
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Published : Oct 7, 2019, 10:41 PM IST

छिंदवाड़ा। पूरे देश में दशहरा के दिन बुराई के प्रतीक रावण के पुतले का दहन किया जाता है, लेकिन कई जगह ऐसी है, जहां अब भी रावण को पूजा जाता हैं जिले में ऐसा ही एक आदिवासी गांव है, जहां पर रावण का मंदिर है और पुराने शिलालेख भी मौजूद हैं और रावण की याद में इस गांव का नाम भी रावनवाड़ा रखा गया है.

इस गांव में होती है रावण की पूजा


जिले के रावनवाड़ा थाना क्षेत्र के गांव रावनवाड़ा में धार्मिक मान्यताओं के अनुसार त्रेता युग में रावण ने गांव में भगवान शिव की आराधना की थी, उसी के बाद से इस गांव का नाम रावनवाड़ा पड़ा. इस गांव में रावणदेव छोटा मंदिर है और वहीं पर शिलालेख भी है.


भले ही इस गांव के ऐतिहासिक पुख्ता प्रमाण नहीं हैं, लेकिन लोग धार्मिक भावना से मानते हैं कि रावण ने भगवान महादेव की आराधना की, इसी गांव के जंगल में की थी और फिर यहीं पर आकर भगवान शिव ने उनको आशीर्वाद दिया था, जिसके बाद से इस गांव का नाम रावनवाड़ा पड़ा है.

छिंदवाड़ा। पूरे देश में दशहरा के दिन बुराई के प्रतीक रावण के पुतले का दहन किया जाता है, लेकिन कई जगह ऐसी है, जहां अब भी रावण को पूजा जाता हैं जिले में ऐसा ही एक आदिवासी गांव है, जहां पर रावण का मंदिर है और पुराने शिलालेख भी मौजूद हैं और रावण की याद में इस गांव का नाम भी रावनवाड़ा रखा गया है.

इस गांव में होती है रावण की पूजा


जिले के रावनवाड़ा थाना क्षेत्र के गांव रावनवाड़ा में धार्मिक मान्यताओं के अनुसार त्रेता युग में रावण ने गांव में भगवान शिव की आराधना की थी, उसी के बाद से इस गांव का नाम रावनवाड़ा पड़ा. इस गांव में रावणदेव छोटा मंदिर है और वहीं पर शिलालेख भी है.


भले ही इस गांव के ऐतिहासिक पुख्ता प्रमाण नहीं हैं, लेकिन लोग धार्मिक भावना से मानते हैं कि रावण ने भगवान महादेव की आराधना की, इसी गांव के जंगल में की थी और फिर यहीं पर आकर भगवान शिव ने उनको आशीर्वाद दिया था, जिसके बाद से इस गांव का नाम रावनवाड़ा पड़ा है.

Intro:छिंदवाड़ा। पूरे देश में दशहरा के दिन बुराई के प्रतीक रावण के पुतले का दहन किया जाता है लेकिन कई जगह ऐसी है जहां पर आज भी रावण पूजे जाते हैं छिंदवाड़ा का भी एक ऐसा ही आदिवासी गांव है जहां पर आज भी रावण का मंदिर है और पुराने शिलालेख भी मौजूद हैं और रावण की याद में इस गांव का नाम भी रावनवाड़ा रखा गया है।


Body:छिंदवाड़ा जिले के कोयलांचल का रावनवाड़ा गांव आखिर इसका नाम रावनवाड़ा कैसे पड़ा जब इसकी पड़ताल की गई तो जानकारी लगी कि त्रेता युग में रावण ने इसी गांव में भगवान शिव की आराधना की थी और उसी के बाद से इस गांव का नाम रावनवाड़ा पड़ा आज भी इस गांव में रावणदेव के नाम से पहाड़ों में छोटा मंदिर है और वहीं पर शिलालेख भी है।

भले ही इस गाँव के ऐतिहासिक पुख्ता प्रमाण नहीं है लेकिन लोग धार्मिक भावना से मानते हैं कि रावण ने भगवान महादेव की आराधना इसी गांव के जंगल में की थी और फिर यहीं पर आकर भगवान शिव ने उनको आशीर्वाद दिया था जिसके बाद से इस गांव का नाम रावनवाड़ा पड़ा है वहीं बगल में ही महादेवपुरी,शिवपुरी है जो धार्मिक भावना को पुख्ता करता है रावण की जानकारी के लिए इस गांव में आज भी पहाड़ी के ऊपर एक छोटा सा रावण देव का मंदिर है और उसी के नीचे कई शिलालेख मौजूद हैं इलाके में कोयला की अधिकता के चलते यहां पर डब्ल्यूसीएल ने कोयले की खदान शुरू की थी जो अब भी जारी है हालांकि आधुनिकता के चलते अब यहां पर जंगल थोड़े बहुत बचे हैं लोग बताते हैं कि आज भी आसपास के लोग और आदिवासी समुदाय रावण की पूजा करने मंदिर पहुंचते हैं।


Conclusion:बाइट-हरिलाल माधुरे, स्थानीय ग्रामीण
बाइट-राजीव धुर्वे,ग्रामीण
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