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Chhindwara Jail: कोई पहली बार जिगर के टुकड़े को लगा रहा था गले, कोई माथा चूमकर बहा रहा था आंसू, देखिए जेल की अनोखी पहल

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Published : Jul 18, 2023, 10:38 AM IST

किसी ने पहली बार अपने लाड़ले को सीने से लगाया तो कोई सालों बाद अपने जिगर के टुकड़े को देखकर खुशी के आंसू बहा रहा था. तो वहीं छोटे-छोटे बच्चे अपने पिता की गोद में बैठ कर सुकून महसूस कर रहे थे. दिल को सुकून देने वाले ये पल छिंदवाड़ा जिला जेल के भीतर बिताए जा रहे थे. छिंदवाड़ा जिला जेल प्रबंधन ने बंदियों को अपने बच्चों से मुलाकात के लिए कार्यक्रम आयोजित किया था जिसका नाम स्पर्श मुलाकात रखा गया था.

Chhindwara Jail
कैदियों ने अपने बच्चों से की मुलाकात
कैदियों ने अपने बच्चों से की मुलाकात

छिंदवाड़ा। अक्सर देखा जाता है कि किसी के छोटे-छोटे बच्चे होते हैं लेकिन किसी जुर्म या फिर अन्य कारणों से व्यक्ति को जेल जाना पड़ता है लेकिन उसका खामियाजा उनके बच्चों को मिलने वाले लाड़ प्यार पर पड़ता है. छिंदवाड़ा जेल प्रबंधन ने बच्चों को अपने पिता का लाड़ प्यार मिलता रहे और जेल में बंद बंदियों को अपने बच्चों की कमी ना खले और वे इसके चलते और ज्यादा तनावग्रस्त ना हो जाए इसलिए अनोखा प्रयोग करते हुए स्पर्श मुलाकात कार्यक्रम का आयोजन किया. जेल अधीक्षक यजुवेंद्र वाघमारे ने बताया कि प्रयोग के तौर पर उन्होंने यह कार्यक्रम आयोजित किया था जिसमें करीब 70 बच्चों ने अपने पिता से मुलाकात कर लाढ़ प्यार किया.

3 से 13 साल के बच्चों को जेल में दी गई एंट्री: जिला जेल प्रबंधन ने 3 साल से लेकर 13 साल तक के बच्चों को अपने पिता से मिलने के लिए जेल के भीतर एंट्री कराई थी. सभी बच्चे अपने पिता से मिलने के लिए अलग-अलग तरीके से उपहार लेकर जेल में पहुंचे थे. जेल अधीक्षक ने बताया कि प्रयोग के तौर पर इस मुलाकात का आयोजन कराया गया है अगर यह कार्यक्रम सफल होता है तो महीने में एक बार बच्चों को अपने पिता से मिलाया जाएगा.

जेल में घर जैसा माहौल कराया गया था तैयार: आमतौर पर जेल का नाम सुनते ही लोगों के मन में डर पैदा हो जाता है. छोटे-छोटे बच्चों के मन में जेल की भावना महसूस ना हो इसलिए जेल के अंदर घर जैसा माहौल बनाया गया था. बच्चे रंग बिरंगे गुब्बारे लेकर पिकनिक की तरह जेल पहुंचे तो जेल के भीतर का नजारा भी ऐसा था मानो बच्चे किसी पिकनिक स्पॉट पर पहुंचे हों. कैदियों को जेल की यूनिफार्म की जगह साधारण कपड़े पहनाए गए थे और खुले हॉल में सभी को एक साथ बैठाया गया था ताकि घर जैसा माहौल रहे.

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कोई बच्चे को गले लगा रहा था तो कोई चूम रहा था माथा: जेल में सजा काट रहे सुधीर ने बताया कि वह साढ़े सालों से बंद था. अपने बच्चों की एक झलक पाने के लिए तरस रहा था लेकिन जेल प्रबंधन के इस कार्यक्रम में उसकी मंशा पूरी कर दिया. साढ़े 5 साल के बाद वह अपने बच्चे से मिला नजारा ऐसा था कि जैसे ही बच्चे अपने पिता के पास पहुंचे तो कोई बच्चे को गले लगा रहा था तो कोई माथा चूम कर अपनी किस्मत पर रो रहा था. इसके बाद सभी बच्चों ने अपने पिता के साथ बैठकर खाना भी खाया.

कैदियों ने अपने बच्चों से की मुलाकात

छिंदवाड़ा। अक्सर देखा जाता है कि किसी के छोटे-छोटे बच्चे होते हैं लेकिन किसी जुर्म या फिर अन्य कारणों से व्यक्ति को जेल जाना पड़ता है लेकिन उसका खामियाजा उनके बच्चों को मिलने वाले लाड़ प्यार पर पड़ता है. छिंदवाड़ा जेल प्रबंधन ने बच्चों को अपने पिता का लाड़ प्यार मिलता रहे और जेल में बंद बंदियों को अपने बच्चों की कमी ना खले और वे इसके चलते और ज्यादा तनावग्रस्त ना हो जाए इसलिए अनोखा प्रयोग करते हुए स्पर्श मुलाकात कार्यक्रम का आयोजन किया. जेल अधीक्षक यजुवेंद्र वाघमारे ने बताया कि प्रयोग के तौर पर उन्होंने यह कार्यक्रम आयोजित किया था जिसमें करीब 70 बच्चों ने अपने पिता से मुलाकात कर लाढ़ प्यार किया.

3 से 13 साल के बच्चों को जेल में दी गई एंट्री: जिला जेल प्रबंधन ने 3 साल से लेकर 13 साल तक के बच्चों को अपने पिता से मिलने के लिए जेल के भीतर एंट्री कराई थी. सभी बच्चे अपने पिता से मिलने के लिए अलग-अलग तरीके से उपहार लेकर जेल में पहुंचे थे. जेल अधीक्षक ने बताया कि प्रयोग के तौर पर इस मुलाकात का आयोजन कराया गया है अगर यह कार्यक्रम सफल होता है तो महीने में एक बार बच्चों को अपने पिता से मिलाया जाएगा.

जेल में घर जैसा माहौल कराया गया था तैयार: आमतौर पर जेल का नाम सुनते ही लोगों के मन में डर पैदा हो जाता है. छोटे-छोटे बच्चों के मन में जेल की भावना महसूस ना हो इसलिए जेल के अंदर घर जैसा माहौल बनाया गया था. बच्चे रंग बिरंगे गुब्बारे लेकर पिकनिक की तरह जेल पहुंचे तो जेल के भीतर का नजारा भी ऐसा था मानो बच्चे किसी पिकनिक स्पॉट पर पहुंचे हों. कैदियों को जेल की यूनिफार्म की जगह साधारण कपड़े पहनाए गए थे और खुले हॉल में सभी को एक साथ बैठाया गया था ताकि घर जैसा माहौल रहे.

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कोई बच्चे को गले लगा रहा था तो कोई चूम रहा था माथा: जेल में सजा काट रहे सुधीर ने बताया कि वह साढ़े सालों से बंद था. अपने बच्चों की एक झलक पाने के लिए तरस रहा था लेकिन जेल प्रबंधन के इस कार्यक्रम में उसकी मंशा पूरी कर दिया. साढ़े 5 साल के बाद वह अपने बच्चे से मिला नजारा ऐसा था कि जैसे ही बच्चे अपने पिता के पास पहुंचे तो कोई बच्चे को गले लगा रहा था तो कोई माथा चूम कर अपनी किस्मत पर रो रहा था. इसके बाद सभी बच्चों ने अपने पिता के साथ बैठकर खाना भी खाया.

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